नैनीताल/बागेश्वर/चंपावत: पूरे उत्तराखंड में मां नंदा- सुनंदा महोत्सव का डोली यात्रा के साथ समापन हो गया है. इस दौरान पूरे राज्य में मेले की धूम रही. इसी क्रम में नैनीताल, बागेश्वर और चंपावत में भी मां की डोली यात्रा के साथ मेले का समापन हो गया है.
बता दें कि प्रत्येक वर्ष की नैनीताल, बागेश्वर और चंपावत में में मां नंदा सुनंदा की डोली का नगर भ्रमण कराया गया. इस दौरान भक्तों ने मां की सुंदर झांकियां निकाली. इन झांकियों में उत्तराखंड की लोक नृत्य छोलिया का भी प्रदर्शन किया गया. वहीं नैनीताल में मां काली और शिव पार्वती की डोली मुख्य आकर्षण का केंद्र रही. डोली भृमण के दौरान स्थानीय लोगों के साथ-साथ नैनीताल घूमने आए पर्यटकों ने भी मां की डोली भ्रमण में प्रतिभाग किया. जिसके बाद नैनीझील में डोली का विसर्जन करते हुए मेले का समापन किया गया.
वहीं, बागेश्वर में आज सुबह मंत्रोचारण के साथ मां नंदा-सुनंदा की आराधना की गई. दोपहर में रामलीला कमेटी द्वारा पूरे नगर क्षेत्र में मां नंदा-सुनंदा का डोला निकाला गया. जिसमें भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे. जिसके बाद शाम को सरयू नदी के तट पर श्रद्धालुओं ने नम आंखों से मां नंदा-सुनंदा की मूर्तियों का विसर्जन कर विदाई दी.
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उधर, चंपावत मे भी मां नंदा सुनंदा की साज सजावट के डोला तैयार किया गया. शाम 5 बजे बालेश्वर मंदिर से नागनाथ मंदिर तक मां नंदा सुनंदा की डोला यात्रा निकली गई. इस दौरान महिलाओं ने पारंपरिक परिधान में मांनंदा सुनंदा के गीत गाते हुए देव डांगरों और डोले पर पुष्प और चावल की वर्षा की. वहीं नंदा-सुनंदा की मूर्तियों के विसर्जन के साथ महोत्सव का समापन हो गया है.
गौर हो कि कुमाऊं में मां नंदा-सुनंदा को कुल देवी के रूप में पूजा जाता है. जिसके चलते हर साल नंदा देवी महोत्सव मनाया जाता है. इकी क्रम में इस साल मेला 3 सितंबर से 8 सितंबर तक चला. इस महोत्सव के दौरान मां की मूर्तियों को पूरी तरह से प्राकृतिक वस्तुओं से बनाई जाती हैं मूर्ति का निर्माण केले के पेड़, प्राकृतिक रंग,घास, रुई और कपड़े समेत पर्यावरण प्रिय वस्तुओं से किया जाता है.