हल्द्वानी: कुमाऊं के सबसे बड़े शहर हल्द्वानी में इन दिनों प्राइवेट नंबर प्लेट वाली एंबुलेंस सड़कों पर दौड़ रही हैं. शहर के सरकारी अस्पतालों के बाहर भी इन प्राइवेट एंबुलेंस संचालकों का बोलबाला है, जो लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर उनसे मनमाफिक पैसे वसूल रहे हैं. परिवहन विभाग और पुलिस प्रशासन अभी भी अनजान बना हुआ है.
नियमानुसार प्राइवेट एंबुलेंस संचालन का काम कमर्शियल वाहन से किया जाना चाहिए. इसके अलावा वाहन में मरीज के इलाज के लिए सभी आपातकालीन सुविधाएं उपलब्ध होनी जरूरी हैं. वहीं जिला स्वास्थ्य अधिकारी से एनओसी लेना भी अनिवार्य होता है. लेकिन, शहर के अधिकतर बड़े अस्पताल और एंबुलेंस संचालक प्राइवेट नंबर के वाहनों से एंबुलेंस सेवा का संचालन कर रहे हैं, जिसे अप्रशिक्षित चालक चला रहे हैं.
पढ़ें- कांग्रेस को EVM पर नहीं पाकिस्तान और आतंकियों पर भरोसा: अजय भट्ट
तिमारदारों का कहना है कि इस तरीके से सेवा संचालन करने का सीधा मतलब है कि अस्पताल और एंबुलेंस सेवा देने वाली कंपनी मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रही है. नियमानुसार प्राइवेट नंबर से संचालित एंबुलेंस वाहन अगर हादसे का शिकार होती है तो मरीज और तीमारदार को कोई भी क्लेम नहीं मिलता है. यही नहीं इन वाहन चालकों की लापरवाही के चलते पूर्व में कई हादसे भी हो चुके हैं. परिवहन विभाग और पुलिस विभाग ये सभी होता देख भी अनजान बने हुए हैं.
इस पूरे मामले में परिवहन विभाग के एआरटीओ गुरुदयाल ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के एनओसी के बाद एंबुलेंस वाहन का नंबर आवंटित होता है. अगर अस्पताल या एंबुलेंस सेवा संचालक प्राइवेट नंबर के वाहनों से एंबुलेंस सेवा का संचालन कर रहे हैं तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.