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नैनीताल हाई कोर्ट ने दिया डॉक्टरों को झटका, बॉन्ड का पालन नहीं करने वाले डॉक्टरों से वसूली जाएगी फीस

उत्तराखंड के डॉक्टरों को नैनीताल हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. हाई कोर्ट प्रदेश के डॉक्टरों को निर्देशित करते हुए कहा है कि वो अपने द्वारा भरे गए बॉन्ड का पालन करें.

नैनीताल हाई कोर्ट, nainital high court (फाइल फोटो)
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Published : Aug 1, 2019, 2:19 PM IST

Updated : Aug 1, 2019, 8:29 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड के डॉक्टरों को नैनीताल हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. डॉक्टरों के पहाड़ में चढ़ने के मामले में हाई कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि सभी डॉक्टर अपने द्वारा भरे गये बॉन्ड का पालन करें. बता दें, डॉक्टरों ने हाई कोर्ट में याचिका देकर कहा था कि नियुक्ति के समय उन्होंने जो बॉन्ड भरा था, उसकी उन्हें जानकारी नहीं थी और अब वो पहाड़ नहीं चढ़ना चाहते हैं.

बता दें, पूर्व में भी डॉक्टरों ने बॉन्ड भरने को लेकर हाईकोर्ट की एकल पीठ में याचिका दायर की थी और पहाड़ न चढ़ने की बात कही थी. मामले में हाईकोर्ट की एकल पीठ ने डॉक्टरों के हक में फैसला दिया था. जिसके बाद राज्य सरकार ने फैसले को चुनौती देते हुए राज्य सरकार ने स्पेशल अपील कोर्ट में दायर की थी और कोर्ट ने राज्य सरकार की अपील को स्वीकार करते हुए डॉक्टरों को पहाड़ चढ़ने के आदेश दिए हैं.

मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह 6 हफ्ते के भीतर नियुक्ति पत्र जारी करें. साथ ही कोर्ट ने डॉक्टर के पहाड़ न चढ़ने पर सख्ती अपनाते हुए सरकार को आदेश दिए हैं कि अगर ये डॉक्टर पहाड़ों में कार्यभार ग्रहण नहीं करते हैं तो सरकार इनसे पूरी फीस 18 प्रतिशत व्याज के साथ वसूल करें.

पढ़ें- बारिश के चलते कॉलेज परिसर में लगा पेड़ बना मुसीबत, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

मामले में राज्य सरकार की तरफ से मुख्य स्थायी अधिवक्ता (CSC) परेश त्रिपाठी ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने एडमिशन के समय प्रोस्पेक्टस में स्पष्ट तौर पर उल्लेख किया था कि जो छात्र सरकारी कोटे से दाखिला ले रहे हैं. उनको उत्तराखंड में सेवा करने के लिए पांच साल का बॉन्ड भरना होगा. उनको फीस में छूट दी जएगी और जो बॉन्ड नहीं भरना चाहते हैं वो पूरी फीस वहन करेंगे. लेकिन इनके द्वारा स्वेच्छा से यह बॉन्ड भरा गया. अब ये डॉक्टर न तो सेवा दे रहे हैं और न ही फीस.

नैनीताल: उत्तराखंड के डॉक्टरों को नैनीताल हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. डॉक्टरों के पहाड़ में चढ़ने के मामले में हाई कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि सभी डॉक्टर अपने द्वारा भरे गये बॉन्ड का पालन करें. बता दें, डॉक्टरों ने हाई कोर्ट में याचिका देकर कहा था कि नियुक्ति के समय उन्होंने जो बॉन्ड भरा था, उसकी उन्हें जानकारी नहीं थी और अब वो पहाड़ नहीं चढ़ना चाहते हैं.

बता दें, पूर्व में भी डॉक्टरों ने बॉन्ड भरने को लेकर हाईकोर्ट की एकल पीठ में याचिका दायर की थी और पहाड़ न चढ़ने की बात कही थी. मामले में हाईकोर्ट की एकल पीठ ने डॉक्टरों के हक में फैसला दिया था. जिसके बाद राज्य सरकार ने फैसले को चुनौती देते हुए राज्य सरकार ने स्पेशल अपील कोर्ट में दायर की थी और कोर्ट ने राज्य सरकार की अपील को स्वीकार करते हुए डॉक्टरों को पहाड़ चढ़ने के आदेश दिए हैं.

मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह 6 हफ्ते के भीतर नियुक्ति पत्र जारी करें. साथ ही कोर्ट ने डॉक्टर के पहाड़ न चढ़ने पर सख्ती अपनाते हुए सरकार को आदेश दिए हैं कि अगर ये डॉक्टर पहाड़ों में कार्यभार ग्रहण नहीं करते हैं तो सरकार इनसे पूरी फीस 18 प्रतिशत व्याज के साथ वसूल करें.

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मामले में राज्य सरकार की तरफ से मुख्य स्थायी अधिवक्ता (CSC) परेश त्रिपाठी ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने एडमिशन के समय प्रोस्पेक्टस में स्पष्ट तौर पर उल्लेख किया था कि जो छात्र सरकारी कोटे से दाखिला ले रहे हैं. उनको उत्तराखंड में सेवा करने के लिए पांच साल का बॉन्ड भरना होगा. उनको फीस में छूट दी जएगी और जो बॉन्ड नहीं भरना चाहते हैं वो पूरी फीस वहन करेंगे. लेकिन इनके द्वारा स्वेच्छा से यह बॉन्ड भरा गया. अब ये डॉक्टर न तो सेवा दे रहे हैं और न ही फीस.

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पहाड़ नहीं चढ़ने वाले डॉक्टरों को नैनीताल हाईकोर्ट से लगा बड़ा झटका, कोर्ट ने कहा पहाड़ में जा कर देनी होंगी सेवा।

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डॉक्टरों के पहाड़ में चढ़ने के मामले में डॉ संघ के द्वारा नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी जिसमें उन्होंने कहा था कि नियुक्ति के समय है उनसे जिस्बॉर्न को भरा गया उसकी उन्हें जानकारी नहीं थी और अब वह पहाड़ नहीं चढ़ना चाहते मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने प्रदेश के डॉक्टरों को निर्देश दिए हैं कि वह अपने द्वारा भरे गए बॉन्ड का पालन करें आपको बता दें कि पूर्व में डॉक्टरों ने बांड भरने को लेकर हाईकोर्ट की एकल पीठ में याचिका दायर की थी और पहाड़ में चढ़ने की बात कही थी मामले में हाईकोर्ट की एकल पीठ ने डॉक्टरों के हक में फैसला दिया जिसको लेकर राज्य सरकार द्वारा स्पेशल अपील कोर्ट में दायर की गई और कोर्ट ने राज्य सरकार की अपील को स्वीकार करते हुए डॉक्टरों को पहाड़ चढ़ने के आदेश दिए हैं।

Body: मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह 6 हफ्ते के भीतर नियुक्ति पत्र जारी करें,,,
वहीं कोर्ट ने डॉक्टर के पहाड़ ना चढ़ने पर सख्त अपनाते हुए सरकार को आदेश दिए हैं कि अगर यह डॉक्टर पहाड़ों में कार्यभार ग्रहण नहीं करते हैं तो सरकार इनसे पूरी फीस 18 प्रतिशत व्याज के साथ वसूल करें। Conclusion:मामले में राज्य सरकार की तरफ से मुख्य स्थायी अधिवक्ता ( CSC) परेश त्रिपाठी ने कोर्ट को बतया कि सरकार ने एडमिशन के समय प्रोस्पेक्टस में स्पस्ट तौर पर उल्लेख किया था कि जो छात्र सरकारी कोटे से दाखिल ले रहे है उनको उत्तराखंड में सेवा करने के लिए पाँच साल का बांड भरना होगा और उनको फीस में छूट दी जायेगी और जो बांड नही भरना चाहते है वे पूरी फीस वहन करेंगे, लेकिन इनके द्वारा स्वेच्छा से यह बांड भरा गया और अब ये डॉक्टर न तो सेवा दे रहे है न ही फीस ।
Last Updated : Aug 1, 2019, 8:29 PM IST
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