नैनीताल: उत्तराखंड राज्य के पूर्व सीएम के आवास व अन्य भत्ता जमा करने के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुरक्षित रखा है. पूर्व मुख्यमंत्रियों द्वारा सरकारी आवास व अन्य सुविधा भत्तों को जमा करने के मामले पर मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन व न्यायाधीश रमेश चंद खुल्बे की खंडपीठ में सुनवाई हुई. अब इस मामले में कभी भी कोई भी बड़ा फैसला आ सकता है.
मामले में पूर्व में हुई सुनवाई में कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगले का किराया व अन्य भत्ते जमा करने के आदेश दिए थे. जिसके बाद राज्य सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के मामले में अध्यादेश जारी कर सरकारी घर समेत अन्य भत्ते जमा न करने का फैसला लिया था. जिसको याचिकाकर्ता ने एक बार फिर हाई कोर्ट में चुनौती दी और पूर्व में सरकार ने पांच पूर्व मुख्यमंत्रियों पर 2 करोड़ 85 लाख रुपए की राशि बकाया होने की रिपोर्ट कोर्ट में पेश की.
आपको बता दें कि, नैनीताल हाईकोर्ट में देहरादून की रूरल लिटिगेशन संस्था ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकार द्वारा जो सरकारी भवन और सुविधाएं दी जा रही हैं, वो गलत हैं साथ ही जब से पूर्व सीएम सरकारी भवन का प्रयोग कर रहे हैं. उनसे उक्त अवधि के दौरान का किराया वसूलने की मांग भी की गई थी. पूर्व में मुख्य न्यायाधीशों की पीठ ने प्रदेश के सभी मुख्यमंत्रियों को बकाया जमा करने के आदेश दिए. जिसके बाद राज्य सरकार ने कैबिनेट में अध्यादेश लाकर मुख्यमंत्रियों पर बकाया को माफ करने का फैसला लिया था. जिसको याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में चुनौती दी और कहा कि कोर्ट के फैसले के बाद सरकार ने मामले में अध्यादेश लाया है जो गलत है. लिहाज अध्यादेश खारिज किया जाए.
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वहीं, मामले में सरकार ने बताया कि पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक पर 40.95 लाख, बीसी खंडूड़ी पर 46.59 लाख, विजय बहुगुणा पर 37.50 लाख, भगत सिंह कोश्यारी पर 47.57 लाख रुपए बकाया हैं, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री स्व. एनडी तिवारी के नाम पर 1.13 करोड़ रुपए की राशि बकाया है.