रामनगर: आम जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सके, इसको लेकर सरकार ने रामनगर के रामदास जोशी संयुक्त चिकित्सालय को पीपीपी (public Private Partnership) मोड पर दिया था, लेकिन यहां स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर होने के बचाए बिगड़ती चली गई. हालांकि इसका बड़ा कारण सीएमएस और चिकित्सालय प्रबंधक की आपसी खींचतान बताया जा रहा है. यहां आने वाला मरीज सीएमएस और चिकित्सालय प्रबंधक की आपसी खींचतान के बीच पिस कर रह गया है.
हॉस्पिटल के हालात इतने खराब हो गए है, यहां आने वाले मरीजों को न तो समय से दवाईयां मिल रही है और न ही कोई अन्य सुविधा. यहां पर मरीजों का इलाज राम भरोसे किया जा रहा है. आखिर में परेशान होकर मरीजों को प्राइवेट हॉस्पिटलों का रूख करना पड़ रहा है, जो उनकी जेब पर ज्यादा भारी पड़ रहा है. ताज्जूब की बात तो यह है कि इतना सब कुछ होने के बाद भी स्थानीय जनप्रतिनिधि और सरकार पूरी तरह खामोश हैं.
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वहीं, मरीजों का आरोप है कि डॉक्टर जो दवाई लिख रहे है, वो हॉस्पिटल से मौजूद ही नहीं है. ऐसे में उन्हें बाहर से दवाई लेनी पड़ रही है. वहीं, इस मामले में रामदास जोशी संयुक्त चिकित्सालय के प्रबंधक डॉ प्रतीक ने बताया कि फरवरी 2022 से चिकित्सालय की सीएमएस ने दवाई के करीब डेढ़ करोड़ रुपए के बिल का भुगतान नहीं किया गया है, जिस कारण मरीजों को यह परेशानी उठानी पड़ रही है.
उन्होंने कहा कि इमरजेंसी के तौर पर कुछ दवाए वह अपने संसाधनों से खरीद रहे हैं. वहीं इस मसले पर हॉस्पिटल की सीएमएस डॉक्टर चंद्रा पंत का कहना है कि अस्पताल में सभी दवाएं उपलब्ध है, पीपीपी मोड द्वारा जो दवा की लिस्ट दी जाती है, वह उपलब्ध कराई जा रही है. रुके हुए पेमेंट के बारे में उन्होंने बताया कि कुछ पेमेंट पास हो गई है. बाकी रुके हुए बिलों का भी भुगतान शीघ्र कर दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि अस्पताल में दवा होने के बाद भी मरीजों को बाहर से दवाई लिखने की जांच की जाएगी.