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लॉकडाउन में रामनगर लौटे राजेश ने शुरू की स्ट्रॉबेरी की खेती, लिखी तरक्की की नई इबारत - Strawberry cultivation in Ramnagar

राजेश की स्ट्रॉबेरी को देखने के लिए कॉर्बेट पार्क घूमने आने वाले पर्यटक भी पहुंचते हैं. वही पर्यटक स्ट्रॉबेरी भी खरीद रहे हैं. राजेश ने बताया कि उन्हें स्ट्रॉबेरी बेचने में कोई दिक्कत नहीं आती है.

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स्ट्राबेरी से स्वरोजगार
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Published : Mar 28, 2021, 5:07 PM IST

Updated : Mar 28, 2021, 6:40 PM IST

रामनगर: उत्तराखंड के युवा नौकरी की भागदौड़ में दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों की ओर रुख करते रहते हैं, वहीं, कुछ युवा ऐसे भी हैं जो इन दिनों दिल्ली लौटकर स्वरोजगार को नये आयाम दे रहे हैं, रामनगर के राजेश इन्ही युवाओं में से एक हैं. लॉकडाउन जैसे मुश्किल हालातों में राजेश ने दिल्ली से लौट कर स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की. जिसके बाद राजेश की तकदीर ही बदल गई. आज राजेश न सिर्फ स्वरोजगार कर आत्मनिर्भर हैं बल्कि वे कई लोगों को भी रोजगार उपलब्ध करवा रहे हैं.

स्ट्राबेरी से स्वरोजगार

कॉर्बेट पार्क आने वाले पर्यटक इन दिनों बाघों के साथ ही झिरना जोन में जाते हुए रास्ते मे पड़ने वाले सावल्दें गांव में स्ट्राबेरी की खेती को भी देखना भी नहीं भूलते. लॉकडाउन में दिल्ली से रामनगर आए राजेश और सचिन ने हाल ही में यहां स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की, जो कि उनके लिए काफी फायदेमंद साबित हुई. नोएडा में रहने वाले राजेश ने लॉकडाउन के समय कारोबार से चिंतित होकर रामनगर के सावल्दें क्षेत्र में खुद की जमीन पर स्ट्रॉबेरी की खेती करने का मन बनाया. आज यही खेती राजेश के जीवन में खुशियों के रंग भरने लगी है. 3 महीने की खेती से ही राजेश को अच्छा खासा मुनाफा होने लगा है.

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स्ट्राबेरी से स्वरोजगार

बता दें स्ट्रॉबेरी का इस्तेमाल जूस के अलावा दवा और चॉकलेट में भी किया जाता है. स्ट्रॉबेरी के पौधे खुले में लगाए जाते हैं. इनसे 3 माह में ही फसल ली जाती है. इसके लिए खेती की अच्छी तरह जुताई करते हैं. खेत में अनेक मेड बनाई जाती हैं. इसमें अनेक पौधे लगाए जाते हैं .1 एकड़ में 22 से 25000 पौधे लगाए जाते हैं. राजेश ने विंटर स्टार किस्म की स्ट्रॉबेरी लगाई है. उन्होंने बताया कि स्ट्रॉबेरी की स्वीट शामली किस्म की फसल सबसे मीठी होती है.

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स्ट्राबेरी से स्वरोजगार

पढ़ें- भू-वैज्ञानिक बोले- चमोली आपदा से सबक लेने की जरूरत, भविष्य के लिए रहें तैयार

राजेश की स्ट्रॉबेरी को देखने के लिए कॉर्बेट पार्क घूमने आने वाले पर्यटक भी पहुंचते हैं. वही पर्यटक स्ट्रॉबेरी भी खरीद रहे हैं. राजेश ने बताया कि उन्हें स्ट्रॉबेरी बेचने में कोई दिक्कत नहीं आती है. लोग उनकी खेतों में आकर भी उनकी स्ट्रॉबेरी खरीद कर ले जा रहे हैं. आज उनके वहां कई मजदूर स्ट्रॉबेरी का कारोबार से जुड़ चुके हैं.

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स्ट्रॉबेरी की खेती.

पढ़ें- देहरादूनः 1000 उपनल कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज


वहीं, सावल्दें से स्ट्रॉबेरी खरीदकर फड़ लगा रहे संजय ने कहा कि आज हम लोग स्ट्रॉबेरी खरीद कर कोसी बैराज और अन्य क्षेत्रों में बेच रहे हैं. हमारी स्ट्रॉबेरी आसानी से बिक जाती है. हमें इसकी अच्छी खासी कीमत मिल जाती है.

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स्ट्रॉबेरी की खेती.

पढ़ें- इन तीन गांवों में होली के दिन नहीं उड़ता अबीर-गुलाल, हो जाती है अनहोनी!


वहीं, इन सब को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता एवं सांसद प्रतिनिधि इंदर रावत कहते हैं कि लॉकडाउन में जो लोग बेरोजगार हो कर वापस रामनगर आए थे उन्होंने समाज तो नई राह दिखाई है. उन्होंने बताया कि रामनगर क्षेत्र में पहली बार स्ट्रॉबेरी का कारोबार शुरू किया गया है, जो कि काबिले तारिफ है. उन्होंने कहा इससे आज कई लोगों को रोजगार मिल रहा है.

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स्ट्राबेरी बेचते स्थानीय

रामनगर: उत्तराखंड के युवा नौकरी की भागदौड़ में दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों की ओर रुख करते रहते हैं, वहीं, कुछ युवा ऐसे भी हैं जो इन दिनों दिल्ली लौटकर स्वरोजगार को नये आयाम दे रहे हैं, रामनगर के राजेश इन्ही युवाओं में से एक हैं. लॉकडाउन जैसे मुश्किल हालातों में राजेश ने दिल्ली से लौट कर स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की. जिसके बाद राजेश की तकदीर ही बदल गई. आज राजेश न सिर्फ स्वरोजगार कर आत्मनिर्भर हैं बल्कि वे कई लोगों को भी रोजगार उपलब्ध करवा रहे हैं.

स्ट्राबेरी से स्वरोजगार

कॉर्बेट पार्क आने वाले पर्यटक इन दिनों बाघों के साथ ही झिरना जोन में जाते हुए रास्ते मे पड़ने वाले सावल्दें गांव में स्ट्राबेरी की खेती को भी देखना भी नहीं भूलते. लॉकडाउन में दिल्ली से रामनगर आए राजेश और सचिन ने हाल ही में यहां स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की, जो कि उनके लिए काफी फायदेमंद साबित हुई. नोएडा में रहने वाले राजेश ने लॉकडाउन के समय कारोबार से चिंतित होकर रामनगर के सावल्दें क्षेत्र में खुद की जमीन पर स्ट्रॉबेरी की खेती करने का मन बनाया. आज यही खेती राजेश के जीवन में खुशियों के रंग भरने लगी है. 3 महीने की खेती से ही राजेश को अच्छा खासा मुनाफा होने लगा है.

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स्ट्राबेरी से स्वरोजगार

बता दें स्ट्रॉबेरी का इस्तेमाल जूस के अलावा दवा और चॉकलेट में भी किया जाता है. स्ट्रॉबेरी के पौधे खुले में लगाए जाते हैं. इनसे 3 माह में ही फसल ली जाती है. इसके लिए खेती की अच्छी तरह जुताई करते हैं. खेत में अनेक मेड बनाई जाती हैं. इसमें अनेक पौधे लगाए जाते हैं .1 एकड़ में 22 से 25000 पौधे लगाए जाते हैं. राजेश ने विंटर स्टार किस्म की स्ट्रॉबेरी लगाई है. उन्होंने बताया कि स्ट्रॉबेरी की स्वीट शामली किस्म की फसल सबसे मीठी होती है.

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स्ट्राबेरी से स्वरोजगार

पढ़ें- भू-वैज्ञानिक बोले- चमोली आपदा से सबक लेने की जरूरत, भविष्य के लिए रहें तैयार

राजेश की स्ट्रॉबेरी को देखने के लिए कॉर्बेट पार्क घूमने आने वाले पर्यटक भी पहुंचते हैं. वही पर्यटक स्ट्रॉबेरी भी खरीद रहे हैं. राजेश ने बताया कि उन्हें स्ट्रॉबेरी बेचने में कोई दिक्कत नहीं आती है. लोग उनकी खेतों में आकर भी उनकी स्ट्रॉबेरी खरीद कर ले जा रहे हैं. आज उनके वहां कई मजदूर स्ट्रॉबेरी का कारोबार से जुड़ चुके हैं.

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स्ट्रॉबेरी की खेती.

पढ़ें- देहरादूनः 1000 उपनल कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज


वहीं, सावल्दें से स्ट्रॉबेरी खरीदकर फड़ लगा रहे संजय ने कहा कि आज हम लोग स्ट्रॉबेरी खरीद कर कोसी बैराज और अन्य क्षेत्रों में बेच रहे हैं. हमारी स्ट्रॉबेरी आसानी से बिक जाती है. हमें इसकी अच्छी खासी कीमत मिल जाती है.

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स्ट्रॉबेरी की खेती.

पढ़ें- इन तीन गांवों में होली के दिन नहीं उड़ता अबीर-गुलाल, हो जाती है अनहोनी!


वहीं, इन सब को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता एवं सांसद प्रतिनिधि इंदर रावत कहते हैं कि लॉकडाउन में जो लोग बेरोजगार हो कर वापस रामनगर आए थे उन्होंने समाज तो नई राह दिखाई है. उन्होंने बताया कि रामनगर क्षेत्र में पहली बार स्ट्रॉबेरी का कारोबार शुरू किया गया है, जो कि काबिले तारिफ है. उन्होंने कहा इससे आज कई लोगों को रोजगार मिल रहा है.

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स्ट्राबेरी बेचते स्थानीय
Last Updated : Mar 28, 2021, 6:40 PM IST
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