नैनीताल: उत्तराखंड के बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाला मामले में आरोपी पूर्व समाज कल्याण अधिकारी अनुराग शंखधर को नैनीताल जिला न्यायालय से बड़ा झटका लगा है. जिला न्यायालय की न्यायाधीश प्रीतू शर्मा की कोर्ट ने अनुराग शंखधर की जमानत याचिका को खारिज कर दिया.
बहुचर्चित छात्रवृति घोटाला
आपको बता दें कि प्रदेश का सबसे बड़ा छात्रवृत्ति घोटाला सामने आने के बाद एसआईटी ने आरोपी पूर्व समाज कल्याण अधिकारी अनुराग शंखधर को गिरफ्तार किया था. एसआईटी द्वारा अनुराग के खिलाफ 41 मुकदमे भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के तहत दर्ज किए गए थे. एसआईटी ने जिला न्यायालय में अपनी रिपोर्ट पेश कर कहा है कि 2014-15 में बाबा मोहन दास कॉलेज ऑफ एजुकेशन मोटाला और हरियाणा के क्लान रेवाड़ी कॉलेज में जसपुर के 10 छात्र-छात्राओं का फर्जी प्रवेश दिखाकर उनके नाम से चेक जारी किया गया था.
फर्जी प्रवेश के नाम पर घोटाला
वहीं, उधम सिंह नगर के केला खेड़ा क्षेत्र में अनुसूचित जाति और जनजाति के 10 छात्र छात्राओं का फर्जी प्रवेश हरियाणा के मां गंगा कॉलेज ऑफ एजुकेशन में दिखा कर उनके नाम की भी छात्रवृत्ति हड़प ली. मामले में जिला न्यायालय में अपनी जमानत याचिका दायर करने पहुंचे आरोपी शंखधर का कहना है कि उसे छात्रवृत्ति घोटाले में जबरन फंसाया गया है. उसके ऊपर लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं. लिहाजा उनके ऊपर दायर सभी मुकदमों को रद्द कर, जमानत दी जाए.
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अनुराग शंखधर द्वारा दायर जमानत याचिका का सरकारी अधिवक्ता सुशील कुमार शर्मा द्वारा विरोध किया गया. कोर्ट को बताया गया कि अनुराग शंखधर द्वारा समाज कल्याण अधिकारी रहते, विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ मिलीभगत कर करोड़ों का घोटाला किया गया है. लिहाजा, उन्हें जमानत देना उचित नहीं है.
वहीं, मामले में सुनवाई करते हुए जिला न्यायालय की भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम प्रीतू शर्मा की कोर्ट ने छात्रवृत्ति घोटाले में पूर्व समाज कल्याण अधिकारी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया. ये अनुराग शंखधर के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है.