नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के जल विद्युत उत्पादन पर वाटर टैक्स लगाए जाने के खिलाफ दायर विशेष अपीलों पर दो दिन लगातार सुनवाई की. इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई के लिए अगली तारीख 24 फरवरी तय की है. अब कोर्ट 24 फरवरी से इस मामले की लगातार सुनवाई करेगा.
आज मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी की खंडपीठ में हुई. पूर्व में एकलपीठ ने एक्ट को सही ठहराते हुए विभिन्न हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट कंपनियों द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया था. इस आदेश को हाइड्रो पावर कंपनियों ने विशेष अपील दायर कर खंडपीठ को चुनौती दी थी.
मामले के अनुसार राज्य बनने के बाद उत्तराखंड सरकार ने राज्य की नदियों में जल विद्युत परियोजनाएं लगाए जाने हेतु विभिन्न कंपनियों को आमंत्रित किया था. वहीं उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और जल विद्युत कंपनियों के बीच एक करार हुआ था, जिसमें तय हुआ था कि कुल उत्पादन की 12 फीसदी बिजली उत्तराखंड को निशुल्क दी जाएगी. जबकि शेष बिजली उत्तर प्रदेश को बेची जाएगी, लेकिन 2012 में उत्तराखंड सरकार ने उत्तराखंड वाटर टैक्स ऑन इलेक्ट्रिसिटी जनरेशन एक्ट (Uttarakhand Water Tax on Electricity Generation Act) बनाकर जल विद्युत कंपनियों पर वायर की क्षमतानुसार 2 से 10 पैसे प्रति यूनिट वाटर टैक्स लगा दिया.
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वाटर टैक्स ऑन इलेक्ट्रिसिटी जनरेशन एक्ट को अलकनंदा पावर प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड, टीएचडीसी, एनएचपीसी, स्वाति पावर प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड, भिलंगना हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट, जय प्रकाश पावर वेंचर प्राइवेट लिमिटेड आदि कंपनियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है. हाईकोर्ट की एकलपीठ ने उनकी याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा था कि विधायिका को इस तरह का एक्ट बनाने का अधिकार है. यह टैक्स पानी के उपयोग पर नहीं बल्कि पानी से विद्युत उत्पादन पर है, जो संवैधानिक दायरे के भीतर बनाया गया है.