रामनगर: पीपीपी मोड में चल रहे सरकारी अस्पताल की अव्यवस्थाओं के खिलाफ आज पूर्व ब्लॉक प्रमुख के नेतृत्व में लोगों ने एक दिवसीय धरना दिया. जिसमें पूर्व ब्लॉक प्रमुख के साथ क्षेत्रीय पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधानों ने भी धरने का समर्थन किया. इस दौरान सभी लोगों पीपीपी मोड हटाने और अस्पताल में पुरानी व्यवस्था चालू करने की मांग की.
गौरतलब है कि सरकारी अस्पताल विगत कुछ महीनों से पीपीपी ( पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशीप ) मोड में चल रहा है, लेकिन इस अस्पताल की बदतर स्थिति से क्षेत्रीय जनता काफी परेशान है. अस्पताल सफेद हाथी बन कर रह गया है. वहीं, धरने पर बैठे पूर्व ब्लॉक प्रमुख संजय नेगी ने कहा कि कुमाऊं और गढ़वाल का रामनगर एकमात्र अस्पताल है. जहां लोग इलाज कराने दूर-दूर से आते हैं, लेकिन इलाज ना मिलने पर उन्हें बाहर रेफर कर दिया जाता है.
ये भी पढ़े: देहरादून: कोरोना संकट के बीच 'ऑपरेशन एंबुलेंस', बेनकाब हुए कई चेहरे
वहीं, अस्पताल के पीपीपी मोड में जाने से लोगों को उम्मीद थी कि अब यह अस्पताल रेफर सेंटर से हटकर सारी सुविधाओं से भरपूर हो जाएगा. लेकिन इसकी हालत पहले से भी ज्यादा बदतर स्थिति हो गई. संजय नेगी ने कहा कि हमारी मांग है कि अस्पताल में प्रशिक्षित डॉक्टरों की तैनाती हो, न्यूरोलॉजिस्ट की नियुक्ति, महिला सर्जन और ब्लड बैंक चालू किया जाए. साथ ही अस्पताल को पीपीपी मोड में हटाने की मांग भी की.
इस मौके पर प्रदर्शनकारियों ने अस्पताल प्रबंधक के खिलाफ भी मोर्चा खोला. उन्होंने कहा कि आम मरीजों को इलाज ही नहीं मिल रहा है. अस्पताल को सिर्फ रेफर सेंटर बना दिया है. संजय नेगी ने कहा कि अगर प्रदेश की सरकार हमारी मांगों को नहीं मानती तो वह उग्र आंदोलन करेंगे.