नैनीताल: वित्तीय संकट से जूझ रहे नगर पालिका की राज्य सरकार द्वारा की जा रही उपेक्षा के विरोध में पालिका अध्यक्ष सचिन नेगी ने पांचवें दिन भी आमरण अनशन जारी रखा है. पालिका अध्यक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह नगर पालिका की उपेक्षा कर रही है और वित्तीय वर्ष 2017-18 का बजट अवमुक्त नहीं कर रही है.
पालिका अध्यक्ष सचिन नेगी का कहना है कि बजट नहीं मिलने से पालिका कर्मचारियों के सामने वित्तीय संकट खड़ा हो गया है. कर्मचारियों को वेतन देने समेत रिटायर हुए कर्मचारियों की पेंशन देने में पालिका असमर्थ है. बजट अवमुक्त करवाने को लेकर कई बार राज्य सरकार से पत्राचार कर चुके हैं, लेकिन आज तक उनके किसी भी पत्र का जवाब नहीं दिया गया. इस वजह से उन्हें मजबूरन भूख हड़ताल पर बैठना पड़ा है.
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अपनी मांग को लेकर 16 सितंबर से धरने पर बैठे पालिका अध्यक्ष का कहना है कि जब उनके द्वारा कार्यभार संभाला गया था तो उसके बाद से उनके द्वारा अब तक रिटायर्ड कर्मचारी को करीब 3 करोड़ रुपए से अधिक की ग्रेच्युटी वह पेंशन अवमुक्त कर दी गयी है, लेकिन अब उनके पास कोई फंड नहीं बचा है. जिससे वह पालिका कर्मचारियों को वेतन नहीं दे पा रहे हैं. लिहाजा राज्य सरकार जल्द से जल्द बजट अवमुक्त करे ताकि पालिका अपने कर्मचारियों को वेतन व अन्य भत्ते दे सके. जब उनकी बात नहीं सुनी गई तो 21 सितंबर से वो आमरण अनशन पर बैठ गए.
वहीं, नगर पालिका अध्यक्ष सचिन नेगी को समर्थन देने पहुंचे नैनीताल के पूर्व सांसद डॉ. महेंद्र पाल का कहना है कि नैनीताल ब्रिटिश कालीन पालिका है. ऐसे में पालिका अध्यक्ष का अनशन पर बैठना दुर्भाग्यपूर्ण है. राज्य सरकार जिस तरह से पालिका की अनदेखी कर रही है, वह शर्मनाक है. सरकार धरने पर बैठे पालिका अध्यक्ष की सुध भी नहीं ले रही है. मामले में कुमाऊं कमिश्नर को हस्तक्षेप कर पालिका अध्यक्ष की मांग पूरी करनी चाहिए. ताकि नैनीताल के विकास कार्य पूरे हो सकें और कर्मचारियों को वेतन समेत पेंशन समय पर मिल सके.