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हर साल बढ़ रहे HIV के मरीज, जन जागरुकता के बाद भी नहीं पड़ा असर

दुनिया भर में HIV संक्रमण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल एक दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है. एचआईवी एक ऐसी बीमारी है, जो सिर्फ बच्चों और युवाओं में ही नहीं बल्कि किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है.

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विश्व एड्स दिवस.
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Published : Dec 1, 2019, 1:09 PM IST

हल्द्वानी: एक दिसंबर हर वर्ष विश्व एड्स दिवस के रूप में मनाया जाता है. एचआईवी संक्रमण से रोकने के लिए जन जागरुकता के साथ-साथ सरकार की कई योजनाएं चल रही हैं. जिससे एचआईवी पर रोक लगाई जा सके इसके बावजूद हर साल एचआईवी रोगियों की संख्या में इजाफा देखा जा रहा है. स्वास्थ्य सुविधाओं और जागरुकता के बाद भी एचआईवी पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही हैं

बता दें कि दुनियाभर में HIV संक्रमण के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए हर साल एक दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है. एचआईवी एक ऐसी बीमारी है, जो सिर्फ बच्चों और युवाओं में ही नहीं बल्कि किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है. कुमाऊं मंडल में लगातार एचआईवी के रोगियों में इजाफा देखा जा रहा है. साल 2017-18 में 243 एचआईवी मरीज पाए गए, जिसमें 133 पुरुष, 96 महिलाएं और 14 बच्चे शामिल थे. वहीं, साल 2018-19 में 287 मरीज एचआईवी के पाए गए जिसमें 165 पुरुष, 107 महिलाएं और 15 बच्चे शामिल थे. इस साल अप्रैल 2019 से 30 नवंबर तक 234 एचआईवी के मरीज पाए गए हैं. जिसमें 141 पुरुष, 80 महिलाएं और 13 बच्चे शामिल हैं

पढ़ें- उत्तराखंड में ये हैं आज पेट्रोल-डीजल के दाम, यहां देखें रेट

वहीं, सुशीला तिवारी अस्पताल के डॉ. अशोक कुमार ने बताया कि अस्पताल के एआरटी सेंटर में सभी मरीजों का डाटा रखा गया है. साथ ही मरीजों का उपचार भी लगातार जारी है. इनमें से अधिकतर मरीज स्वस्थ होकर अपने काम में लगे हुए हैं. इस बीमारी पर धीरे-धीरे रोकथाम का प्रयास किया जा रहा है.

हल्द्वानी: एक दिसंबर हर वर्ष विश्व एड्स दिवस के रूप में मनाया जाता है. एचआईवी संक्रमण से रोकने के लिए जन जागरुकता के साथ-साथ सरकार की कई योजनाएं चल रही हैं. जिससे एचआईवी पर रोक लगाई जा सके इसके बावजूद हर साल एचआईवी रोगियों की संख्या में इजाफा देखा जा रहा है. स्वास्थ्य सुविधाओं और जागरुकता के बाद भी एचआईवी पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही हैं

बता दें कि दुनियाभर में HIV संक्रमण के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए हर साल एक दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है. एचआईवी एक ऐसी बीमारी है, जो सिर्फ बच्चों और युवाओं में ही नहीं बल्कि किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है. कुमाऊं मंडल में लगातार एचआईवी के रोगियों में इजाफा देखा जा रहा है. साल 2017-18 में 243 एचआईवी मरीज पाए गए, जिसमें 133 पुरुष, 96 महिलाएं और 14 बच्चे शामिल थे. वहीं, साल 2018-19 में 287 मरीज एचआईवी के पाए गए जिसमें 165 पुरुष, 107 महिलाएं और 15 बच्चे शामिल थे. इस साल अप्रैल 2019 से 30 नवंबर तक 234 एचआईवी के मरीज पाए गए हैं. जिसमें 141 पुरुष, 80 महिलाएं और 13 बच्चे शामिल हैं

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वहीं, सुशीला तिवारी अस्पताल के डॉ. अशोक कुमार ने बताया कि अस्पताल के एआरटी सेंटर में सभी मरीजों का डाटा रखा गया है. साथ ही मरीजों का उपचार भी लगातार जारी है. इनमें से अधिकतर मरीज स्वस्थ होकर अपने काम में लगे हुए हैं. इस बीमारी पर धीरे-धीरे रोकथाम का प्रयास किया जा रहा है.

Intro:sammry- विश्व एड्स दिवस: कुमाऊं मंडल में हर साल बढ़ रहे हैं एड्स के रोगी पहाड़ भी नहीं है अछूते।( स्पेशल खबर एड्स दिवस) एंकर- 1 दिसंबर को हर वर्ष एड्स दिवस के रूप में मनाया जाता है। एचआईवी संक्रमण से रोकने के लिए जन जागरूकता के साथ-साथ सरकार कई योजनाएं चला रही है जिससे कि एचआईवी पर रोक लगाई जा सके इसके बावजूद भी हर साल एचआईवी के रोगियों की संख्या में इजाफा देखा जा रहा है।


Body:1988 से हर वर्ष 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस के रूप में मनाया जाता है इसका उद्देश्य एचआईवी से लोगों को बचाना है। एचआईवी रोग के लिए जागरूकता कार्यक्रम, चर्चाएं गोष्टी की आयोजन की जाती है और इस जानलेवा रोग के बारे में लोगों को जागरूक किया जाता है। लेकिन कुमाऊँ मंडल में लगातार एचआईवी के रोगियों में इजाफा देखा जा रहा है बात कुमाऊं मंडल की करें तो वर्ष 2017-18 में 243 एचआईवी मरीज पाए गए जिसमें 133 पुरुष 96 महिलाएं और 14 बच्चे शामिल थे। वर्ष 2018-19 में 287 मरीज पाए गए जिसमें 165 पुरुष 107 महिलाएं और 15 बच्चे शामिल थे। इस वर्ष अप्रैल 2019 से 30 नवंबर यानी 8 महीनों में अभी तक 234 एचआईवी के मरीज पाए गए हैं जिसमें 141 पुरुष 80 महिलाएं और 13 बच्चे शामिल हैं।


Conclusion:वही सुशीला तिवारी art सेंटर के डॉ अशोक कुमार का कहना है कि सुशीला तिवारी a.r.t.सेंटर में सभी मरीजों का डाटा रखा गया है और इनका उपचार भी किया जाता है अधिकतर मरीज इसमें स्वस्थ होकर अपने काम में लगे हुए हैं और इस बीमारी पर धीरे-धीरे रोकथाम लग रहा है। उन्होंने बताया कि इस बीमारी के रोकथाम के लिए लोगों को खुद जागरूक होना पड़ेगा तभी इस बीमारी को रोका जा सकेगा। बाइट डॉक्टर अशोक कुमार ए आर टी सेंटर सुशीला तिवारी अस्पताल
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