हल्द्वानीः भारत के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती को हर साल 23 दिसंबर को किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है. भारत को कृषि प्रधान देश कहा जाता है. ऐसे में देश के किसान कृषि के क्षेत्र में विश्व में अपनी अलग पहचान बना चुके हैं. इन्हीं से एक हैं हल्द्वानी के रहने वाले प्रगतिशील किसान अनिल पांडे. जो पिछले 17 सालों से ऑर्गेनिक खेती का काम कर रहे हैं और साथ ही क्षेत्र के लगभग करीब 10,000 किसानों को जैविक खेती के लिए जागरूक भी कर चुके हैं. साथ ही प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत नैनीताल जनपद के किसानों को जैविक खेती का प्रशिक्षण भी दे रहे हैं.
नैनीताल जनपद के हिम्मतपुर गोरापड़ाव निवासी प्रगतिशील किसान अनिल पांडे ऐसे तो शिक्षा के क्षेत्र में अर्थशास्त्र से एम.ए. और प्राथमिक पशु उपचार व कृत्रिम गर्भधारण अवधि खेती में डिप्लोमा किए हुए हैं. लेकिन अनिल पांडे पिछले 17 सालों से जैविक खेती कर रहे हैं. इसके अलावा जनपद के लोगों को जैविक खेती का प्रशिक्षण भी दे रहे हैं. उन्होंने अब तक जनपद के करीब 10,000 किसानों को ऑर्गेनिक खेती के लिए जागरूक कर चुके हैं और अब वह किसान ऑर्गेनिक खेती के माध्यम से कृषि के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं.
यही नहीं उन्होंने जैविक खेती के लिए कई एनजीओ के अलावा लगभग 600 कार्यशाला का भी आयोजन कर चुके हैं, जिसके माध्यम से किसान अनिल पांडे जैविक खेती के खाद वर्मी कंपोस्ट, नाडेप, बंबू नाडेप, वर्मी वाश, जीवामृत, वेस्ट डी कंपोजर, गौमूत्र, जैविक खाद और कीटनाशक बनाने की विधि किसानों को बता चुके हैं, जिससे किसान ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं. यही नहीं अनिल पांडे ने अपने घर पर ही जैविक खेती के लिए समय-समय पर प्रदर्शनी भी लगाते हैं, जिसके जरिए किसान और कृषि छात्र उनके द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी में भाग लेते हैं.
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इतना ही नहीं पिछले 17 सालों से जैविक खेती पर काम कर रहे अनिल पांडे को विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा पुरस्कृत भी किया जा चुका है. वर्ष 2018 में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने उनको सर्वश्रेष्ठ जैविक प्रशिक्षण का अवॉर्ड भी दिया है.
प्रगतिशील किसान अनिल पांडे सरकार के प्रशिक्षित जैविक खेती के ट्रेनर हैं और सरकार द्वारा किसानों के लिए चलाई जा रही योजनाओं का प्रशिक्षण भी देते हैं. वहीं,अनिल पांडे का कहना है कि वर्तमान में बदलते कृषि के दौर को देखते हुए सरकार को चाहिए कि किसानों को ज्यादा से ज्यादा जैविक खेती से जोड़ा जाए, जिससे कि जमीनों की उर्वरक क्षमता खत्म ना हो. हानिकारक खाद और केमिकल भूमि लोगों के सेहत के लिए भी नुकसानदायक होता है इसलिए सरकार को चाहिए कि जैविक खेती के प्रोत्साहन के लिए लोगों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक करें और उनको जैविक बीज और खाद उपलब्ध कराएं, जिससे कि किसान जैविक खेती कर अपनी आमदनी बढ़ा सकें.