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खुलेआम उड़ रही नियमों की धज्जियां, सड़कों पर दौड़ रही प्राइवेट नंबर प्लेट वाली एंबुलेंस - कमर्शियल एंबुलेंस वाहन

हल्द्वानी के कई नामी अस्पतालों और एंबुलेंस संचालक बिना किसी डर के इन प्राइवेट नंबर प्लेट वाली गाड़ियों से एंबुलेंस सेवा का संचालन कर रहे हैं.

हल्द्वानी में प्राइवेट नंबर की एंबुलेंस.
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Published : May 22, 2019, 11:52 AM IST

हल्द्वानी: कुमाऊं के सबसे बड़े शहर हल्द्वानी में इन दिनों प्राइवेट नंबर प्लेट वाली एंबुलेंस सड़कों पर दौड़ रही हैं. शहर के सरकारी अस्पतालों के बाहर भी इन प्राइवेट एंबुलेंस संचालकों का बोलबाला है, जो लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर उनसे मनमाफिक पैसे वसूल रहे हैं. परिवहन विभाग और पुलिस प्रशासन अभी भी अनजान बना हुआ है.

नियमानुसार प्राइवेट एंबुलेंस संचालन का काम कमर्शियल वाहन से किया जाना चाहिए. इसके अलावा वाहन में मरीज के इलाज के लिए सभी आपातकालीन सुविधाएं उपलब्ध होनी जरूरी हैं. वहीं जिला स्वास्थ्य अधिकारी से एनओसी लेना भी अनिवार्य होता है. लेकिन, शहर के अधिकतर बड़े अस्पताल और एंबुलेंस संचालक प्राइवेट नंबर के वाहनों से एंबुलेंस सेवा का संचालन कर रहे हैं, जिसे अप्रशिक्षित चालक चला रहे हैं.

हल्द्वानी में प्राइवेट नंबर की एंबुलेंस.

पढ़ें- कांग्रेस को EVM पर नहीं पाकिस्तान और आतंकियों पर भरोसा: अजय भट्ट

तिमारदारों का कहना है कि इस तरीके से सेवा संचालन करने का सीधा मतलब है कि अस्पताल और एंबुलेंस सेवा देने वाली कंपनी मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रही है. नियमानुसार प्राइवेट नंबर से संचालित एंबुलेंस वाहन अगर हादसे का शिकार होती है तो मरीज और तीमारदार को कोई भी क्लेम नहीं मिलता है. यही नहीं इन वाहन चालकों की लापरवाही के चलते पूर्व में कई हादसे भी हो चुके हैं. परिवहन विभाग और पुलिस विभाग ये सभी होता देख भी अनजान बने हुए हैं.

इस पूरे मामले में परिवहन विभाग के एआरटीओ गुरुदयाल ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के एनओसी के बाद एंबुलेंस वाहन का नंबर आवंटित होता है. अगर अस्पताल या एंबुलेंस सेवा संचालक प्राइवेट नंबर के वाहनों से एंबुलेंस सेवा का संचालन कर रहे हैं तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

हल्द्वानी: कुमाऊं के सबसे बड़े शहर हल्द्वानी में इन दिनों प्राइवेट नंबर प्लेट वाली एंबुलेंस सड़कों पर दौड़ रही हैं. शहर के सरकारी अस्पतालों के बाहर भी इन प्राइवेट एंबुलेंस संचालकों का बोलबाला है, जो लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर उनसे मनमाफिक पैसे वसूल रहे हैं. परिवहन विभाग और पुलिस प्रशासन अभी भी अनजान बना हुआ है.

नियमानुसार प्राइवेट एंबुलेंस संचालन का काम कमर्शियल वाहन से किया जाना चाहिए. इसके अलावा वाहन में मरीज के इलाज के लिए सभी आपातकालीन सुविधाएं उपलब्ध होनी जरूरी हैं. वहीं जिला स्वास्थ्य अधिकारी से एनओसी लेना भी अनिवार्य होता है. लेकिन, शहर के अधिकतर बड़े अस्पताल और एंबुलेंस संचालक प्राइवेट नंबर के वाहनों से एंबुलेंस सेवा का संचालन कर रहे हैं, जिसे अप्रशिक्षित चालक चला रहे हैं.

हल्द्वानी में प्राइवेट नंबर की एंबुलेंस.

पढ़ें- कांग्रेस को EVM पर नहीं पाकिस्तान और आतंकियों पर भरोसा: अजय भट्ट

तिमारदारों का कहना है कि इस तरीके से सेवा संचालन करने का सीधा मतलब है कि अस्पताल और एंबुलेंस सेवा देने वाली कंपनी मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रही है. नियमानुसार प्राइवेट नंबर से संचालित एंबुलेंस वाहन अगर हादसे का शिकार होती है तो मरीज और तीमारदार को कोई भी क्लेम नहीं मिलता है. यही नहीं इन वाहन चालकों की लापरवाही के चलते पूर्व में कई हादसे भी हो चुके हैं. परिवहन विभाग और पुलिस विभाग ये सभी होता देख भी अनजान बने हुए हैं.

इस पूरे मामले में परिवहन विभाग के एआरटीओ गुरुदयाल ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के एनओसी के बाद एंबुलेंस वाहन का नंबर आवंटित होता है. अगर अस्पताल या एंबुलेंस सेवा संचालक प्राइवेट नंबर के वाहनों से एंबुलेंस सेवा का संचालन कर रहे हैं तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

Intro:स्लग- मरीजों और तीमारदारों के जान से खिलवाड़ करते प्राइवेट नंबर के एंबुलेंस वाहन।
रिपोर्टर -भावनाथ पंडित हल्द्वानी।

एंकर- कुमाऊ के सबसे बड़े शहर हल्द्वानी में इन दिनों प्राइवेट एंबुलेंस सेवा का जाल बिछा हुआ है। शहर के कई नामी अस्पतालों और एम्बुलेंस संचालकों द्वारा प्राइवेट नंबर के वाहन से एंबुलेंस सेवा का संचालन किया जा रहा है ।जो मरीजों और तीमारदारों के जान से खिलवाड़ किया हो रहा है। परिवहन विभाग और पुलिस प्रशासन जानकर भी अनजान बना हुआ है।
यही नहीं शहर के सरकारी अस्पतालों के बाहर प्राइवेट एंबुलेंस संचालक लोगों का मजबूरी का फायदा उठाकर मनमाफिक पैसा भी वसूल रहे हैं।


Body:दरअसल कुमाऊ के सबसे बड़े शहर हल्द्वानी में कई नामी-गिरामी अस्पताल है जिनके पास अपनी एंबुलेंस सेवा उपलब्ध है। कई ऐसे अस्पताल है जो एंबुलेंस सेवा का संचालन प्राइवेट नंबरों के वाहन से संचालित कर रहे हैं। जिसके चालक भी अनट्रेंड है। यही नहीं शहर के सरकारी अस्पतालों के बाहर भी प्राइवेट नंबर के एंबुलेंस संचालकों ने अपना जाल बिछा रखा है। जो मरीज़ो के मज़बूरी का फायदा उठाकर मनमाफिक पैसे भी वसूल रहे हैं और खुलेआम मरीज और तीमारदारों के जान से खिलवाड़ कर रहे हैं।

नियमानुसार प्राइवेट एंबुलेंस संचालन का काम कमर्शियल वाहन से किया जाना होता है । इसके अलावा वाहन में मरीज के इलाज के लिए सभी आपातकालीन सुविधा उपलब्ध होना जरूरी है। जिसके लिए जिला स्वास्थ्य अधिकारी से एनओसी लेना जरूरी होता है। लेकिन शहर के अधिकतर बड़े अस्पतालों और एंबुलेंस संचालक प्राइवेट नंबर के वाहनों के नंबर पर एंबुलेंस सेवा का संचालन कर रहे हैं। जिनको अप्रशिक्षित चालक संचालित कर रहे हैं। ऐसे में प्राइवेट नंबर के एंबुलेंस सेवा मरीजों और तीमारदारों के जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। नियमानुसार प्राइवेट नंबर से संचालित एम्बुलेंस वाहन का अगर कोई हादसा होता है तो मरीज और तीमारदार को कोई भी क्लेम नहीं मिल पाएगा। यही नहीं इन वाहन चालको की लापरवाही के चलते पूर्व में कई हादसे भी हो चुके हैं लेकिन परिवहन विभाग और पुलिस विभाग देख कर भी अनजान बना हुआ है।



Conclusion: इस पूरे मामले में परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग के एनओसी के बाद ही एम्बुलेंस वाहन का नंबर आवंटन किया जाता है। जो भी अस्पताल या एंबुलेंस सेवा संचालक प्राइवेट नंबर के वाहन से एंबुलेंस सेवा का संचालन करते हुए पाया जाएगा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
बाइट - गुरुदयाल सिंह ए आरटीओ परिवहन विभाग
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