नैनीताल: उत्तराखंड के डॉक्टरों को नैनीताल हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. डॉक्टरों के पहाड़ में चढ़ने के मामले में हाई कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि सभी डॉक्टर अपने द्वारा भरे गये बॉन्ड का पालन करें. बता दें, डॉक्टरों ने हाई कोर्ट में याचिका देकर कहा था कि नियुक्ति के समय उन्होंने जो बॉन्ड भरा था, उसकी उन्हें जानकारी नहीं थी और अब वो पहाड़ नहीं चढ़ना चाहते हैं.
बता दें, पूर्व में भी डॉक्टरों ने बॉन्ड भरने को लेकर हाईकोर्ट की एकल पीठ में याचिका दायर की थी और पहाड़ न चढ़ने की बात कही थी. मामले में हाईकोर्ट की एकल पीठ ने डॉक्टरों के हक में फैसला दिया था. जिसके बाद राज्य सरकार ने फैसले को चुनौती देते हुए राज्य सरकार ने स्पेशल अपील कोर्ट में दायर की थी और कोर्ट ने राज्य सरकार की अपील को स्वीकार करते हुए डॉक्टरों को पहाड़ चढ़ने के आदेश दिए हैं.
मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह 6 हफ्ते के भीतर नियुक्ति पत्र जारी करें. साथ ही कोर्ट ने डॉक्टर के पहाड़ न चढ़ने पर सख्ती अपनाते हुए सरकार को आदेश दिए हैं कि अगर ये डॉक्टर पहाड़ों में कार्यभार ग्रहण नहीं करते हैं तो सरकार इनसे पूरी फीस 18 प्रतिशत व्याज के साथ वसूल करें.
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मामले में राज्य सरकार की तरफ से मुख्य स्थायी अधिवक्ता (CSC) परेश त्रिपाठी ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने एडमिशन के समय प्रोस्पेक्टस में स्पष्ट तौर पर उल्लेख किया था कि जो छात्र सरकारी कोटे से दाखिला ले रहे हैं. उनको उत्तराखंड में सेवा करने के लिए पांच साल का बॉन्ड भरना होगा. उनको फीस में छूट दी जएगी और जो बॉन्ड नहीं भरना चाहते हैं वो पूरी फीस वहन करेंगे. लेकिन इनके द्वारा स्वेच्छा से यह बॉन्ड भरा गया. अब ये डॉक्टर न तो सेवा दे रहे हैं और न ही फीस.