नैनीताल: उत्तराखंड की नदियों में अवैध खनन (illegal mining ) और आबादी क्षेत्र में नियम विरुद्ध लगे स्टोन क्रशर मामले में नैनीताल हाईकोर्ट (nainital high court) ने सरकार से दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है.
बता दें कि रामनगर निवासी आनंद सिंह नेगी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि कॉर्बेट नेशनल पार्क (Corbett National Park) के पास सखनपुर में मनराल स्टोन क्रशर अवैध रूप से संचालित किया जा रहा है. जबकि स्टोन क्रशर स्वामी के पास प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का लाइसेंस और राज्य सरकार की वैध अनुमति भी नहीं है.
स्टोन क्रशर संचालित करने में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का भी उल्लंघन किया गया है. लिहाजा स्टोन क्रेशर को बंद किया जाए. वहीं, याचिकाकर्ता ने कहा कि स्टोन क्रशर बंद करने के लिए उन्होंने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (pollution control board), वन विभाग के उच्च अधिकारियों को प्रत्यावेदन दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई.
वहीं, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने उत्तराखंड के सभी नदियों के किनारे संचालित हो रहे स्टोन क्रशर और अवैध खनन के 38 से अधिक मामलों पर दायर याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करने का फैसला किया. ताकि उत्तराखंड की खनन नीति (mining policy of uttarakhand) के आधार पर फैसला सुनाया जा सके और सभी याचिकाओं का एक साथ निस्तारण हो सके.
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मामले में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अधिवक्ता द्वारा कोर्ट को बताया गया कि उत्तराखंड बने 20 साल हो चुके हैं और अभी तक यह साफ नहीं हो सका है कि कौन सा क्षेत्र आवासीय है, कौन सा क्षेत्र औद्योगिक और कौन सा साइलेंट जोन. जिस वजह से स्टोन क्रशर मनमर्जी से खोले जा रहे हैं.
मामले का संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान की खंडपीठ ने राज्य सरकार को खनन नीति और याचिकाकर्ताओं को अपना जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.