नैनीताल: हाईकोर्ट से प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों को बड़ी राहत मिली है. नैनीताल हाईकोर्ट ने प्राइवेट स्कूलों को आदेश देते हुए ऑनलाइन क्लास के नाम पर बच्चों से जबरन फीस नहीं मांगने का आदेश दिया है. सभी प्राइवेट स्कूल अपनी मांगों को लेकर राज्य सरकार को प्रत्यावेदन देंगे, जिस पर राज्य सरकार 1 सप्ताह के भीतर फैसला करेगी.
प्राइवेट स्कूलों के द्वारा अभिभावकों से ऑनलाइन क्लास के नाम पर जबरन फीस वसूली पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि प्राइवेट स्कूल 12 मई को दिए गए आदेश के आधार पर अभिभावकों से जबरन फीस नहीं ले सकते हैं.
कोर्ट ने सभी प्राइवेट स्कूलों को आदेश दिया है कि वे अपने खर्चों का ब्यौरा बनाकर राज्य सरकार के पास प्रत्यावेदन करें और राज्य सरकार प्राइवेट स्कूलों के प्रत्यावेदन के आधार पर 1 सप्ताह के भीतर फैसला करेगी. मामले में सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आरसी खुले की खंडपीठ ने याचिका को निस्तारित कर दिया है.
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देहरादून निवासी जितेंद्र सिंह ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर किया था. याचिका में जितेंद्र ने कहा कि कोई भी प्राइवेट स्कूल लॉकडाउन समाप्ति तक अभिभावकों से ट्यूशन फीस के अलावा कोई अन्य फीस नहीं लेंगे, लेकिन इसके बावजूद भी उत्तराखंड के प्राइवेट स्कूल ऑनलाइन क्लासेस के नाम पर अभिभावकों से जबरन फीस मांग रहे हैं. साथ ही कई स्कूल जबरन ऑनलाइन पढ़ाई करवा रहे हैं.
याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि ऑनलाइन क्लासेज के वजह से बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है. उत्तराखंड के कई क्षेत्रों में इंटरनेट की व्यवस्था नहीं है और न ही अभिभावकों के पास ऑनलाइन पढ़ाई के लिए गैजेट की व्यवस्था. ऐसे में याचिकाकर्ता ने मांग की है कि दूरदर्शन के माध्यम से सभी बच्चों की पढ़ाई कराई जाए.