नैनीताल: उत्तराखंड रोडवेज के कर्मचारियों को जुलाई माह से वेतन नहीं दिए जाने के मामले में यूनियन की ओर से दायर जनहित याचिका पर मंगलवार को नैनीताल हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने अभी तक कर्मचारियों के वेतन का भुगतान न करने पर नाराजगी जताई है. कोर्ट ने यूपी और उत्तराखंड सरकार के उत्तराखंड परिवहन निगम को इस मामले में एक सप्ताह के भीतर शपथ पत्र पेश करने को कहा है.
बता दें कि पिछली सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिए थे कि वे 21 दिन के भीतर उत्तराखंड परिवहन निगम का 27.63 करोड़ का भुगतान करे ताकि रोडवेज कर्मचारियों को वेतन दिया जा सके. लेकिन हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद उत्तर प्रदेश सरकार ने 27 करोड़ न देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
जिसका संज्ञान लेते हुए नैनीताल हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी का आदेश हाई कोर्ट में पेश करने को कहा था, लेकिन मंगलवार को हुई सुनवाई में यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का आदेश पेश नहीं किया. जिस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई है.
पढ़ें- हाई कोर्ट ने कृषि मंत्री सुबोध उनियाल व विधायक करन माहरा को जारी किया नोटिस
नैनीताल हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने एक बार फिर से उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सरकार समेत उत्तराखंड परिवहन निगम को अपना जवाब शपथ पत्र के माध्यम से पेश करने को कहा है.
गौरतलब हो कि उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारी संघ ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल के खिलाफ एस्मा लगाने जा रही है, जो नियम विरुद्ध है. क्योंकि सरकार कर्मचारियों को हड़ताल करने पर मजबूर कर रही है. सरकार न तो परिवहन निगम के संविदा कर्मचारियों को नियमित कर रहे हैं और न ही कर्मचारियों को नियमित वेतन दे रही है. इतना ही नहीं रोडवेज कर्मचारियों को निगम की तरफ से ओवर टाइम भी नहीं दिया जा रहा है. रिटायर्ड कर्मचारियों के देय का भुगतान भी सरकार ने नहीं किया है.
हाई कोर्ट पहुंचे कर्मचारी यूनियन का कहना है कि वेतन की मांग समेत अन्य भत्तों की मांग को लेकर सरकार के साथ उनका कई बार समझौता हो चुका है, बावजूद इसके सरकार ने न तो उन्हें वेतन दिया और न ही अन्य भत्ते. इन्हीं मांगों को लेकर जब कर्मचारियों ने हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी तो सरकार उनके खिलाफ एस्मा लगाने की धमकी दी.
याचिका में कहा गया है कि सरकार ने निगम को करीब 78 करोड़ से अधिक देने हैं. जिसमें उत्तर प्रदेश परिवहन निगम और उत्तराखंड परिवहन निगम के परिसंपत्तियों का 27 करोड़ का भुगतान भी है. याचिका में कहा गया था कि बजट के अभाव में परिवहन निगम न तो नई बस खरीद पा रहा है और न ही बसों में यात्रियों की सुविधाओं के लिए हाई कोर्ट के आदेश पर सीसीटीवी कैमरे लग पा रहे हैं.