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उत्तराखंड में शोभायात्रा के साथ हुआ नंदा-सुनंदा महोत्सव का समापन, श्रद्धालुओं का लगा तांता

प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी नैनीताल, बागेश्वर और चंपावत में में मां नंदा सुनंदा की डोली के नगर भ्रमण के बाद मेले का समापन हो गया है.इस साल मेला 3 सितंबर से 8 सितंबर तक चला. जिसमें लाखों श्रद्धालुओं ने मां के दर्शन किए.

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Published : Sep 8, 2019, 9:30 PM IST

Updated : Sep 9, 2019, 12:03 AM IST

उत्तराखंड में मां की डोली यात्रा के साथ हुआ नंदा-सुनंदा महोत्सव का समापन.

नैनीताल/बागेश्वर/चंपावत: पूरे उत्तराखंड में मां नंदा- सुनंदा महोत्सव का डोली यात्रा के साथ समापन हो गया है. इस दौरान पूरे राज्य में मेले की धूम रही. इसी क्रम में नैनीताल, बागेश्वर और चंपावत में भी मां की डोली यात्रा के साथ मेले का समापन हो गया है.

उत्तराखंड में मां की डोली यात्रा के साथ हुआ नंदा-सुनंदा महोत्सव का समापन.

बता दें कि प्रत्येक वर्ष की नैनीताल, बागेश्वर और चंपावत में में मां नंदा सुनंदा की डोली का नगर भ्रमण कराया गया. इस दौरान भक्तों ने मां की सुंदर झांकियां निकाली. इन झांकियों में उत्तराखंड की लोक नृत्य छोलिया का भी प्रदर्शन किया गया. वहीं नैनीताल में मां काली और शिव पार्वती की डोली मुख्य आकर्षण का केंद्र रही. डोली भृमण के दौरान स्थानीय लोगों के साथ-साथ नैनीताल घूमने आए पर्यटकों ने भी मां की डोली भ्रमण में प्रतिभाग किया. जिसके बाद नैनीझील में डोली का विसर्जन करते हुए मेले का समापन किया गया.

वहीं, बागेश्वर में आज सुबह मंत्रोचारण के साथ मां नंदा-सुनंदा की आराधना की गई. दोपहर में रामलीला कमेटी द्वारा पूरे नगर क्षेत्र में मां नंदा-सुनंदा का डोला निकाला गया. जिसमें भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे. जिसके बाद शाम को सरयू नदी के तट पर श्रद्धालुओं ने नम आंखों से मां नंदा-सुनंदा की मूर्तियों का विसर्जन कर विदाई दी.

ये भी पढ़े: चन्द्रयान-2 मिशन सभी बाधाओं को पार करेगा : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

उधर, चंपावत मे भी मां नंदा सुनंदा की साज सजावट के डोला तैयार किया गया. शाम 5 बजे बालेश्वर मंदिर से नागनाथ मंदिर तक मां नंदा सुनंदा की डोला यात्रा निकली गई. इस दौरान महिलाओं ने पारंपरिक परिधान में मांनंदा सुनंदा के गीत गाते हुए देव डांगरों और डोले पर पुष्प और चावल की वर्षा की. वहीं नंदा-सुनंदा की मूर्तियों के विसर्जन के साथ महोत्सव का समापन हो गया है.

गौर हो कि कुमाऊं में मां नंदा-सुनंदा को कुल देवी के रूप में पूजा जाता है. जिसके चलते हर साल नंदा देवी महोत्सव मनाया जाता है. इकी क्रम में इस साल मेला 3 सितंबर से 8 सितंबर तक चला. इस महोत्सव के दौरान मां की मूर्तियों को पूरी तरह से प्राकृतिक वस्तुओं से बनाई जाती हैं मूर्ति का निर्माण केले के पेड़, प्राकृतिक रंग,घास, रुई और कपड़े समेत पर्यावरण प्रिय वस्तुओं से किया जाता है.

नैनीताल/बागेश्वर/चंपावत: पूरे उत्तराखंड में मां नंदा- सुनंदा महोत्सव का डोली यात्रा के साथ समापन हो गया है. इस दौरान पूरे राज्य में मेले की धूम रही. इसी क्रम में नैनीताल, बागेश्वर और चंपावत में भी मां की डोली यात्रा के साथ मेले का समापन हो गया है.

उत्तराखंड में मां की डोली यात्रा के साथ हुआ नंदा-सुनंदा महोत्सव का समापन.

बता दें कि प्रत्येक वर्ष की नैनीताल, बागेश्वर और चंपावत में में मां नंदा सुनंदा की डोली का नगर भ्रमण कराया गया. इस दौरान भक्तों ने मां की सुंदर झांकियां निकाली. इन झांकियों में उत्तराखंड की लोक नृत्य छोलिया का भी प्रदर्शन किया गया. वहीं नैनीताल में मां काली और शिव पार्वती की डोली मुख्य आकर्षण का केंद्र रही. डोली भृमण के दौरान स्थानीय लोगों के साथ-साथ नैनीताल घूमने आए पर्यटकों ने भी मां की डोली भ्रमण में प्रतिभाग किया. जिसके बाद नैनीझील में डोली का विसर्जन करते हुए मेले का समापन किया गया.

वहीं, बागेश्वर में आज सुबह मंत्रोचारण के साथ मां नंदा-सुनंदा की आराधना की गई. दोपहर में रामलीला कमेटी द्वारा पूरे नगर क्षेत्र में मां नंदा-सुनंदा का डोला निकाला गया. जिसमें भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे. जिसके बाद शाम को सरयू नदी के तट पर श्रद्धालुओं ने नम आंखों से मां नंदा-सुनंदा की मूर्तियों का विसर्जन कर विदाई दी.

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उधर, चंपावत मे भी मां नंदा सुनंदा की साज सजावट के डोला तैयार किया गया. शाम 5 बजे बालेश्वर मंदिर से नागनाथ मंदिर तक मां नंदा सुनंदा की डोला यात्रा निकली गई. इस दौरान महिलाओं ने पारंपरिक परिधान में मांनंदा सुनंदा के गीत गाते हुए देव डांगरों और डोले पर पुष्प और चावल की वर्षा की. वहीं नंदा-सुनंदा की मूर्तियों के विसर्जन के साथ महोत्सव का समापन हो गया है.

गौर हो कि कुमाऊं में मां नंदा-सुनंदा को कुल देवी के रूप में पूजा जाता है. जिसके चलते हर साल नंदा देवी महोत्सव मनाया जाता है. इकी क्रम में इस साल मेला 3 सितंबर से 8 सितंबर तक चला. इस महोत्सव के दौरान मां की मूर्तियों को पूरी तरह से प्राकृतिक वस्तुओं से बनाई जाती हैं मूर्ति का निर्माण केले के पेड़, प्राकृतिक रंग,घास, रुई और कपड़े समेत पर्यावरण प्रिय वस्तुओं से किया जाता है.

Intro:एंकर- बागेश्वर में नंदा- सुनंदा महोत्सव की धूम मची हुई है। आज रामलीला कमेटी द्वारा नगर में नंदा- सुनंदा का डोला भ्रमण कार्यक्रम आयोजित किया गया। सरयू नदी में मूर्ति विसर्जन कर महोत्सव का समापन किया गया।

वीओ- विगत तीन दिनों से चले आ रहे नंदा- सुनंदा महोत्सव से नगर में भक्तिमय माहौल बना हुआ है। भारी संख्या में नुमाईशखेत स्थित रामलीला मंच में मां नंदा- सुनंदा की पूजा अर्चना को भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। आज सुबह मंत्रोचारण के साथ मां नंदा-सुनंदा की आराधना की गई। दोपहर में रामलीला कमेटी द्वारा पूरे नगर क्षेत्र में मां नंदा-सुनंदा का डोला निकाला। जिसमे भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। नगर माँ के जयकारों से गूंज उठा। जिसके बाद शाम को सरयू नदी के तट पर श्रद्धालुओं ने नम आंखों से मां नंदा-सुनंदा की मूर्तियों का विसर्जन कर विदाई दी। इसी के साथ महोत्सव का समापन हुआ।

बाईट 01- कौशल उपाध्याय, सचिव रामलीला कमेटी बागेश्वर।Body:वीओ- विगत तीन दिनों से चले आ रहे नंदा- सुनंदा महोत्सव से नगर में भक्तिमय माहौल बना हुआ है। भारी संख्या में नुमाईशखेत स्थित रामलीला मंच में मां नंदा- सुनंदा की पूजा अर्चना को भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। आज सुबह मंत्रोचारण के साथ मां नंदा-सुनंदा की आराधना की गई। दोपहर में रामलीला कमेटी द्वारा पूरे नगर क्षेत्र में मां नंदा-सुनंदा का डोला निकाला। जिसमे भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। नगर माँ के जयकारों से गूंज उठा। जिसके बाद शाम को सरयू नदी के तट पर श्रद्धालुओं ने नम आंखों से मां नंदा-सुनंदा की मूर्तियों का विसर्जन कर विदाई दी। इसी के साथ महोत्सव का समापन हुआ।

बाईट 01- कौशल उपाध्याय, सचिव रामलीला कमेटी बागेश्वर।Conclusion:
Last Updated : Sep 9, 2019, 12:03 AM IST
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