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ट्रांसजेंडर दुष्कर्म मामला: केस में धारा बदलने की याचिका पर हाई कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

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Published : May 15, 2019, 9:06 AM IST

युवक से युवती बने याचिकाकर्ता ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर की. इस याचिका में बताया गया कि उसके दोस्त ने उसके साथ दुष्कर्म किया है, लेकिन पुलिस ने उसे महिला न मानकर धारा 377 अप्राकृतिक यौन शोषण में मामला दर्ज किया है.

नैनीताल हाईकोर्ट.

नैनीताल: नैनीताल हाईकोर्ट ने ट्रांसजेन्डर के साथ हुए रेप कांड मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा है. मुम्बई निवासी याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस याचिका में बताया गया कि याचिकाकर्ता लिंग परिवर्तन कर लड़की बन गई है, लेकिन उत्तराखंड पुलिस ने दुष्कर्म का मामला न दर्ज करके धारा 377 के तहत अप्राकृतिक यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज किया है.

याचिकाकर्ता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय अनुसार, नालसा बनाम यूनियन ऑफ इंडिया में यह अवधारित किया गया है कि कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा से अपना जेंडर चुन सकता है, लेकिन रेप के बाद से उत्तराखंड पुलिस ने उसको महिला मानने से इनकार कर दिया है. इस मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश रविन्द्र मैठाणी की एकलपीठ ने निर्णय को सुरक्षित रखा है.

बता दें कि मुम्बई निवासी युवती ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया था कि उसके दोस्त ने उसके साथ दुष्कर्म किया है. इसके बाद पीड़िता दुष्कर्म की शिकायत लेकर पुलिस के पास गई तो पुलिस ने बलात्कार का मामला दर्ज न करके 377 अप्राकृतिक यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज किया है. साथ ही याचिकाकर्ता ने नैनीताल हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की, जिसमें उसका ये मामला धारा 376 दुष्कर्म मामले में दर्ज किया जाए.

साथ ही याचिकाकर्ता ने बताया कि प्रदेश में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है. नालसा का आदेश ट्रांसजेन्डरों के अधिकारों के हितों के लिए है. साथ ही याचिकाकर्ता ने मामले की जांच अधिकारी पर भी आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने कोर्ट से झूठ बोला है कि कोर्ट ने मामले में 5 जांच अधिकारी बदले हैं, जबकि कोर्ट ने आज तक कोई जांच अधिकारी नहीं बदला है.

नैनीताल: नैनीताल हाईकोर्ट ने ट्रांसजेन्डर के साथ हुए रेप कांड मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा है. मुम्बई निवासी याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस याचिका में बताया गया कि याचिकाकर्ता लिंग परिवर्तन कर लड़की बन गई है, लेकिन उत्तराखंड पुलिस ने दुष्कर्म का मामला न दर्ज करके धारा 377 के तहत अप्राकृतिक यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज किया है.

याचिकाकर्ता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय अनुसार, नालसा बनाम यूनियन ऑफ इंडिया में यह अवधारित किया गया है कि कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा से अपना जेंडर चुन सकता है, लेकिन रेप के बाद से उत्तराखंड पुलिस ने उसको महिला मानने से इनकार कर दिया है. इस मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश रविन्द्र मैठाणी की एकलपीठ ने निर्णय को सुरक्षित रखा है.

बता दें कि मुम्बई निवासी युवती ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया था कि उसके दोस्त ने उसके साथ दुष्कर्म किया है. इसके बाद पीड़िता दुष्कर्म की शिकायत लेकर पुलिस के पास गई तो पुलिस ने बलात्कार का मामला दर्ज न करके 377 अप्राकृतिक यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज किया है. साथ ही याचिकाकर्ता ने नैनीताल हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की, जिसमें उसका ये मामला धारा 376 दुष्कर्म मामले में दर्ज किया जाए.

साथ ही याचिकाकर्ता ने बताया कि प्रदेश में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है. नालसा का आदेश ट्रांसजेन्डरों के अधिकारों के हितों के लिए है. साथ ही याचिकाकर्ता ने मामले की जांच अधिकारी पर भी आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने कोर्ट से झूठ बोला है कि कोर्ट ने मामले में 5 जांच अधिकारी बदले हैं, जबकि कोर्ट ने आज तक कोई जांच अधिकारी नहीं बदला है.

Intro:स्लग -फेसला सुरक्षित

रिपोर्ट-गौरब जोशी

स्थान-नैनीताल

एंकर- कोटद्वार मे ट्रास जेन्डर के साथ हुए रेप कांड के मामले मे नैनीताल हाई कोर्ट ने फेसला सुरक्षित रख लिया है।

आपको बता दे की मुम्बई निवासी याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट मे याचिका दायर कर कहा है कि वह लिंग परिवर्तन कर लड़की बन गई है, इसलिए उसे लड़की माना जाए,, याचीकायकर्ता  का यह भी कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय नाल्सा बनाम यूनियन आफ् इंडिया मे यह अवधारित किया गया है कि कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा से अपना जेंडर चून सकता है,लेकिन रेप के बाद से उत्तराखंड पुलिस उनको महिला नही मान रही है,,
मामले की सुनवाई न्यायाधीश रविन्द्र मैठाणी की एकलपीठ में हुई,मामले को सुनने के बाद कोर्ट ने निर्णय सुरक्षित रख लिया है।



Body:आपको बता दे की मुम्बई निवशी युवती ने नैनीताल हाई कोर्ट मे याचिका दायर कर कहा था की उनके दोस्त ने उसका रेप करा,ओर जो वो अपने रेप की शिकायत लेकर पुलिस के पास गयी तो पुलिस ने रेप का मामला दर्ज ना कर 377 अप्राकर्तीक योन उत्पीडन का मामला दर्ज करा,,,
जिसको यचिककर्ता ने नैनीताल हाई कोर्ट मे चुनौती दी जिसमे याचिका कर्ता ने कहा की वो एक महिला है लिहाजा उनके मामले मे 376रेप का मामला दर्ज करा जाए,,,


Conclusion:साथ ही याचिकाकर्ता कहना है कि प्रदेश मे सुप्रीम कोर्ट के नालसा केआदेश का पालन नही करा जा रहा है,क्योंकि नालसा का आदेश ट्रांसजेनड़रो के अधिकारो के हितो के लिये है,जिसका उत्तराखंड मे पालन नही करा जा रहा है।
वही याचिकाकर्ता ने मामले कि जाँच कर रही जाँच अधिकारी पर आरोप लगाते हुए कहा कि जाँच अधिकारी ने कोर्ट से झुट बोलाहै कि कोर्ट ने मामले मे 5जाँच अधिकारी बदले है,जबकी कोर्ट ने आज तक कोई जाँच अधिकारी नही बदले,साथ ही जाँच अधिकारी द्वारा रेप पीडित को युवती मानने से मना करते हुए मामले मे चार्ट शीट भी दायर कर दी।
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