ETV Bharat / state

पुष्कर मावड़ी ने अपनी पुस्तक 'जुन्याली' में बताई पहाड़ की पीड़ा, लोग कर रहे सराहना - uttarakhand migration

अल्मोड़ा जिले के लिसेड़ी गांव के रहने वाले पुष्कर सिंह मावड़ी ने 'जुन्याली' नाम की पुस्तक लिखी है. इस पुस्तक में मावड़ी ने पहाड़ की पीड़ा को दर्शाया है. उन्होंने अपनी पुस्तक में सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और पलायन का जिक्र किया है.

haldwani
हल्द्वानी
author img

By

Published : Apr 16, 2022, 8:28 AM IST

हल्द्वानी: अल्मोड़ा निवासी पुष्कर सिंह मावड़ी ने अपनी पुस्तक 'जुन्याली' में पहाड़ की पीड़ा को बखूबी उतारा है. अल्मोड़ा जिले के ग्राम लिसेड़ी तहसील भिकियासैंण निवासी पुष्कर सिंह मावड़ी (Writer Pushkar Singh Mawdi) ने उत्तराखंड हो रहे पलायन पर एक किताब लिखी है, जिसका शीर्षक है 'जुन्याली'. इस किताब में पहाड़ की पीड़ा के साथ-साथ पहाड़ से होने वाले पलायन का जिक्र किया गया है.

पुस्तक में पहाड़ के सड़क, स्वास्थ्य सुविधाएं, शिक्षा,रोजगार आदि समस्याओं को लोगों के सामने रखने का कार्य किया है. यह पुस्तक दिखाती है कि कैसे धीरे-धीरे इन समस्याओं से जूझते हुए आम पहाड़ी पलायन कर रहा है. पुष्कर मावड़ी बताते हैं कि 'जुन्याली' पुस्तक की मुख्य किरदार एक पांच वर्षीय छोटी बच्ची है, जिसके इर्द-गिर्द ही इस कहानी को लिखा गया है. उस बच्ची को पहाड़ से होने वाले पलायन के विषय की कोई जानकारी नहीं है.

पुष्कर सिंह मावड़ी ने अपनी पुस्तक 'जुन्याली' में बताई पहाड़ की पीड़ा.

बच्ची अपने आंखों के सामने पहाड़ से हो रहे पलायन को देखती है लेकिन कोरोना लॉकडाउन में रिवर्स पलायन के बाद गांव दोबारा गुलजार हो गए, लेकिन उस बच्ची के सामने ही एक बार फिर गांव खाली हो रहे हैं. उन्होंने अपने पुस्तक में दर्शाया है कि उनके गांव के बुजुर्ग द्वारा बनाए गए मकान और खेतों को त्यागना नहीं चाहते हैं. लेकिन वर्तमान पीढ़ी को सुरक्षित जीवन देने के लिए पलायन करने पर मजबूर हैं. पुष्कर ने बताया कि उनके पुस्तक लिखने का मुख्य मकसद पहाड़ की पीड़ा को दिखाना है, जिससे कि सरकार भी पहाड़ के दर्द को समझ सके और युवा पहाड़ वापस लौट सकें.
पढ़ें- बदरीनाथ पहुंचे PMO उप सचिव मंगेश घिल्डियाल, निर्माण कार्यों का किया स्थलीय निरीक्षण

संस्कृति मंत्रालय (Ministry of Culture) के नैनीताल जिला कोऑर्डिनेटर गौरीशंकर कांडपाल (District Coordinator Gaurishankar Kandpal) का कहना है कि पुष्कर मावड़ी ने अपने पुस्तक में पहाड़ की पीड़ा को दर्शाया है, वह सराहनीय कार्य है. इस तरह से कार्य करने वाले लोगों को प्रोत्साहित करने को जरूरत है. साथ ही पहाड़ के युवाओं को चाहिए कि अपने कला और संस्कृति को बचाने के लिए आगे आए. इस तरह के लोगों को भारत सरकार की संस्कृति मंत्रालय द्वारा प्रोत्साहित भी किया जाता है.

हल्द्वानी: अल्मोड़ा निवासी पुष्कर सिंह मावड़ी ने अपनी पुस्तक 'जुन्याली' में पहाड़ की पीड़ा को बखूबी उतारा है. अल्मोड़ा जिले के ग्राम लिसेड़ी तहसील भिकियासैंण निवासी पुष्कर सिंह मावड़ी (Writer Pushkar Singh Mawdi) ने उत्तराखंड हो रहे पलायन पर एक किताब लिखी है, जिसका शीर्षक है 'जुन्याली'. इस किताब में पहाड़ की पीड़ा के साथ-साथ पहाड़ से होने वाले पलायन का जिक्र किया गया है.

पुस्तक में पहाड़ के सड़क, स्वास्थ्य सुविधाएं, शिक्षा,रोजगार आदि समस्याओं को लोगों के सामने रखने का कार्य किया है. यह पुस्तक दिखाती है कि कैसे धीरे-धीरे इन समस्याओं से जूझते हुए आम पहाड़ी पलायन कर रहा है. पुष्कर मावड़ी बताते हैं कि 'जुन्याली' पुस्तक की मुख्य किरदार एक पांच वर्षीय छोटी बच्ची है, जिसके इर्द-गिर्द ही इस कहानी को लिखा गया है. उस बच्ची को पहाड़ से होने वाले पलायन के विषय की कोई जानकारी नहीं है.

पुष्कर सिंह मावड़ी ने अपनी पुस्तक 'जुन्याली' में बताई पहाड़ की पीड़ा.

बच्ची अपने आंखों के सामने पहाड़ से हो रहे पलायन को देखती है लेकिन कोरोना लॉकडाउन में रिवर्स पलायन के बाद गांव दोबारा गुलजार हो गए, लेकिन उस बच्ची के सामने ही एक बार फिर गांव खाली हो रहे हैं. उन्होंने अपने पुस्तक में दर्शाया है कि उनके गांव के बुजुर्ग द्वारा बनाए गए मकान और खेतों को त्यागना नहीं चाहते हैं. लेकिन वर्तमान पीढ़ी को सुरक्षित जीवन देने के लिए पलायन करने पर मजबूर हैं. पुष्कर ने बताया कि उनके पुस्तक लिखने का मुख्य मकसद पहाड़ की पीड़ा को दिखाना है, जिससे कि सरकार भी पहाड़ के दर्द को समझ सके और युवा पहाड़ वापस लौट सकें.
पढ़ें- बदरीनाथ पहुंचे PMO उप सचिव मंगेश घिल्डियाल, निर्माण कार्यों का किया स्थलीय निरीक्षण

संस्कृति मंत्रालय (Ministry of Culture) के नैनीताल जिला कोऑर्डिनेटर गौरीशंकर कांडपाल (District Coordinator Gaurishankar Kandpal) का कहना है कि पुष्कर मावड़ी ने अपने पुस्तक में पहाड़ की पीड़ा को दर्शाया है, वह सराहनीय कार्य है. इस तरह से कार्य करने वाले लोगों को प्रोत्साहित करने को जरूरत है. साथ ही पहाड़ के युवाओं को चाहिए कि अपने कला और संस्कृति को बचाने के लिए आगे आए. इस तरह के लोगों को भारत सरकार की संस्कृति मंत्रालय द्वारा प्रोत्साहित भी किया जाता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.