ETV Bharat / state

हरिद्वार पुस्तकालय घोटाला: HC ने याचिकाकर्ता से मांगा प्रति शपथ पत्र

हरिद्वार पुस्तकालय घोटाले में नगर निगम और डीएम के जवाब पेश करने के बाद हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता से प्रति शपथ पत्र मांगा है.

HC ने याचिकाकर्ता से मांगा प्रति शपथ पत्र
HC ने याचिकाकर्ता से मांगा प्रति शपथ पत्र
author img

By

Published : Jun 30, 2021, 3:49 PM IST

Updated : Jun 30, 2021, 4:39 PM IST

नैनीताल: हरिद्वार पुस्तकालय घोटाला (Haridwar library scam) में हरिद्वार नगर निगम (Haridwar Municipal Corporation) और डीएम ने अपना विस्तृत जवाब नैनीताल हाईकोर्ट (Nainital High Court) में पेश किया. उन्होंने बताया कि अभी तक विधायक निधि (MLA fund) से बने पुस्तकालयों को उनके हैंडओवर नहीं किया गया है. उनको पुस्तकालयों की जानकारी नहीं है. जिसके बाद मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ (Chief Justice's Bench) ने डीएम और नगर निगम के जवाब पर याचिकाकर्ता को अपना प्रति शपथ पत्र (counter affidavit) पेश करने के आदेश दिए हैं.

बता दें कि हरिद्वार में हुए 16 पुस्तकालय घोटाले के मामले में याचिकाकर्ता सच्चिदानंद डबराल (Petitioner Sachchidananda Dabral) द्वारा हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी है. याचिका में कहा गया है कि 2010 में तत्कालीन विधायक मदन कौशिक (madan kaushik) द्वारा विधायक निधि से डेढ़ करोड़ की लागत से 16 पुस्तकालय बनाने के लिए पैसा आवंटित किया गया था.

ये भी पढ़ें: हरिद्वार के 16 पुस्तकालयों के घोटाले की पड़ताल, ढूंढ़ने से भी नहीं मिली डेढ़ करोड़ की लाइब्रेरी

पुस्तकालय बनने के लिए भूमि पूजन से लेकर उद्घाटन और फाइनल पेमेंट (final payment) तक हो गई, लेकिन आज तक धरातल पर किसी भी पुस्तकालय का निर्माण नहीं हुआ. इससे स्पष्ट होता है कि विधायक निधि के नाम पर विधायक समेत तत्कालीन जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी समेत ग्रामीण निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता द्वारा बड़ा घोटाला किया गया है.

याचिकाकर्ता सच्चिदानंद डबराल का कहना है कि पुस्तकालय निर्माण का जिम्मा ग्रामीण अभियंत्रण सर्विसेज (Rural Engineering Services) को दिया गया. विभाग के अधिशासी अभियंता के फाइनल निरीक्षण के बाद ही फाइनल पेमेंट होती है. ऐसे में विभाग के अधिशासी अभियंता द्वारा बिना पुस्तकालय निर्माण के ही अपनी फाइनल रिपोर्ट लगा दी गई. जिससे स्पष्ट होता है कि अधिकारियों की मिलीभगत से बड़ा घोटाला हुआ है. लिहाजा पुस्तकालय के नाम पर हुए इस घोटाले की सीबीआई जांच करवाई जाए.

नैनीताल: हरिद्वार पुस्तकालय घोटाला (Haridwar library scam) में हरिद्वार नगर निगम (Haridwar Municipal Corporation) और डीएम ने अपना विस्तृत जवाब नैनीताल हाईकोर्ट (Nainital High Court) में पेश किया. उन्होंने बताया कि अभी तक विधायक निधि (MLA fund) से बने पुस्तकालयों को उनके हैंडओवर नहीं किया गया है. उनको पुस्तकालयों की जानकारी नहीं है. जिसके बाद मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ (Chief Justice's Bench) ने डीएम और नगर निगम के जवाब पर याचिकाकर्ता को अपना प्रति शपथ पत्र (counter affidavit) पेश करने के आदेश दिए हैं.

बता दें कि हरिद्वार में हुए 16 पुस्तकालय घोटाले के मामले में याचिकाकर्ता सच्चिदानंद डबराल (Petitioner Sachchidananda Dabral) द्वारा हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी है. याचिका में कहा गया है कि 2010 में तत्कालीन विधायक मदन कौशिक (madan kaushik) द्वारा विधायक निधि से डेढ़ करोड़ की लागत से 16 पुस्तकालय बनाने के लिए पैसा आवंटित किया गया था.

ये भी पढ़ें: हरिद्वार के 16 पुस्तकालयों के घोटाले की पड़ताल, ढूंढ़ने से भी नहीं मिली डेढ़ करोड़ की लाइब्रेरी

पुस्तकालय बनने के लिए भूमि पूजन से लेकर उद्घाटन और फाइनल पेमेंट (final payment) तक हो गई, लेकिन आज तक धरातल पर किसी भी पुस्तकालय का निर्माण नहीं हुआ. इससे स्पष्ट होता है कि विधायक निधि के नाम पर विधायक समेत तत्कालीन जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी समेत ग्रामीण निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता द्वारा बड़ा घोटाला किया गया है.

याचिकाकर्ता सच्चिदानंद डबराल का कहना है कि पुस्तकालय निर्माण का जिम्मा ग्रामीण अभियंत्रण सर्विसेज (Rural Engineering Services) को दिया गया. विभाग के अधिशासी अभियंता के फाइनल निरीक्षण के बाद ही फाइनल पेमेंट होती है. ऐसे में विभाग के अधिशासी अभियंता द्वारा बिना पुस्तकालय निर्माण के ही अपनी फाइनल रिपोर्ट लगा दी गई. जिससे स्पष्ट होता है कि अधिकारियों की मिलीभगत से बड़ा घोटाला हुआ है. लिहाजा पुस्तकालय के नाम पर हुए इस घोटाले की सीबीआई जांच करवाई जाए.

Last Updated : Jun 30, 2021, 4:39 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.