नैनीताल: हाई कोर्ट के आदेश का पालन न करना केंद्रीय संयुक्त सचिव सड़क परिवहन को भारी पड़ गया. नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने केंद्रीय संयुक्त सचिव सड़क व परिवहन के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है. हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने उत्तराखंड में रोडवेज कर्मचारियों को लंबे समय से वेतन व अन्य भत्ते ना देने के मामले पर केंद्रीय संयुक्त सचिव सड़क एवं परिवहन को मंगलवार को कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए थे.
नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने उत्तराखंड में रोडवेज कर्मचारियों को लंबे समय से वेतन व अन्य भत्ते ना देने के मामले पर केंद्रीय संयुक्त सचिव सड़क एवं परिवहन को मंगलवार को कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए थे. वहीं, कोर्ट के आदेश के बावजूद भी संयुक्त सचिव कोर्ट में पेश नहीं हुए, जिस पर मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने नाराजगी व्यक्त करते हुए केंद्रीय संयुक्त सचिव के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है.
बता दें कि रोडवेज कर्मचारी एसोसिएशन ने नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार कर्मचारियों के खिलाफ एस्मा लगाने जा रही है जो सरासर गलत है. याचिका में कहा गया है कि सरकार कर्मचारियों को हड़ताल करने पर मजबूर कर रही है और सरकार व परिवहन निगम ना तो संविदा कर्मचारियों को नियमित कर रहे हैं, ना ही उनको नियमित वेतन दे रहे हैं. साथ ही उनको पिछले 4 साल से ओवरटाइम का पैसा तक नहीं दिया गया है. वहीं, रिटायर्ड कर्मचारियों के देय का अबतक भुगतान नहीं किया गया है.
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कर्मचारी यूनियन का कहना है कि सरकार और निगम का उनके साथ कई बार मांगों को लेकर समझौता हो चुका है लेकिन उसके बाद भी सरकार कर्मचारियों पर एस्मा लगाने जा रही है. साथ ही याचिका में कहा गया है कि सरकार का निगम को 69 करोड़ रुपया बकाया देना है. वहीं, उत्तर प्रदेश परिवहन निगम द्वारा उत्तराखंड परिवहन निगम को ₹700 देना है जिस वजह से उत्तराखंड परिवहन निगम को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
उत्तर प्रदेश से 700 करोड़ लेने के लिए ना तो राज्य सरकार कोई प्रयास कर रही है, और उत्तराखण्ड सरकार भी उनका का पैसा नहीं दे रही है, जिस वजह से उत्तराखंड परिवहन निगम नई बसें नहीं खरीद पा रहा है और ना ही यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा के लिए सीसीटीवी समेत अन्य सुविधाओं की व्यवस्था कर पा रहा है. जबकि, पूर्व में कोर्ट ने बसों में सीसीटीवी समेत अन्य सुविधाएं देने के आदेश दिए थे. मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश नारायण सिंह धनिक की खंडपीठ में हुई.