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स्लॉटर हाउस प्रकरण: शहरी विकास सचिव और डीएम समेत 3 अधिकारी अवमानना में दोषी करार

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Published : Nov 26, 2019, 5:55 PM IST

नैनीताल हाईकोर्ट ने वैध स्लॉटर हाउस का निर्माण न होने के चलते शहरी विकास सचिव और डीएम सहित तीन अधिकारियों को अवमानना का दोषी करार दिया है. साथ ही नोटिस जारी कर 3 सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

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स्लॉटर हाउस प्रकरण.

नैनीताल: उत्तराखंड में वैध स्लॉटर हाउस के निर्माण मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार किया है. मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सचिव शहरी विकास द्वारा पेश किए गए जवाब से संतुष्ट न होने के चलते सचिव शहरी विकास, डीएम नैनीताल, अधिशासी अधिकारी नैनीताल, अधिशासी अधिकारी रामनगर समेत नगर आयुक्त हल्द्वानी को अवमानना का दोषी करार दिया है. साथ ही सभी के खिलाफ आरोप तय करते हुए 3 सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने के आदेश भी दिए हैं.

स्लॉटर हाउस प्रकरण.

नैनीताल हाईकोर्ट ने पूरे मामले में नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि 2011 में दिए गए आदेश का अनुपालन क्यों नहीं हुआ. जिस वजह से प्रदेश में वैद्य स्लॉटर हाउस का निर्माण नहीं हो सका. मामले में सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर उत्तराखंड में वैध स्लॉटर हाउस नहीं है तो क्यों ना उत्तराखंड को शाकाहारी प्रदेश घोषित कर दिया जाए.

प्रदेश में लंबे समय से स्लॉटर हाउस के बंद होने की वजह से मीट कारोबारियों के व्यवसाय पर प्रभाव पड़ा था. इसके बाद मीट कारोबारियों ने हाईकोर्ट में विशेष अपील दायर कर कहा कि कोर्ट के आदेश के 9 साल बाद भी प्रदेश में स्लॉटर हाउस नहीं बने हैं, जिस वजह से मीट कारोबारियों का काम पूरी तरह चौपट हो गया है. लिहाजा राज्य सरकार को जल्द से जल्द वैद्य स्लॉटर हाउस पर निर्णय लेने के आदेश दिए जाएं.

ये भी पढें: पतंजलि आयुर्वेदिक कॉलेज के छात्रों ने आचार्य बालकृष्ण और सुरक्षा गार्ड पर लगाया मारपीट का आरोप

बता दें कि रुड़की निवासी परवेज आलम ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि प्रदेश में अवैध रूप से स्लॉटर हाउस चलाए जा रहे हैं. साथ ही कई जगह खुले में जानवर काटे जा रहे हैं जो गलत है और इस पर पूर्ण रूप से पाबंदी लगनी चाहिए. पूर्व मामले की सुनवाई करते हुए नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने खुले में मीट की दुकानों को 72 घंटे में बंद करने के आदेश दिए थे. वहीं, राज्य सरकार को प्रदेश में 4 माह में नियमानुसार स्लॉटर हाउस बनाने के आदेश दिए थे. लेकिन, आज तक भी प्रदेश में कोई स्लॉटर हाउस नहीं बना, जिससे मीट कारोबारियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

नैनीताल: उत्तराखंड में वैध स्लॉटर हाउस के निर्माण मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार किया है. मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सचिव शहरी विकास द्वारा पेश किए गए जवाब से संतुष्ट न होने के चलते सचिव शहरी विकास, डीएम नैनीताल, अधिशासी अधिकारी नैनीताल, अधिशासी अधिकारी रामनगर समेत नगर आयुक्त हल्द्वानी को अवमानना का दोषी करार दिया है. साथ ही सभी के खिलाफ आरोप तय करते हुए 3 सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने के आदेश भी दिए हैं.

स्लॉटर हाउस प्रकरण.

नैनीताल हाईकोर्ट ने पूरे मामले में नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि 2011 में दिए गए आदेश का अनुपालन क्यों नहीं हुआ. जिस वजह से प्रदेश में वैद्य स्लॉटर हाउस का निर्माण नहीं हो सका. मामले में सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर उत्तराखंड में वैध स्लॉटर हाउस नहीं है तो क्यों ना उत्तराखंड को शाकाहारी प्रदेश घोषित कर दिया जाए.

प्रदेश में लंबे समय से स्लॉटर हाउस के बंद होने की वजह से मीट कारोबारियों के व्यवसाय पर प्रभाव पड़ा था. इसके बाद मीट कारोबारियों ने हाईकोर्ट में विशेष अपील दायर कर कहा कि कोर्ट के आदेश के 9 साल बाद भी प्रदेश में स्लॉटर हाउस नहीं बने हैं, जिस वजह से मीट कारोबारियों का काम पूरी तरह चौपट हो गया है. लिहाजा राज्य सरकार को जल्द से जल्द वैद्य स्लॉटर हाउस पर निर्णय लेने के आदेश दिए जाएं.

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बता दें कि रुड़की निवासी परवेज आलम ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि प्रदेश में अवैध रूप से स्लॉटर हाउस चलाए जा रहे हैं. साथ ही कई जगह खुले में जानवर काटे जा रहे हैं जो गलत है और इस पर पूर्ण रूप से पाबंदी लगनी चाहिए. पूर्व मामले की सुनवाई करते हुए नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने खुले में मीट की दुकानों को 72 घंटे में बंद करने के आदेश दिए थे. वहीं, राज्य सरकार को प्रदेश में 4 माह में नियमानुसार स्लॉटर हाउस बनाने के आदेश दिए थे. लेकिन, आज तक भी प्रदेश में कोई स्लॉटर हाउस नहीं बना, जिससे मीट कारोबारियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

Intro:Summry क्यों ना उत्तराखंड को शाकाहारी प्रदेश घोषित कर दिया जाए, हाई कोर्ट। Intro उत्तराखंड में वैध स्लॉटर हाउस के निर्माण मामले में नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सख्त रुख अपनाते हुए सचिव शहरी विकाश द्वारा पेश करे गए जवाब से संतुष्ट ना होते हुए सचिव शहरी विकास, डीएम नैनीताल, अधिशासी अधिकारी नैनीताल, अधिशासी अधिकारी रामनगर समेत नगर आयुक्त हल्द्वानी को अवमानना का दोषी मानते हुए सभी के खिलाफ आरोप तय कर दिए हैं कोर्ट ने इन सभी लोगों को नोटिस जारी कर 3 सप्ताह के भीतर अपना जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश भी दिए हैं। पूरे मामले में नाराजगी व्यक्त करते हुए कोर्ट ने कहा कि 2011 में दिए गए आदेश का अनुपालन क्यों नहीं हुआ,जिस वजह से प्रदेश में वैद्य स्लाटर हाउस का निर्माण नहीं हो सका। मामले में सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर उत्तराखंड में वैध स्लॉटर हाउस नहीं है तो क्यों ना उत्तराखंड को शाकाहारी प्रदेश घोषित कर दिया जाए।


Body:प्रदेश में लंबे समय से स्लॉटर हाउस के बंद होने की वजह से मीट कारोबारियों के व्यवसाय पर प्रभाव पड़ा था जिसके बाद मीट कारोबारियों ने हाई कोर्ट में विशेष अपील दायर कर कहा कि कोर्ट के आदेश के 9 साल बाद भी प्रदेश में स्लॉटर हाउस नहीं बने हैं जिस वजह से मीट कारोबारियों का काम पूरी तरह चौपट हो गया है, लिहाजा राज्य सरकार को जल्द से जल्द वैद्य स्लॉटर हाउस पर निर्णय लेने के आदेश दिए जाएं।


Conclusion:आपको बता दें कि रुड़की निवासी परवेज आलम ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि प्रदेश में अवैध रूप से स्लॉटर हाउस चलाए जा रहे हैं, साथ ही कई जगह में खुले में जानवर काटे जा रहे हैं जो गलत है और इस पर पूर्ण रूप से पाबंदी लगनी चाहिए। पूर्व मामले की सुनवाई करते हुए नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने खुले में कांटे जा रहे जानवरों खुले में बेचे जा रहे मीट की दुकानों को 72 घंटे में बंद करने के आदेश दिए थे, वहीं राज्य सरकार को प्रदेश में 4 माह में नियमानुसार स्लॉटर हाउस बनाने के आदेश दिए थे,, लेकिन आज तक भी प्रदेश में कोई स्लॉटर हाउस नहीं बना जिससे मीट कारोबारियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। बाईट- सी के शर्मा, अधिवक्ता याचिकाकर्ता।
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