नैनीताल: चारधाम यात्रा पर आज नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने सरकार द्वारा चारधाम यात्रा शुरू करने को लेकर दायर शपथपत्र पर सुनवाई की. कोर्ट ने सुनवाई के बाद अपने 28 जून 2021 के निर्णय को वापस लेते हुए कोविड के नियमों का पालन करते हुए चारधाम यात्रा शुरू करने को कहा है. हाईकोर्ट ने चारधाम यात्रा पर लगी रोक को कुछ प्रतिबंधों के साथ हटाया है.
यात्रा पर प्रतिबंध हटाते हुए, मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने कहा कि यात्रा मंदिरों में आने वाले भक्तों की दैनिक संख्या पर प्रतिबंधों के साथ शुरू होगी. इसके साथ ही कोविड नेगेटिव रिपोर्ट और डबल डोज वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट लेकर जाना अनिवार्य होगा. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों में होने वाली चारधाम यात्रा के दौरान आवश्यकता के अनुसार पुलिस फोर्स की तैनाती के लिए भी प्रशासन को कहा है. इन सभी चारों धामों में भक्त किसी भी कुंड में स्नान नहीं कर सकेंगे.
खंडपीठ ने राज्य सरकार को इन बिंदुओं पर यात्रा शुरू करने से पहले ध्यान देने के निर्देश दिए हैं-
- चारधाम यात्रा में प्रति दिन केदारनाथ धाम में 800, बदरीनाथ धाम में 1000, गंगोत्री में 600 और यमुनोत्री धाम में कुल 400 श्रद्धालुओं को जाने की अनुमति दी है.
- श्रद्धालुओं को आरटीपीसीआर नेगेटिव और डबल डोज वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट लेकर जाना अनिवार्य होगा.
- चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों में होने वाली चारधाम यात्रा के दौरान आवयश्यक्तानुसार पुलिस फोर्स लगाने को कहा हैय
- श्रद्धालुओं का कुंड में स्नान करने पर प्रतिबंध लगाया है.
- खंडपीठ ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि चारों धामों में मेडिकल की पूर्ण सुविधा हो, जैसे- मेडिकल स्टाफ, नर्सें, डॉक्टर, ऑक्सीजन बेड और वेंटीलेटर.
- यात्रा के दौरान सरकार मेडिकल हेल्प लाइन जारी करे, जिससे अवस्थ्य लोगों को स्वास्थ्य सम्बन्धित सुविधाओं का आसानी से पता चल सके.
- श्रद्धालुओं की आरटीपीसीआर टेस्ट रिपोर्ट व वैक्सीनेशन के सर्टिफिकेट के जांच के लिए चारों धामों में चेक पोस्ट बनाने को कहा गया है. जैसे- बदरीनाथ में पांच, केदारनाथ में तीन.
- भविष्य में अगर कोविड के केसों में बढ़ोतरी होती है तो सरकार यात्रा को स्थगित कर सकती है.
- कोर्ट ने एंटी स्पीटिंग एक्ट को चारों धामो में प्रभावी रूप से लागू करने को कहा है.
- तीनों जिलों के विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिए गए हैं कि वो यात्रा का मॉनिटरिंग करे और उसकी रिपोर्ट हर सप्ताह कोर्ट में दें.
- जिला अधिकारियों को यह निर्देश दिए गए हैं कि वो यात्रा को सफल बनाने के लिए स्थानीय लोगों व एनजीओ की सहायता ले सकते हैं लेकिन एनजीओ सही व जिम्मेदार होनी चाहिए.
- चारधाम यात्रा में जगह-जगह पर सुलभ शौचालय बनाये जाएं, जिससे श्रद्धालुओं को असुविधा न हो.
सरकार ने की थी रोक हटाने की मांग: मामले में सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने कोर्ट को बताया कि अभी प्रदेश के साथ साथ देश में कोविड केशों में कमी आयी है और सभी मंदिर, स्कूल, न्यायालय, संसद सब खुल चुके हैं. लिहाजा चारधाम यात्रा को भी कोविड के नियमों के अनुसार खोलने की अनुमति दी जाए. यात्रा नहीं होने के कारण इसमें लगे लोगों पर रोजी रोटी का खतरा पैदा हो गया है. महाधिवक्ता ने आगे दलील दी कि प्रतिबंध लगाते समय न्यायालय द्वारा दर्शायी गई चिंताओं को दूर कर दिया गया है और स्वास्थ्य सेवाओं में उल्लेखनीय सुधार हुआ है. सरकार ने अदालत को यह भी आश्वासन दिया है कि यात्रा के लिए COVID-19 SOP का कड़ाई से पालन किया जाएगा.
वहीं, अधिवक्ता शिव भट्ट ने चारों धामों में श्रद्धालुओं और यात्रियों की सुरक्षा संबंधी बिंदुओं को कोर्ट के सम्मुख रखा. उन्होंने कहा कि सरकार ने चारधाम यात्रा को खोलने के लिए जो एसओपी जारी की है वह पूर्ण नहीं है, इसमे कई तह की कमियां हैं. सरकार के पास मेडिकल की सुविधा नहीं है, शौचालय नहीं हैं, एयर एम्बुलेंस और हेलीकॉप्टर नहीं हैं, व नियमो के पालन कराने के लिए पर्याप्त पुलिय फोर्स तक नहीं है. लिहाजा चारधाम यात्रा को प्रतिबंधों के साथ खोला जाए.
खंडपीठ ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि वर्ष में एक बार होने वाली चारधाम यात्रा जो अक्टूबर में समाप्त हो जाती है, इसमें उस मार्ग में काम करने वाले व्यापारी व स्थानीय लोग यात्रा बंद होने से बेरोजगारी हो जाते हैं जिससे उन लोगों पर रोजी रोटी खतरा और अधिक बढ़ जाता है.
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से वापस ली थी SLP: गौर हो कि कोरोना के कारण इस साल बीती 28 जून को नैनीताल हाईकोर्ट ने एक जुलाई से शुरू होने वाली चारधाम यात्रा पर रोक लगा दी थी. हालांकि राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (Special Leave Petition) भी दायर की थी, लेकिन बाद में सरकार ने उस एसएलपी को वापस ले लिया और दोबारा से नैनीताल हाईकोर्ट में चारधाम यात्रा शुरू करने की पैरवी की. सरकार ने 10 सितंबर को प्रार्थना पत्र देकर चारधाम यात्रा पर लगी रोक को हटाने की मांग की थी, जिस पर आज सुनवाई हुई थी.
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गौरतलब हो कि कांग्रेस भी सरकार पर चारधाम यात्रा शुरू करने को लेकर दबाव बना रही थी. वहीं चारोंधामों के तीर्थ-पुरोहित भी चारधाम यात्रा शुरू करने के लिए सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. ऐसे में सरकार बीच भंवर में फंसी हुई थी. लेकिन अब जब कोर्ट ने सरकार को चारधाम यात्रा शुरू करने की अनुमति दे दी है तो सरकार को बड़ी राहत मिली है.
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राज्य सरकार 1 जुलाई से शुरू करने जा रही थी चारधाम यात्रा: दरअसल, तत्कालीन तीरथ सरकार 11 जुलाई से प्रदेश भर के श्रद्धालुओं के लिए चारधाम यात्रा शुरू करने की तैयारी में थी, लेकिन एक जुलाई से पहले ही नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के मंसूबे पर पानी फेर दिया था. राज्य कैबिनेट के फैसले पर अगले आदेश तक रोक लगा दी, साथ ही श्रद्धालुओं की आस्था को देखते हुए सरकार को पूजा-अर्चना लाइव करने के निर्देश दिए थे.
हाईकोर्ट ने कही थी ये बड़ी बात: हाईकोर्ट ने आधी अधूरी जानकारी देने के कारण न सिर्फ अधिकारियों को फटकार लगाई थी बल्कि यात्रा के लिए सरकार द्वारा आरटी-पीसीआर निगेटिव रिपोर्ट लागू करने के फैसले पर सवाल उठाया था. कोर्ट ने कहा था कि कुंभ में भी कोरोना जांच में फर्जीवाड़ा हुआ है. ऐसे में चारधाम में सैनिटाइजर और हाथ धोने का इंतजाम कौन देखेगा? इस दौरान कोर्ट ने कहा था कि 'हमारे लिए श्रद्धालुओं का जीवन महत्वपूर्ण है, ऐसे में अगले आदेश तक चारधाम यात्रा पर रोक लगाई जाती है'.
खुल चुके हैं चारों धामों के कपाट: गौर हो, 14 मई को यमुनोत्री धाम, 15 मई को गंगोत्री धाम, 17 मई को केदारनाथ धाम और 18 मई को बदरीनाथ धाम के कपाट खोले गए थे, कोरोना की वजह से चारधाम की यात्रा संचालित नहीं हो पाई है. अब देखने वाली बात होगी की सरकार पहले की तरह चरणबद्ध तरीके से ही यात्रा को शुरू हो करती है या फिर समय कम होने की वजह से पिछली बार की तरह गाइडलाइनों में कुछ बदलाव करती है, क्योंकि चारधाम यात्रा अब मुश्किल से डेढ़ महीने ही चल पाएगी. दीपावली से पहले चारधामों के कपाट बंद हो जाएंगे.