कालाढूंगी: राज्य सरकार व केंद्र सरकार भले ही उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में विकास के तमाम दावे करती है. लेकिन, जमीनी हकीकत की अगर बात की जाए तो पहाड़ों में अबतक मूलभूत सुविधाएं ही नहीं पहुंची हैं. इन्हीं में से एक है छड़ा और अणिया गांव. कोटाबाग विकासखंड में आने वाले इन गांवों में मोटर मार्ग का निर्माण दस महीने से रुका हुआ है. लेकिन, समस्या की सुध लेने वाला कोई नहीं है.
जिला मुख्यालय नैनीताल से महज 25 और विकासखंड कोटाबाग से 12 किलोमीटर की दूरी पर बसा राजस्व गांव छड़ा और अणिया मोटर मार्ग की वजह से पांच ग्राम सभाओं के करीब 4 से 5 हजार लोगों का जीवन प्रभावित हो रहा है. दोनों गांवों के लोगों की आजीविका खेती पर ही निर्भर करती है. लेकिन, सड़क न होने के कारण लोगों को मंडी तक पहुंचने में एक से दो दिन लग जाते हैं.
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ग्रामीण बताते हैं कि मंडी जाने के लिए खड़ी चढ़ाई चढ़कर लगभग 25 से 30 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. इसी वजह से खेती करने के बाद मंडी तक फसल पहुंचाना भी काफी मुश्किल हो जाता है. कई बार तो फसल घर में ही सड़ जाती है. इसके अलावा सड़क मार्ग तक पहुंचने के लिए भी कई किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है, जिस वजह से दैनिक दिनचर्या के लिए मूलभूत समान जुटाना भी मुश्किल हो जाता है.
ग्रामीणों का कहना है कि ठेकेदार गणेश पंत द्वारा प्रस्तावित मोटर मार्ग बनवाया जा रहा है. लेकिन, जब ग्रामीणों ने उनसे मार्ग निर्माण में हो रही देरी के बारे में पूछा तो उसने स्थानीय लोगों के साथ अभ्रदता करने के साथ ही उन्हें जान से मारने तक की धमकी दे डाली. मामले की शिकायत आला अधिकारियों से भी की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. उन्होंने बताया कि नैनीताल जिलाधिकारी को भी संयुक्त रूप से शिकायत पत्र लिखकर मामले से अवगत कराया गया है.
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ग्रामीणों की मानें तो यहां अस्पताल भी 5 से 10 किलोमीटर की दूरी पर है. कोट बाग सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचना भी मोटर मार्ग न होने की वजह से काफी मुश्किल हो जाता है. ग्रामीणों का कहना है कि सरकार के तमाम दावों और वादों की पोल खोलने के लिए छड़ा और अणिया जैसे सैकड़ों दूरस्थ गांव उत्तराखंड में मौजूद हैं, जहां विकास की किरण का लोग अरसों से इंतजार कर रहे हैं. स्थानीय निवासियों का कहना है कि उनका सब्र का बांध अब टूटने को है. जल्द कार्य शुरू नहीं किया गया तो उग्र आंदोलन किया जाएगा.
वहीं, मामले को लेकर नैनीताल विधायक संजीव आर्य ने बताया कि साढ़े 6 करोड़ की लागत से ये मोटर मार्ग स्वीकृत हुआ था. इस मार्ग पर एक पुल भी बनना है. इस सड़क मार्ग के लिए हर चरण के हिसाब से टेंडर होते हैं. इसी के तहत काम होता है. कोई कटान करता है तो कोई निर्माण. उन्होंने बताया कि आचार संहिता हटते ही ठेकेदार और विभागीय स्तर पर एक मीटिंग कर मामले की जांच की जाएगी. सड़क निर्माण पर जिसकी भी लापरवाही की वजह से देरी हुई है उनके खिलाफ कार्रवाई होगी. इसके अलावा उन्होंने बताया कि पीडब्ल्यूडी विभाग के एक्सईएन महेन्द्र कुमार से बात हो गई है उन्होंने जल्द सड़क निर्माण करने की बात कही.