हल्द्वानी: काठगोदाम-रानीबाग पुल वाहनों की आवाजाही के लिए खोल दिया गया है. लेकिन यह पुल अब सियासत का पुल बन चुका है. बीजेपी के पूर्व प्रदेश महामंत्री गजराज बिष्ट ने कहा कि रानीबाग पुल के क्षतिग्रस्त होने की जांच होनी चाहिए. वहीं, जो भी लापरवाह अधिकारी या ठेकेदार हो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.
गजराज बिष्ट ने कहा की पिछले साल उन्होंने निवर्तमान सीएम त्रिवेंद्र रावत से मिलकर रानीबाग नए पुल के लिए 7 करोड़ रुपये निर्गत किये थे. लेकिन नया पुल तो बना नहीं और दूसरा पुराना पुल का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया. रानीबाग पुल की डिमांड 40 वर्षों से आम जनता कर रही है. लेकिन 1 साल होने को है नया पुल अभी भी बनकर तैयार नहीं हो पाया है. पुराना पुल क्षतिग्रस्त होने के बाद आवाजाही के लिए खोल दिया गया है. आम जनता के लिहाज से यह ठीक नहीं है.
गजराज बिष्ट ने कहा है कि विभाग चाहता तो पुराने पुल में कोई अवरोध उत्पन्न नहीं होता और नया पुल भी एक साल में बनकर तैयार हो जाता. रानीबाग पुल के क्षतिग्रस्त होने में जो भी अधिकारी जिम्मेदार है उन्होंने मुख्यमंत्री से मिलकर इस मामले में जांच कराने की मांग की है.
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उधर, भीमताल से निर्दलीय विधायक राम सिंह कैड़ा का कहना है कि लोगों को यही पता नहीं है कि नए पुल के निर्माण के लिए पुल का पैसा कहां से आया? और पैसा कौन ला रहा है, उन्होंने नए पुल के लिए काफी दौड़ धूप की है और वह भीमताल क्षेत्र के विधायक हैं. उन्हें पता है कि पुल का पैसा कब और कहां से आएगा. उन्होंने कहा कि सियासत की पुल की बात जनता के निर्णय के ऊपर छोड़ देते हैं.
बता दें कि, कुछ समय पहले रानीबाग पुल का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था, जिससे आवाजाही पूरी तरीके से प्रभावित हो गई थी. पर्यटक और ग्रामीण पैदल ही आवाजाही करने को मजबूर थे. हालांकि, क्षतिग्रस्त पुल का निर्माण कार्य करने के बाद पुल को आवाजाही के लिए खोल दिय गया था.