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कुंभ कोरोना टेस्टिंग फर्जीवाड़ा: आरोपियों को HC से राहत, 8 अक्टूबर तक गिरफ्तारी पर रोक - Sarat Pant, Service Partner, Max Corporate Services

नैनीताल हाईकोर्ट ने कुंभ टेस्टिंग कोरोना फर्जीवाड़ा मामले में आज सुनवाई की. हाईकोर्ट ने आरोपियों की गिरफ्तारी पर 8 अक्टूबर तक रोक लगा दी है.

आरोपियों को HC से राहत
आरोपियों को HC से राहत
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Published : Sep 29, 2021, 3:26 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड हाइकोर्ट ने कुंभ मेले में हुए कोरोना टेस्टिंग फर्जीवाड़े में आरोपी मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज के सर्विस पार्टनर शरद पंत और मल्लिका पंत की याचिकाओं पर सुनवाई की. कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ताओं की गिरफ्तारी पर 8 अक्टूबर तक रोक लगा दी है. मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की एकलपीठ में हुई.

कोर्ट ने उनसे कहा कि वे जांच में सहयोग करें और सीजेएम हरिद्वार में अंतरिम जमानत के लिए प्रार्थना पत्र पेश करें. सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से कहा गया कि इनके खिलाफ एनबीडब्ल्यू हुए हैं. जांच में इनके खिलाफ अन्य आरोप पाए गए हैं और आईपीसी की धारा 467 और लगाई गई है.

ये भी पढ़ें: बाड़ाहोती इलाके में 100 चीनी सैनिकों के घुसपैठ की चर्चा, सरकार को आधिकारिक जानकारी नहीं

मामले शरद पंत व मल्लिका पंत ने याचिका में कहा था कि वे मैक्स कॉर्पोरेट सर्विसेस में एक सर्विस प्रोवाइडर हैं. परीक्षण और डेटा प्रविष्टि के दौरान मैक्स कॉर्पोरेट का कोई कर्मचारी मौजूद नहीं था. इसके अलावा परीक्षण और डेटा प्रविष्टि का सारा काम स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की प्रत्यक्ष निगरानी में किया गया था. इन अधिकारियों की मौजूदगी में परीक्षण स्टॉलों ने जो कुछ भी किया था, उसे अपनी मंजूरी दे दी. अगर कोई गलत कार्य कर रहा था तो कुंभ मेले के दौरान अधिकारी चुप क्यों रहे.

मुख्य चिकित्सा अधिकारी हरिद्वार ने मुकदमा दर्ज करते हुए आरोप लगाया था कि कुंभ मेले के दौरान इन्होंने अपने लाभ के लिए फर्जी तरीके से टेस्ट कराए थे. वहीं, मामले में एक व्यक्ति ने सीएमओ हरिद्वार को एक पत्र भेजकर शिकायत की थी कि कुंभ मेले में टेस्ट कराने वाले लैबों ने उनकी आईडी व फोन नंबर का उपयोग किया है. जबकि उनके द्वारा रेपिड एंटीजन टेस्ट कराने के लिए कोई रजिस्ट्रेशन व सैंपल नहीं दिया गया.

देहरादून: उत्तराखंड हाइकोर्ट ने कुंभ मेले में हुए कोरोना टेस्टिंग फर्जीवाड़े में आरोपी मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज के सर्विस पार्टनर शरद पंत और मल्लिका पंत की याचिकाओं पर सुनवाई की. कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ताओं की गिरफ्तारी पर 8 अक्टूबर तक रोक लगा दी है. मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की एकलपीठ में हुई.

कोर्ट ने उनसे कहा कि वे जांच में सहयोग करें और सीजेएम हरिद्वार में अंतरिम जमानत के लिए प्रार्थना पत्र पेश करें. सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से कहा गया कि इनके खिलाफ एनबीडब्ल्यू हुए हैं. जांच में इनके खिलाफ अन्य आरोप पाए गए हैं और आईपीसी की धारा 467 और लगाई गई है.

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मामले शरद पंत व मल्लिका पंत ने याचिका में कहा था कि वे मैक्स कॉर्पोरेट सर्विसेस में एक सर्विस प्रोवाइडर हैं. परीक्षण और डेटा प्रविष्टि के दौरान मैक्स कॉर्पोरेट का कोई कर्मचारी मौजूद नहीं था. इसके अलावा परीक्षण और डेटा प्रविष्टि का सारा काम स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की प्रत्यक्ष निगरानी में किया गया था. इन अधिकारियों की मौजूदगी में परीक्षण स्टॉलों ने जो कुछ भी किया था, उसे अपनी मंजूरी दे दी. अगर कोई गलत कार्य कर रहा था तो कुंभ मेले के दौरान अधिकारी चुप क्यों रहे.

मुख्य चिकित्सा अधिकारी हरिद्वार ने मुकदमा दर्ज करते हुए आरोप लगाया था कि कुंभ मेले के दौरान इन्होंने अपने लाभ के लिए फर्जी तरीके से टेस्ट कराए थे. वहीं, मामले में एक व्यक्ति ने सीएमओ हरिद्वार को एक पत्र भेजकर शिकायत की थी कि कुंभ मेले में टेस्ट कराने वाले लैबों ने उनकी आईडी व फोन नंबर का उपयोग किया है. जबकि उनके द्वारा रेपिड एंटीजन टेस्ट कराने के लिए कोई रजिस्ट्रेशन व सैंपल नहीं दिया गया.

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