नैनीताल: अल्मोड़ा के प्रसिद्ध गोलू चितई मंदिर के मामले पर नैनीताल हाई कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका को जिला न्यायालय अल्मोड़ा को हस्तांतरित कर दिया है. साथ ही जिला न्यायालय अल्मोड़ा को आदेश दिए हैं कि इस याचिका को साक्ष्यों के आधार पर 6 माह के भीतर निस्तारित कर अपना फैसला सुनाएं.
मामले में सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने कहा कि इस मामले के निस्तारण के लिए सबूतों की आवश्यकता होती है. लिहाजा, जनहित याचिका में साक्ष्य नहीं देखे जा सकते हैं. जिस वजह से याचिका को निचली अदालत भेजा जा रहा है. कोर्ट ने दोनों ही पक्षकारों को आदेश दिए हैं कि वह अपने प्रार्थना पत्र जिला न्यायालय अल्मोड़ा में पेश करें.
बता दें कि नैनीताल निवासी अधिवक्ता दीपक रूबाली ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा गया है कि चितई स्थित गोलज्यू मंदिर पर्वतीय क्षेत्र के लिए आस्था का केंद्र है. लेकिन लंबे समय से इस मंदिर का रखरखाव और श्रद्धालुओं के चढ़ावे से प्राप्त धनराशि का उचित उपयोग नहीं हो रहा है. मंदिर की व्यवस्थाओं का संचालन कुछ व्यक्तियों के हाथ में है और इसका निजी लाभ लिया जा रहा है. मंदिर के चढ़ावे का उपयोग निजी आय की तरह हो रहा है.
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साथ ही याचिका में कहा गया था कि चितई मंदिर के लिए साल 2011 में समिति गठित हुई है, लेकिन इसमें एक ही परिवार के सदस्य है. जिस समीति का कोई अस्तीतव नहीं है. लिहाजा मंदिर में ट्रस्ट का गठन किया जाए.
मामले में सुनवाई करते हुए पूर्व में नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने जिलाधिकारी अल्मोड़ा की निगरानी में कमेटी गठित कर मंदिर का प्रबंधन अपने हाथों में लेने और पूजा-पाठ का अधिकार पुजारी को देने को कहा था. इस आदेश को अल्मोड़ा निवासी संध्या पंत ने हाईकोर्ट में चुनौती दी और कोर्ट को अपने आदेश पर पुनर्विचार करने की मांग की थी. जिस पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने जिला न्यायालय अल्मोड़ा को आदेश दिए हैं कि वह साक्ष्यों के आधार पर तय करें कि आखिर मंदिर पर किसका अधिकार रहेगा.