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देहरादून में बिना मास्टर प्लान के अवैध निर्माण पर HC में सुनवाई, केंद्र और राज्य सरकार से मांगा शपथ पत्र

Illegal construction in Dehradun देहरादून में बिना मास्टर प्लान के जमकर निर्माण कार्य किए जा रहे हैं. जिससे दून घाटी कंक्रीट में तब्दील होती जा रही है. इसके अलावा पर्यटन विकास बोर्ड का गठन नहीं किया गया है. जिस पर नैनीताल हाईकोर्ट सुनवाई कर रही है. आज मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से डिटेल शपथ पत्र पेश करने को कहा है.

Illegal construction in Dehradun
कंक्रीट में तब्दील देहरादून
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 2, 2023, 4:55 PM IST

नैनीतालः देहरादून में बिना मास्टर प्लान और पर्यटन विकास बोर्ड के गठन के हो रहे अवैध निर्माण कार्यों के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार व केंद्र सरकार से पूछा है कि दून वैली को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए अभी तक कितना बजट इन्वेस्ट हुआ? दून वैली का मास्टर प्लान के तहत विकास करने के लिए क्या प्लान बनाए गए हैं? इस पर केंद्र और राज्य दोनों डिटेल शपथ पत्र पेश करें.

इस पूरे मामले में अगली सुनवाई 8 दिसंबर को होगी. नैनीताल हाईकोर्ट की खंडपीठ ने पर्यटन सचिव से भी आगामी तिथि को कोर्ट में पेश होने को कहा है. आज सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कोर्ट में अपना जवाब पेश किया. जिसमें कहा गया कि हाईकोर्ट के आदेश पर राज्य सरकार ने पर्यटन विकास बोर्ड के गठन का प्रपोजल केंद्र सरकार को 4 अक्टूबर को भेज दिया है. जिसमें अब केंद्र सरकार की संस्तुति आनी है.
ये भी पढ़ेंः देहरादून में अवैध निर्माण और मास्टर प्लान पर HC में सुनवाई, सरकार को दिया अंतिम अवसर

गौर हो कि दिल्ली निवासी आकाश वशिष्ठ ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के 1989 का नोटिफिकेशन होने के बाद भी उत्तराखंड सरकार ने अब तक न तो पर्यटन गतिविधियों के लिए कोई टूरिज्म डेवलपमेंट प्लान तैयार किया है न ही लैंड यूज के लिए मास्टर प्लान बनाया है. जिसके चलते दून वैली कंक्रीट में तब्दील हो रही है.

वहीं, याचिकाकर्ता का कहना है कि देहरादून में बिना मास्टर प्लान के निर्माण से नदियों, जलस्रोतों और जंगलों पर असर पड़ रहा है. जो दून वैली के खतरनाक है. याचिकाकर्ता ने देहरादून में टूरिज्म डेवलपमेंट प्लान और मास्टर प्लान के तहत ही विकास कार्य कराने की मांग की है.

नैनीतालः देहरादून में बिना मास्टर प्लान और पर्यटन विकास बोर्ड के गठन के हो रहे अवैध निर्माण कार्यों के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार व केंद्र सरकार से पूछा है कि दून वैली को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए अभी तक कितना बजट इन्वेस्ट हुआ? दून वैली का मास्टर प्लान के तहत विकास करने के लिए क्या प्लान बनाए गए हैं? इस पर केंद्र और राज्य दोनों डिटेल शपथ पत्र पेश करें.

इस पूरे मामले में अगली सुनवाई 8 दिसंबर को होगी. नैनीताल हाईकोर्ट की खंडपीठ ने पर्यटन सचिव से भी आगामी तिथि को कोर्ट में पेश होने को कहा है. आज सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कोर्ट में अपना जवाब पेश किया. जिसमें कहा गया कि हाईकोर्ट के आदेश पर राज्य सरकार ने पर्यटन विकास बोर्ड के गठन का प्रपोजल केंद्र सरकार को 4 अक्टूबर को भेज दिया है. जिसमें अब केंद्र सरकार की संस्तुति आनी है.
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गौर हो कि दिल्ली निवासी आकाश वशिष्ठ ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के 1989 का नोटिफिकेशन होने के बाद भी उत्तराखंड सरकार ने अब तक न तो पर्यटन गतिविधियों के लिए कोई टूरिज्म डेवलपमेंट प्लान तैयार किया है न ही लैंड यूज के लिए मास्टर प्लान बनाया है. जिसके चलते दून वैली कंक्रीट में तब्दील हो रही है.

वहीं, याचिकाकर्ता का कहना है कि देहरादून में बिना मास्टर प्लान के निर्माण से नदियों, जलस्रोतों और जंगलों पर असर पड़ रहा है. जो दून वैली के खतरनाक है. याचिकाकर्ता ने देहरादून में टूरिज्म डेवलपमेंट प्लान और मास्टर प्लान के तहत ही विकास कार्य कराने की मांग की है.

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