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IFS संजीव चतुर्वेदी मामले में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव को नोटिस, 26 जुलाई जवाब पेश करने के आदेश - केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन

हाई कोर्ट नैनीताल ने केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन और एम्स दिल्ली के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया के खिलाफ जारी अवमानना नोटिस जारी किया है और 26 जुलाई तक जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

नैनीताल हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
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Published : Jun 30, 2019, 7:59 AM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने आईएफएस संजीव चतुर्वेदी के केस मामले में अवमानना नोटिस जारी किया है. संजीव चतुर्वेदी पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नहीं मानने का आरोप है. हाई कोर्ट ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन को अवमानना नोटिस जारी कर 26 जुलाई तक जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

गौर हो कि आईएफएस संजीव ने कैट की कोर्ट में दो प्रार्थना पत्र दाखिल किए थे, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार द्वारा उनकी चरित्र पंजिका में किए गए जीरो अंकन मामले में दिया हलफनामा झूठा है. संजीव ने इस मामले में आपराधिक केस चलाने का आदेश पारित करने की फरियाद की है, जबकि दूसरे में उन्होंने एम्स दिल्ली में घपलों का जिक्र किया है.

बता दें, संजीव चतुर्वेदी के मुताबकि 2014 में उनके द्वारा एम्स में अनियमितता के 13 मामले पकड़े गए. जिसके बाद संजीव को एम्स से हटा दिया गया. अब कैट की कोर्ट ने दोनों मामलों में जवाब दाखिल करने के आदेश पारित किए हैं. हाईकोर्ट ने पिछले साल संजीव की एसीआर में जीरो अंकन को प्रतिशोधात्मक कार्रवाई बताते हुए 25 हजार जुर्माना लगा दिया था.

पढ़ें- टिहली झील में पर्यटकों की आवाजाही बढ़ाने के लिए सरकार ने उठाया ये कदम, 3 जुलाई को लगेगी मुहर

इस आदेश को केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को चुनौती दी तो सुप्रीम कोर्ट ने न केवल हाईकोर्ट का आदेश को सही ठहराया, बल्कि जुर्माना 25 हजार से बढ़ाकर 50 हजार कर दिया. इसके बाद संजीव द्वारा 26 जून को हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई.

मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने एम्स निदेशक व केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव को अवमानना नोटिस जारी कर जावाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने आईएफएस संजीव चतुर्वेदी के केस मामले में अवमानना नोटिस जारी किया है. संजीव चतुर्वेदी पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नहीं मानने का आरोप है. हाई कोर्ट ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन को अवमानना नोटिस जारी कर 26 जुलाई तक जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

गौर हो कि आईएफएस संजीव ने कैट की कोर्ट में दो प्रार्थना पत्र दाखिल किए थे, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार द्वारा उनकी चरित्र पंजिका में किए गए जीरो अंकन मामले में दिया हलफनामा झूठा है. संजीव ने इस मामले में आपराधिक केस चलाने का आदेश पारित करने की फरियाद की है, जबकि दूसरे में उन्होंने एम्स दिल्ली में घपलों का जिक्र किया है.

बता दें, संजीव चतुर्वेदी के मुताबकि 2014 में उनके द्वारा एम्स में अनियमितता के 13 मामले पकड़े गए. जिसके बाद संजीव को एम्स से हटा दिया गया. अब कैट की कोर्ट ने दोनों मामलों में जवाब दाखिल करने के आदेश पारित किए हैं. हाईकोर्ट ने पिछले साल संजीव की एसीआर में जीरो अंकन को प्रतिशोधात्मक कार्रवाई बताते हुए 25 हजार जुर्माना लगा दिया था.

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इस आदेश को केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को चुनौती दी तो सुप्रीम कोर्ट ने न केवल हाईकोर्ट का आदेश को सही ठहराया, बल्कि जुर्माना 25 हजार से बढ़ाकर 50 हजार कर दिया. इसके बाद संजीव द्वारा 26 जून को हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई.

मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने एम्स निदेशक व केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव को अवमानना नोटिस जारी कर जावाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

Intro:Summry नैनीताल हाई कोर्ट से केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन,अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया के खिलाफ जारी
अवमानना नोटिस जारी कर 26 जुलाई तक जवाब पेश करने के आदेश दिए है।

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नैनीताल हाईकोर्ट ने आई एफ एस संजीव चतुर्वेदी के केस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार 50 हजार जुर्माना अदा नहीं करने पर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन को अवमानना नोटिस जारी कर 26 जुलाई तक जवाब पेश करने के आदेश दिए है, वही कोर्ट ने टिप्पडी करते हुए कहा है कि क्यों न आपके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाय।


Body:आई एफ एस संजीव ने पूर्व में कैट की कोर्ट में दो प्रार्थना पत्र दाखिल किए थे,, जिसमे उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार द्वारा उनकी चरित्र पंजिका में किए गए जीरो अंकन मामले में दिया हलफनामा झूठा है,,, संजीव ने इस मामले में आपराधिक केस चलाने का आदेश पारित करने की फरियाद की है,,,
जबकि दूसरे में उन्होंने एम्स दिल्ली में घपलों का उल्लेख किया है,,
आपको बता दे कि संजीव चतुर्वेदी के अनुसार 2014 में उनके द्वारा एम्स में अनियमितता के 13 मामले पकड़े, जिसके बाद ही संजीव को एम्स से हटा दिया गया, अब कैट की कोर्ट ने दोनों मामलों में जवाब दाखिल करने के आदेश पारित किए हैं, हाईकोर्ट ने पिछले साल संजीव की एसीआर में जीरो अंकन को प्रतिशोधात्मक कार्रवाई बताते हुए 25 हजार जुर्माना लगा दिया था,,Conclusion:इस आदेश को केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को चुनौती दी तो सुप्रीम कोर्ट ने ना केवल हाईकोर्ट का आदेश को सही ठहराया बल्कि जुर्माना 25 हजार से बढ़ाकर 50 हजार कर दिया,, इसके बाद संजीव द्वारा 26 जून को हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई,,
मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद एम्स निदेशक व केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव को अवमानना नोटिस जारी कर जावाब पेश करने के आदेश दिए है
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