नैनीताल: सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच देहरादून में बनाने की मांग ने एक बार फिर जोर पकड़ा है. हाई कोर्ट के अधिवक्ता लंबे समय से इस बेंच की मांग कर रहे हैं. अधिवक्ताओं का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में 90% से अधिक याचिकाएं खारिज हो जाती हैं. जिसकी वजह से सुप्रीम कोर्ट में काम का अत्यधिक बोझ है .
उच्च न्यायालय के अधिवक्ताओं का कहना है कि लंबित वादों में समय से न्याय नहीं मिल पा रहा है. साथ ही देश में सुप्रीम कोर्ट की चार बेंच स्थापित करने का कार्य भी जल्द पूरा हो जाना चाहिए ताकि लोगों को इसका फायदा मिल सके.वहीं, अधिवक्ताओं की मांग है कि देहरादून में हिमालयी राज्यों के लिए सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच की स्थापना होनी चाहिए, जिससे उत्तर भारत क्षेत्र के सभी लोगों को जल्द से जल्द न्याय मिल पाए.
गौरतलब है कि उपराष्ट्रपति ने एक कार्यक्रम के दौरान सुप्रीम कोर्ट पर मुकदमों का बोझ कम करने के लिए देश में सुप्रीम कोर्ट की चार बेंच खोलने का सुझाव दिया था. जबकि, विधि आयोग पूर्व में भी इसी तरह की सिफारिश कर चुका है. ऐसे में आयोग की सिफारिश के मद्देनजर हाई कोर्ट के वकीलों ने देहरादून में सुप्रीम कोर्ट की बेंच खोलने के लिए अपनी आवाज बुलंद की है.
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इस दौरान अधिवक्ताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डबल इंजन की सरकार में उत्तराखंडवासियों से प्रदेश का विशेष ध्यान रखने का आश्वासन दिया था. अब समय आ गया है कि उत्तराखंड का विशेष ध्यान दिया जाए और उत्तराखंड में सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच की स्थापना की जाये, ताकि राज्य का समग्र विकास हो सके.
वहीं, इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता महेंद्र सिंह पाल का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की बेंच बनाने को लेकर अटॉर्नी जनरल और लॉ कमीशन भी अपनी राय व्यक्त कर चुके हैं. इनकी भी राय यही है कि 4 बेंच बननी चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि अगर उत्तराखंड में सुप्रीम कोर्ट की बेंच बनती है तो उससे युवाओं को रोजगार मिलेगा और पलायन पर भी रोक लगेगी.