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बढ़ेगी लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र !, लोगों ने की PM के फैसले की सराहना

14 सितंबर से संसद का मानसून सत्र शुरू होने जा रहा है. पीएम मोदी के कहे अनुसार सत्र में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष किए जाने का प्रस्ताव पास किया जा सकता है. पीएम के इस फैसले की हल्द्वानी की महिलाओं और छात्राओं ने प्रशंसा की है.

Haldwani Hindi News
हल्द्वानी हिंदी न्यूज
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Published : Sep 9, 2020, 1:13 PM IST

Updated : Sep 9, 2020, 5:45 PM IST

हल्द्वानी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लड़कियों की शादी की उम्र 18 के बजाय 21 वर्ष करने की सहमति और मॉनसून सत्र के दौरान सदन में प्रस्ताव लाए जाने पर हल्द्वानी के लोगों ने प्रशंसा की है. प्रधानमंत्री के इस कदम को लोगों ने अच्छा बताया है. वहीं महिलाओं ने भी इस फैसले का स्वागत किया है. छात्राएं भी प्रधानमंत्री के इस फैसले की सराहना कर रही हैं. बता दें, पीएम पीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लड़कियों के लिए शादी की न्यूनतम आयु में बदलाव के संकेत दिए थे.

हल्द्वानी की समाजसेविका तनुजा जोशी ने कहा है कि लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल के बजाय 21 साल किए जाने से सबसे ज्यादा फायदा उन लड़कियों को मिलेगा जो शारीरिक रूप से कमजोर होती हैं. कई बार परिवार के दबाव में आकर लड़कियों को मजबूरी में 18 साल की उम्र में शादी करनी पड़ती है, ऐसे में पीएम मोदी के इस फैसले से लड़कियां जबरदस्ती शादी करने के दबाव से बचेंगी. जिससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास हो सकेगा और वो अपने पैरों पर खड़े हो सकेंगी.

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यूनिसेफ द्वारा जारी आंकड़े.

पढ़ें- चोपड़ियो गांव में नियमों के विपरीत लग रहा है स्टोन क्रशर, रिपोर्ट में हुआ खुलासा

21 साल की उम्र तक समझदार हो जाती है लड़की

वहीं, छात्राओं की मानें तो लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल से 21 साल कर दी जाए तो सबसे ज्यादा फायदा छात्राओं को मिलेगा. क्योंकि, 21 साल तक छात्राएं ग्रेजुएशन कर नौकरी की तलाश कर अपने पैरों पर खड़े हो सकेंगी. साथ ही लड़कियां 21 साल की उम्र में पूरी तरह से मेच्योर हो जाएंगी और अपना कोई भी निर्णय ले सकती हैं.

हल्द्वानी के लोगों ने पीएम मोदी के फैसले की सराहना.

18 साल की लड़की को गर्भधारण करने में जान का खतरा- ऊषा जंगपांगी

हल्द्वानी के महिला चिकित्सालय की चिकित्साधीक्षक ऊषा जंगपांगी का कहना है कि 18 साल की उम्र की लड़कियां पूरी तरह से मेच्योर नहीं हो पाती हैं. 18 साल की उम्र में शादी हो जाने की स्थिति में गर्भधारण के दौरान कई तरह की समस्या सामने आती हैं. डिलीवरी के दौरान जच्चा बच्चा की जान का खतरा बना रहता है.

पढ़ें- हिमालय दिवस 2020: हिमालय बचेगा तो हम बचेंगे

शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर पर लगेगी रोक- ऊषा जंगपांगी

उन्होंने कहा कि 18 वर्ष की युवतियों में हार्मोन्स की कमी होती है. अगर 21 साल की उम्र में शादी कर दी जाए तो हार्मोन्स ठीक रहते हैं. साथ ही महिलाओं के स्वास्थ्य के साथ बच्चा भी स्वस्थ पैदा होता है. डॉ. ऊषा जंगपांगी ने कहा कि अगर लड़की की शादी 21 साल बाद की जाए तो शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर पर भी रोक लगेगी. साथ ही जनसंख्या नियंत्रण पर भी लगाम लगेगी.

कानूनी जानकार ने किया PM के फैसले का स्वागत

कानूनी जानकार भी मान रहे हैं कि लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल से 21 साल हो जाए तो बाल विवाह की घटनाएं कम होंगी. कई बार लड़के और लड़कियां कोर्ट मैरिज के लिए 18 साल की उम्र का इंतजार करते हैं. ऐसे में 18 साल की लड़की पूरी तरह से मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत नहीं होती है और झांसे में आकर कम उम्र में शादी तो कर लेती है जिसका नतीजा कई बार घातक भी होता है. शादी की उम्र 21 साल कर दी जाए तो लड़कियों को सोचने का मौका मिलेगा.

फिलहाल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस फैसले की चौतरफा सराहना की जा रही है. लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 21 साल पुनर्विचार करने और मॉनसून सत्र के दौरान सदन में प्रस्ताव लाए जाने के फैसले का स्वागत किया जा रहा है.

हल्द्वानी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लड़कियों की शादी की उम्र 18 के बजाय 21 वर्ष करने की सहमति और मॉनसून सत्र के दौरान सदन में प्रस्ताव लाए जाने पर हल्द्वानी के लोगों ने प्रशंसा की है. प्रधानमंत्री के इस कदम को लोगों ने अच्छा बताया है. वहीं महिलाओं ने भी इस फैसले का स्वागत किया है. छात्राएं भी प्रधानमंत्री के इस फैसले की सराहना कर रही हैं. बता दें, पीएम पीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लड़कियों के लिए शादी की न्यूनतम आयु में बदलाव के संकेत दिए थे.

हल्द्वानी की समाजसेविका तनुजा जोशी ने कहा है कि लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल के बजाय 21 साल किए जाने से सबसे ज्यादा फायदा उन लड़कियों को मिलेगा जो शारीरिक रूप से कमजोर होती हैं. कई बार परिवार के दबाव में आकर लड़कियों को मजबूरी में 18 साल की उम्र में शादी करनी पड़ती है, ऐसे में पीएम मोदी के इस फैसले से लड़कियां जबरदस्ती शादी करने के दबाव से बचेंगी. जिससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास हो सकेगा और वो अपने पैरों पर खड़े हो सकेंगी.

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यूनिसेफ द्वारा जारी आंकड़े.

पढ़ें- चोपड़ियो गांव में नियमों के विपरीत लग रहा है स्टोन क्रशर, रिपोर्ट में हुआ खुलासा

21 साल की उम्र तक समझदार हो जाती है लड़की

वहीं, छात्राओं की मानें तो लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल से 21 साल कर दी जाए तो सबसे ज्यादा फायदा छात्राओं को मिलेगा. क्योंकि, 21 साल तक छात्राएं ग्रेजुएशन कर नौकरी की तलाश कर अपने पैरों पर खड़े हो सकेंगी. साथ ही लड़कियां 21 साल की उम्र में पूरी तरह से मेच्योर हो जाएंगी और अपना कोई भी निर्णय ले सकती हैं.

हल्द्वानी के लोगों ने पीएम मोदी के फैसले की सराहना.

18 साल की लड़की को गर्भधारण करने में जान का खतरा- ऊषा जंगपांगी

हल्द्वानी के महिला चिकित्सालय की चिकित्साधीक्षक ऊषा जंगपांगी का कहना है कि 18 साल की उम्र की लड़कियां पूरी तरह से मेच्योर नहीं हो पाती हैं. 18 साल की उम्र में शादी हो जाने की स्थिति में गर्भधारण के दौरान कई तरह की समस्या सामने आती हैं. डिलीवरी के दौरान जच्चा बच्चा की जान का खतरा बना रहता है.

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शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर पर लगेगी रोक- ऊषा जंगपांगी

उन्होंने कहा कि 18 वर्ष की युवतियों में हार्मोन्स की कमी होती है. अगर 21 साल की उम्र में शादी कर दी जाए तो हार्मोन्स ठीक रहते हैं. साथ ही महिलाओं के स्वास्थ्य के साथ बच्चा भी स्वस्थ पैदा होता है. डॉ. ऊषा जंगपांगी ने कहा कि अगर लड़की की शादी 21 साल बाद की जाए तो शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर पर भी रोक लगेगी. साथ ही जनसंख्या नियंत्रण पर भी लगाम लगेगी.

कानूनी जानकार ने किया PM के फैसले का स्वागत

कानूनी जानकार भी मान रहे हैं कि लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल से 21 साल हो जाए तो बाल विवाह की घटनाएं कम होंगी. कई बार लड़के और लड़कियां कोर्ट मैरिज के लिए 18 साल की उम्र का इंतजार करते हैं. ऐसे में 18 साल की लड़की पूरी तरह से मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत नहीं होती है और झांसे में आकर कम उम्र में शादी तो कर लेती है जिसका नतीजा कई बार घातक भी होता है. शादी की उम्र 21 साल कर दी जाए तो लड़कियों को सोचने का मौका मिलेगा.

फिलहाल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस फैसले की चौतरफा सराहना की जा रही है. लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 21 साल पुनर्विचार करने और मॉनसून सत्र के दौरान सदन में प्रस्ताव लाए जाने के फैसले का स्वागत किया जा रहा है.

Last Updated : Sep 9, 2020, 5:45 PM IST
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