हल्द्वानी: लगातार बढ़ती पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों के चलते महंगाई अपने चरम पर है. पेट्रोलियम पदार्थ के साथ-साथ लगातार खाद्य पदार्थों के बढ़ते दामों ने लोगों की रसोई का बजट बिगाड़ दिया है. सरसों का तेल हो या रिफाइंड के तेल की कीमत 2 महीने के भीतर दोगुनी हो गई है. दाल अब लोगों की थाली से धीरे-धीरे गायब हो रही है.
ऐसे में अब सब्जियों के दाम आसमान पर हैं. हरी सब्जियों के साथ-साथ अब टमाटर और प्याज ने लोगों के घरों के बजट को बिगाड़ दिया है. बाजारों में सेब जहां से ₹50 किलो से लेकर ₹60 किलो बिक रहे हैं, तो वहीं टमाटर और प्याज सेब से भी अधिक कीमत पर बिक रहे हैं. ऐसे में एक किलो खरीदे जाने वाले टमाटर और प्याज अब लोग एक पाव खरीदने को मजबूर हैं.
गौर हो कि हल्द्वानी मंडी में टमाटर और प्याज के दाम आसमान छू रहे हैं. एक माह पहले ₹30 किलो बिकने वाला टमाटर ₹60 से लेकर ₹70 किलो तक बिक रहा है. वहीं प्याज के दाम लोगों को रुला रहे हैं. 30 से ₹40 किलो बिकने वाला प्याज ₹55से लेकर ₹65 किलो बिक रहा है. यही हाल अन्य सब्जियों का है. जहां पहाड़ी आलू ₹25 किलो बिक रहा है, तोरई 30 से ₹40 किलो, गोभी ₹50 से ₹60 किलो बिक रही है.
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प्याज कारोबारी अमित असवानी की मानें तो नासिक, जयपुर सहित कई जगहों से भारी मात्रा में प्याज आता है. बरसात के चलते फसल खराब हो चुकी है. ये प्याज के दामों के बढ़ने का मुख्य कार्य कारण है. व्यापारियों की मानें तो पहाड़ के टमाटर के अलावा अन्य सब्जियां पहाड़ से नहीं आ रही हैं. क्योंकि पिछले दिनों भारी बरसात के चलते पहाड़ की सब्जी खराब हो चुकी है.
मैदानी क्षेत्रों से आने वाली सब्जियां अभी मंडियों तक नहीं पहुंच पा रही हैं. टमाटर का सीजन मैदानी क्षेत्रों में खत्म हो रहा है. इस कारण टमाटर सहित अन्य सब्जियां महंगी हो रही हैं. यहां तक कि नासिक सहित अन्य जगहों से आने वाला प्याज मंडी तक नहीं पहुंच पा रहा है. वहां भी बरसात के चलते पिछले दिनों प्याज की फसल भी खराब हो चुकी है. इसके अलावा पेट्रोलियम पदार्थों के दामों में वृद्धि होने के बाद बाहरी राज्यों से आने वाली सब्जियों के भाड़े में अधिक इजाफा हो गया है, जो महंगाई का मुख्य कारण है.