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HC में रोडवेज कर्मचारी वेतन मामले में सुनवाई, परिसंपत्ति बंटवारे पर केंद्र को दिए ये निर्देश - उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारी वेतन की मांग

उत्तराखंड में रोडवेज कर्मचारी लंबे समय से सरकार से वेतन देने की मांग कर रहे हैं. मामले को लेकर कर्मचारी नैनीताल हाईकोर्ट की शरण में भी जा चुके हैं. हाईकोर्ट के फटकार के बाद भी सरकार और निगम वेतन भुगतान नहीं कर पा रहे हैं. उधर, यूपी-उत्तराखंड रोडवेज की परिसंपत्तियों का बंटवारा भी लंबित है. जिस पर कोर्ट ने केंद्र सरकार से दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों की संयुक्त बैठक कराने के बाद जवाब पेश करने को कहा है.

nainital high court
नैनीताल हाईकोर्ट
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Published : Sep 8, 2021, 4:57 PM IST

नैनीतालः रोडवेज कर्मचारियों के वेतन मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान सरकार ने कोर्ट में अपना पक्ष रखा. जिसमें सरकार की ओर से बताया गया कि कर्मचारियों को जून महीने तक का वेतन दे दिया गया है. जबकि, जुलाई के वेतन के लिए 16.5 करोड़ रुपए रिलीज कर दिया गया है. इसके अलावा उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में रोडवेज की परिसंपत्तियों के बंटवारे मामले पर भी सुनवाई हुई. जिसमें कोर्ट ने केंद्र सरकार को यूपी एवं उत्तराखंड के मुख्य सचिवों की संयुक्त बैठक कराने को कहा.

गौर हो कि उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारी यूनियन ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें यूनियन ने कहा है कि सरकार उनके खिलाफ एस्मा लगाने जा रही है, जो नियम विरुद्ध है. सरकार कर्मचारियों को हड़ताल करने पर मजबूर करती आई है. सरकार और परिवहन निगम न तो संविदा कर्मचारियों को नियमित कर रही है, न ही उन्हें नियमित वेतन दिया जा रहा है. उन्हें बीते चार सालों से ओवर टाइम भी नहीं दिया जा रहा है. साथ ही कहा है कि रिटायर कर्मचारियों के देयकों का भुगतान भी नहीं किया गया है.

ये भी पढ़ेंः 'क्यों न अधिकारियों को भी दिया जाए 50% वेतन', रोडवेज कर्मचारी वेतन मामले पर HC की टिप्पणी

याचिका में कहा गया है कि यूनियन का सरकार और निगम के साथ कई बार मांगों को लेकर समझौता हो चुका है. उसके बाद भी सरकार एस्मा लगाने को तैयार है. साथ ही याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सरकार ने निगम को 45 करोड़ रुपए बकाया देना है. उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की ओर से भी निगम को 700 करोड़ रुपए देने हैं. जो अभी तक भुगतान नहीं किया गया है.

ऐसे में न तो राज्य सरकार निगम को उनका 45 करोड़ रुपए दे रही है, न ही राज्य सरकार उत्तर प्रदेश से 700 करोड़ रुपए की मांग कर रही है. जिस वजह से निगम न तो नई बसें खरीद पा रही है और न ही बस में यात्रियों की सुविधाओं के लिए सीसीटीवी समेत अन्य सुविधाएं जुटा रही है. इधर, लॉकडाउन के चलते उन्हें फरवरी महीने से वेतन तक नहीं दिया गया है.

ये भी पढ़ेंः रोडवेज कर्मचारियों का वेतन रोकने पर हाईकोर्ट सख्त, मुख्य सचिव समेत कई अफसरों को किया तलब

आज क्या फैसला हुआ? आज हाईकोर्ट में रोडवेज कर्मचारियों को निगम की ओर से लॉकडाउन के दौरान का 6 महीने से वेतन नहीं दिए जाने, अभी तक उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में रोडवेज की परिसंपत्तियों के बंटवारे नहीं किए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई हुई. यह सुनवाई मुख्य न्यायधीश आरएस चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई.

सुनवाई में वित्त सचिव अमित नेगी, परिवहन सचिव रंजीत सिन्हा, नवनियुक्त महानिदेशक परिवहन नीरज खैरवाल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुए. सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि कर्मचारियों का जून महीने तक का वेतन भुगतान कर दिया गया है. भविष्य के वेतन के लिए एक प्रपोजल बनाकर कैबिनेट के सम्मुख रखने का प्रस्ताव पास किया गया है.

ये भी पढ़ेंः रोडवेज कर्मियों को 5 महीने से वेतन न मिलने पर HC सख्त, सरकार से जवाब मांगा

वहीं, यूपी और उत्तराखंड रोडवेज की परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर सरकार की ओर से कहा गया कि इसमें चार बार मीटिंग बुलाई गई थी, लेकिन मीटिंग पूरी नहीं हो पाई. जिस पर कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि दोनों मुख्य सचिवों की बैठक 15 सितंबर को करें. उसमे जो भी नतीजा निकलता है, उसे कोर्ट में पेश करें. अब मामले की अगली सुनवाई 16 सितंबर को होगी.

नैनीतालः रोडवेज कर्मचारियों के वेतन मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान सरकार ने कोर्ट में अपना पक्ष रखा. जिसमें सरकार की ओर से बताया गया कि कर्मचारियों को जून महीने तक का वेतन दे दिया गया है. जबकि, जुलाई के वेतन के लिए 16.5 करोड़ रुपए रिलीज कर दिया गया है. इसके अलावा उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में रोडवेज की परिसंपत्तियों के बंटवारे मामले पर भी सुनवाई हुई. जिसमें कोर्ट ने केंद्र सरकार को यूपी एवं उत्तराखंड के मुख्य सचिवों की संयुक्त बैठक कराने को कहा.

गौर हो कि उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारी यूनियन ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें यूनियन ने कहा है कि सरकार उनके खिलाफ एस्मा लगाने जा रही है, जो नियम विरुद्ध है. सरकार कर्मचारियों को हड़ताल करने पर मजबूर करती आई है. सरकार और परिवहन निगम न तो संविदा कर्मचारियों को नियमित कर रही है, न ही उन्हें नियमित वेतन दिया जा रहा है. उन्हें बीते चार सालों से ओवर टाइम भी नहीं दिया जा रहा है. साथ ही कहा है कि रिटायर कर्मचारियों के देयकों का भुगतान भी नहीं किया गया है.

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याचिका में कहा गया है कि यूनियन का सरकार और निगम के साथ कई बार मांगों को लेकर समझौता हो चुका है. उसके बाद भी सरकार एस्मा लगाने को तैयार है. साथ ही याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सरकार ने निगम को 45 करोड़ रुपए बकाया देना है. उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की ओर से भी निगम को 700 करोड़ रुपए देने हैं. जो अभी तक भुगतान नहीं किया गया है.

ऐसे में न तो राज्य सरकार निगम को उनका 45 करोड़ रुपए दे रही है, न ही राज्य सरकार उत्तर प्रदेश से 700 करोड़ रुपए की मांग कर रही है. जिस वजह से निगम न तो नई बसें खरीद पा रही है और न ही बस में यात्रियों की सुविधाओं के लिए सीसीटीवी समेत अन्य सुविधाएं जुटा रही है. इधर, लॉकडाउन के चलते उन्हें फरवरी महीने से वेतन तक नहीं दिया गया है.

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आज क्या फैसला हुआ? आज हाईकोर्ट में रोडवेज कर्मचारियों को निगम की ओर से लॉकडाउन के दौरान का 6 महीने से वेतन नहीं दिए जाने, अभी तक उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में रोडवेज की परिसंपत्तियों के बंटवारे नहीं किए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई हुई. यह सुनवाई मुख्य न्यायधीश आरएस चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई.

सुनवाई में वित्त सचिव अमित नेगी, परिवहन सचिव रंजीत सिन्हा, नवनियुक्त महानिदेशक परिवहन नीरज खैरवाल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुए. सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि कर्मचारियों का जून महीने तक का वेतन भुगतान कर दिया गया है. भविष्य के वेतन के लिए एक प्रपोजल बनाकर कैबिनेट के सम्मुख रखने का प्रस्ताव पास किया गया है.

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वहीं, यूपी और उत्तराखंड रोडवेज की परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर सरकार की ओर से कहा गया कि इसमें चार बार मीटिंग बुलाई गई थी, लेकिन मीटिंग पूरी नहीं हो पाई. जिस पर कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि दोनों मुख्य सचिवों की बैठक 15 सितंबर को करें. उसमे जो भी नतीजा निकलता है, उसे कोर्ट में पेश करें. अब मामले की अगली सुनवाई 16 सितंबर को होगी.

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