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रोडवेज कर्मचारियों को वेतन नहीं मिलने पर हाई कोर्ट सख्त, सरकार से मांगा जवाब

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Published : Oct 17, 2020, 4:29 PM IST

नैनीताल हाई कोर्ट ने रोडवेज कर्मचारियों के वेतन नहीं दिए जाने को लेकर सरकार से 10 दिनों के भीतर जवाब देने को कहा है.

नैनीताल
हाई कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

नैनीताल: प्रदेश के रोडवेज कर्मचारियों को पिछले 4 महीने से वेतन का भुगतान नहीं हुआ है. मामला का संज्ञान लेते हुए नैनीताल हाई कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है. कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि पिछले 4 माह से वेतन का भुगतान क्यों नहीं हुआ है. मामले में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा कर्मचारियों के वेतन के लिए 18 करोड़ रुपए की घोषणा की गई थी, लेकिन आज तक वह घोषणा केवल घोषणा ही बन कर रह गई. आज तक कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया गया है.

आपकों बता दें कि प्रदेश में रोडवेज कर्मचारियों पर राज्य सरकार द्वारा एस्मा लगाए जाने के मामले पर नैनीताल हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. रोडवेज कर्मचारियों को 4 महीने से वेतन नहीं मिलने पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को 10 दिन के भीतर जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

मामले की सुनवाई के दौरान यूपी सरकार द्वारा परिसंपत्ति बंटवारे मामले पर उस आदेश पर पुनर्विचार प्रार्थना पत्र दायर किया गया है. जिसमें हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को 4 सप्ताह के भीतर उत्तराखंड रोडवेज को 27.63 करोड़ रुपए का भुगतान करने के आदेश दिए थे. जिस पर हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को मामले में प्रति शपथ पत्र पेश कर जवाब देने को कहा है.

ये भी पढ़ें: शिक्षामंत्री अरविंद पांडेय का फेसबुक अकाउंट हैक, साइबर पुलिस के लिए चुनौती

आपको बताते चलें कि उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारी संघ ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा कि सरकार उनके खिलाफ एस्मा लगाने जा रही है, जो नियम के विरुद्ध है. सरकार कर्मचारियों को हड़ताल करने पर मजबूर करती आई है. सरकार व परिवहन निगम नहीं तो संविदा कर्मचारियों को नियमित कर रही है, नहीं उनको नियमित वेतन दिया जा रहा है. उनको पिछले चार साल से ओवर टाइम भी नहीं दिया जा रहा है. रिटायर कर्मचारियों के पेंशन का भुगतान नहीं किया गया है. रोडवेज कर्मचारी यूनियन का सरकार व निगम के साथ कई बार मांगों को लेकर समझौता हो चुका है. उसके बाद भी सरकार एस्मा लगाने को तैयार है.

साथ ही याचिका में कहा है कि सरकार को निगम को 45 करोड़ रुपया बकाया देना है. वहीं, उत्तर प्रदेश परिवहन निगम द्वारा भी निगम को 700 सौ करोड़ रुपया देना है. ना तो राज्य सरकार निगम को उसका 45 करोड़ रुपए पर दे रही है, ना ही राज्य सरकार उत्तर प्रदेश से 700 करोड़ रुपए मांग रही है. जिस वजह से निगम ना तो नई बसें खरीद पा रही है और ना ही बस में यात्रियों की सुविधाओं दे पा रही है और ना हीं सुरक्षा के लिए सीसीटीवी समेत अन्य चीजें दे पा रही है.

नैनीताल: प्रदेश के रोडवेज कर्मचारियों को पिछले 4 महीने से वेतन का भुगतान नहीं हुआ है. मामला का संज्ञान लेते हुए नैनीताल हाई कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है. कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि पिछले 4 माह से वेतन का भुगतान क्यों नहीं हुआ है. मामले में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा कर्मचारियों के वेतन के लिए 18 करोड़ रुपए की घोषणा की गई थी, लेकिन आज तक वह घोषणा केवल घोषणा ही बन कर रह गई. आज तक कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया गया है.

आपकों बता दें कि प्रदेश में रोडवेज कर्मचारियों पर राज्य सरकार द्वारा एस्मा लगाए जाने के मामले पर नैनीताल हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. रोडवेज कर्मचारियों को 4 महीने से वेतन नहीं मिलने पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को 10 दिन के भीतर जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

मामले की सुनवाई के दौरान यूपी सरकार द्वारा परिसंपत्ति बंटवारे मामले पर उस आदेश पर पुनर्विचार प्रार्थना पत्र दायर किया गया है. जिसमें हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को 4 सप्ताह के भीतर उत्तराखंड रोडवेज को 27.63 करोड़ रुपए का भुगतान करने के आदेश दिए थे. जिस पर हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को मामले में प्रति शपथ पत्र पेश कर जवाब देने को कहा है.

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आपको बताते चलें कि उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारी संघ ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा कि सरकार उनके खिलाफ एस्मा लगाने जा रही है, जो नियम के विरुद्ध है. सरकार कर्मचारियों को हड़ताल करने पर मजबूर करती आई है. सरकार व परिवहन निगम नहीं तो संविदा कर्मचारियों को नियमित कर रही है, नहीं उनको नियमित वेतन दिया जा रहा है. उनको पिछले चार साल से ओवर टाइम भी नहीं दिया जा रहा है. रिटायर कर्मचारियों के पेंशन का भुगतान नहीं किया गया है. रोडवेज कर्मचारी यूनियन का सरकार व निगम के साथ कई बार मांगों को लेकर समझौता हो चुका है. उसके बाद भी सरकार एस्मा लगाने को तैयार है.

साथ ही याचिका में कहा है कि सरकार को निगम को 45 करोड़ रुपया बकाया देना है. वहीं, उत्तर प्रदेश परिवहन निगम द्वारा भी निगम को 700 सौ करोड़ रुपया देना है. ना तो राज्य सरकार निगम को उसका 45 करोड़ रुपए पर दे रही है, ना ही राज्य सरकार उत्तर प्रदेश से 700 करोड़ रुपए मांग रही है. जिस वजह से निगम ना तो नई बसें खरीद पा रही है और ना ही बस में यात्रियों की सुविधाओं दे पा रही है और ना हीं सुरक्षा के लिए सीसीटीवी समेत अन्य चीजें दे पा रही है.

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