नैनीतालः हाईकोर्ट ने प्रदेश में बाघों की लगातार मौत और संरक्षण के मामले में व्यक्तिगत रूप से पेश न होने पर प्रमुख वन सचिव के खिलाफ बेलेबल वारंट जारी किया है. कोर्ट ने प्रमुख वन सचिव को आगामी 22 अप्रैल को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के आदेश दिए हैं. साथ ही देहरादून एसएसपी को प्रमुख सचिव के निर्धारित तिथि पर कोर्ट में पेश नहीं होंने पर कोर्ट में उन्हें पेश करने को कहा है.
बता दें कि ऑपरेशन आई ऑफ टाइगर इंडिया सोसायटी ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि प्रदेश में बाघों की लगातार मौत हो रही है. सरकार इनके संरक्षण हेतु उदासीन बनती जा रही है. जिससे इनकी संख्या हर साल घटती जा रही है. साथ ही कहा गया कि इनकी लगातार तस्करों द्वारा शिकार भी किया जा रहा है. जिसपर रोक लगाई जाए.
पूर्व में हाईकोर्ट की खंडपीठ ने मामले पर केंद्र और राज्य सरकार से जवाब पेश करने के आदेश दिए थे. जिस पर केंद्र सरकार ने अपना जवाब पेश करते हुए बताया कि उन्होंने बाघों के संरक्षण के लिए साल 2007 में राज्य सरकारों को विभिन्न दिशा-निर्देश जारी किए थे. जिसमें बाघों की तय समय पर गणना, उनकी सुरक्षा के लिए टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स का गठन, सीसीटीवी कैमरे लगाने समते कई निर्देश शामिल थे.
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वहीं, बीते 20 मार्च को कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से जारी दिशा-निर्देशों के पालन करने के मामले में राज्य सरकार से जवाब पेश करने को कहा था. जिसपर 3 अप्रैल 2019 को राज्य सरकार के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि प्रमुख सचिव वन को मामले पर जवाब पेश करने को कहा गया है, लेकिन अभी तक राज्य सरकार और प्रमुख सचिव वन की ओर से कोई जवाब कोर्ट में पेश नहीं किया गया है. जिस पर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए प्रमुख सचिव वन के खिलाफ बेलेबल वारंट जारी कर दिया है.
मंगलवार को कोर्ट में पेश ना होने पर मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन की खंडपीठ ने प्रमुख सचिव पर नाराजगी व्यक्त की है. कोर्ट ने टिप्पणी में कहा कि अधिकारियों द्वारा कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करना ठीक नहीं है. वहीं प्रमुख वन सचिव के खिलाफ बेलेबल वारंट जारी करते हुए कोर्ट ने उन्हें 22 अप्रैल को पेश होने के आदेश दिए हैं.