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सुनी होगी विक्रम बेताल की कहानी, अब जानिए नैनीताल के नकवा बूबू की रहस्यमयी दास्तां

नैनीताल के नकवा बूबू की कई विचित्र और रहस्मई कहानियां प्रचलित हैं. स्थानीय निवासियों का मानना है कि, नकवा बूबू बेतालघाट में आज भी भटके हुए लोगों को रास्ता दिखाते हैं.

naqwa bubu
भटके हुए लोगों को दिखाते हैं रास्ता
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Published : Dec 17, 2019, 5:58 PM IST

Updated : Dec 17, 2019, 7:36 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड में कई विचित्र और रहस्यमई कहानियां है, जिनमें से एक है बेतालघाट के नकवा बुबु की कहानी, जो अपने आप में अद्भुत है. यूं तो विक्रम बेताल की कहानी बेहद प्रसिद्ध है लेकिन गांव बेतालघाट में भी एक अद्भुत और मददगार बेताल है जिसको लोग नकवा बूबू के नाम से जानते हैं. स्थानीय मानते हैं कि भटके हुए यात्रियों को नकवा बेताल बूबू आज भी रास्ता दिखा रहे हैं.

भटके हुए लोगों को दिखाते हैं रास्ता

कई कहानियां हैं प्रचलित

कहा जाता है कि बेतालघाट गांव में सड़क की दिक्कत थी और गांव को सड़क के दूसरे छोर से जोड़ने के लिए सरकार द्वारा एक पुल बनाने का ठेका किसी बाहरी ठेकेदार को दिया गया था. जब ठेकेदार ने गांव पहुंचकर पुल का निर्माण शुरू कराया तब बेतालघाट के लोगों ने ठेकेदार से गांव के स्थानीय देवता नकवा बूबू की पूजा को कहा लेकिन ठेकेदार भगवान को नहीं मानता था. ऐसे में उसने बगैर पूजा-पाठ के ही पुल का निर्माण शुरू कर दिया और पुर का काम पूरा भी हो गया.

ये भी पढ़ें: विजय दिवस: कैप्टन गुरुंग ने बयां की आंखों देखी दास्तां, सुनकर रोंगटे हो जाएंगे खड़े

जिस दिन पुल को स्थानीय लोगों के लिए खोला जाना था उसी रात को अचानक आंधी आई और पुल अपनी जगह से करीब 3 फीट की दूरी पर खिसक गया. लेकिन गांव में सब कुछ सामान्य था. गांव में कच्ची झोपड़ी और मकान थे. इन मकानों का एक तिनका तक नहीं हिला. इस घटना को देख कर गांव के लोग हैरान थे, जिसके बाद स्थानीय बुजुर्गों द्वारा ठेकेदार से माफी मांगने को कहा गया और ठेकेदार ने माफी मांगी और पूजा की, जिसके बाद ये पुल खुद ही अपनी जगह पर आ गया.

ये भी पढ़ें: देहरादून पुलिस को मिली बड़ी सफलता, करोड़ों की कीमत के सांप के साथ तीन तस्कर गिरफ्तार

ये भी है मान्यता

नकवा बूबू के बारे में एक मान्यता ये भी प्रचलित है कि पौराणिक समय में नकवा बूबू (बेताल) दिन में यहां के बच्चों के साथ खेलते थे और रात होते ही एक बच्चे को उठाकर ले जाते थे, इस बात से परेशान होकर स्थानीय लोगों ने देवताओं का आह्वान किया, जिस पर नकवा बूबू ( बेताल) खुद ही प्रकट हुए और बोले कि वो क्षेत्राधीपति हैं, अगर उनकी स्थापना शिव मंदिर के पास कर दी जाएगी तो सब ठीक हो जाएगा. जिसके बाद लोगों ने नकवा बूबू के कहे अनुसार उनके मंदिर की स्थापना कर दी और बच्चों के गायब होने का सिलसिला खत्म हो गया.

नैनीताल: उत्तराखंड में कई विचित्र और रहस्यमई कहानियां है, जिनमें से एक है बेतालघाट के नकवा बुबु की कहानी, जो अपने आप में अद्भुत है. यूं तो विक्रम बेताल की कहानी बेहद प्रसिद्ध है लेकिन गांव बेतालघाट में भी एक अद्भुत और मददगार बेताल है जिसको लोग नकवा बूबू के नाम से जानते हैं. स्थानीय मानते हैं कि भटके हुए यात्रियों को नकवा बेताल बूबू आज भी रास्ता दिखा रहे हैं.

भटके हुए लोगों को दिखाते हैं रास्ता

कई कहानियां हैं प्रचलित

कहा जाता है कि बेतालघाट गांव में सड़क की दिक्कत थी और गांव को सड़क के दूसरे छोर से जोड़ने के लिए सरकार द्वारा एक पुल बनाने का ठेका किसी बाहरी ठेकेदार को दिया गया था. जब ठेकेदार ने गांव पहुंचकर पुल का निर्माण शुरू कराया तब बेतालघाट के लोगों ने ठेकेदार से गांव के स्थानीय देवता नकवा बूबू की पूजा को कहा लेकिन ठेकेदार भगवान को नहीं मानता था. ऐसे में उसने बगैर पूजा-पाठ के ही पुल का निर्माण शुरू कर दिया और पुर का काम पूरा भी हो गया.

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जिस दिन पुल को स्थानीय लोगों के लिए खोला जाना था उसी रात को अचानक आंधी आई और पुल अपनी जगह से करीब 3 फीट की दूरी पर खिसक गया. लेकिन गांव में सब कुछ सामान्य था. गांव में कच्ची झोपड़ी और मकान थे. इन मकानों का एक तिनका तक नहीं हिला. इस घटना को देख कर गांव के लोग हैरान थे, जिसके बाद स्थानीय बुजुर्गों द्वारा ठेकेदार से माफी मांगने को कहा गया और ठेकेदार ने माफी मांगी और पूजा की, जिसके बाद ये पुल खुद ही अपनी जगह पर आ गया.

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ये भी है मान्यता

नकवा बूबू के बारे में एक मान्यता ये भी प्रचलित है कि पौराणिक समय में नकवा बूबू (बेताल) दिन में यहां के बच्चों के साथ खेलते थे और रात होते ही एक बच्चे को उठाकर ले जाते थे, इस बात से परेशान होकर स्थानीय लोगों ने देवताओं का आह्वान किया, जिस पर नकवा बूबू ( बेताल) खुद ही प्रकट हुए और बोले कि वो क्षेत्राधीपति हैं, अगर उनकी स्थापना शिव मंदिर के पास कर दी जाएगी तो सब ठीक हो जाएगा. जिसके बाद लोगों ने नकवा बूबू के कहे अनुसार उनके मंदिर की स्थापना कर दी और बच्चों के गायब होने का सिलसिला खत्म हो गया.

Intro:Summry नैनीताल की बेतालघाट में आज भी भटके हुए यात्रियों को रास्ता दिखाते हैं नकवा बेताल बूबू। Intro उत्तराखंड में कई विचित्र रहस्यमई कहानियां है जिनमें से एक है बेतालघाट के नगवा बुबु की कहानी जो अपने आप में अद्भुत है, यूं तो आपने विक्रम बेताल की कहानी तो जरूर सुनी होगी, जिसमें बेताल लोगों का जीना बेहाल कर देता है लेकिन इसी के विपरीत नैनीताल जिले के दूरस्थ गांव बेतालघाट में एक अद्भुत और मददगार बेताल है जिसको लोग नकवा बाबू के नाम से जानते हैं गांव का बेताल को लोग अपने घर में शुभ कार्यों से लेकर नए शुरू करने वाले कामों में सबसे पहले पूजा जाता हैं यही वजह है कि यह बेताल गांव वालों का आज इष्टदेव बन गया है।


Body:कहां जाता है कि बेतालघाट गांव में सड़क की दिक्कत थी और गांव को सड़क के दूसरे छोर से जुड़ने के लिए सरकार द्वारा एक पुल बनाने का ठेका किसी बाहरी ठेकेदार को दिया गया जब ठेकेदार ने गांव पहुंचकर पुल का काम शुरू करा तब बेतालघाट के लोगों द्वारा ठेकेदार से गांव के स्थानीय देवता नकवा बूबू की पूजा करने को कहा लेकिन ठेकेदार भगवान को नहीं मानता था, जिस वजह से उसने बगैर पूजा-पाठ करेगी पुल का निर्माण शुरू कर दिया और पुर का काम पूरा भी हो गया मगर जिस दिन पुल जनता के लिए खोला जाना था उसी रात को अचानक आंधी आई और पुल अपनी जगह से करीब 3 फीट की दूरी पर खिसक गया इतना ही नहीं गांव में सब कुछ सामान्य था गांव में कच्ची झोपड़ी और मकान थे जिन मकानों में एक तिनका तक नहीं हिला, लेकिन पुल खिसक गया इस घटना को देखकर सब लोग हैरान थे जिसके बाद स्थानीय बुजुर्गों द्वारा ठेकेदार से माफी मांगने को कहा और ठेकेदार ने माफी मांगी उनकी पूजा की जिसके बाद खुद ही अपनी जगह में आ गया, कहा तो यह भी जाता है कि अगर कोई आखिरी रास्ता भटक जाता है तो उसको पाते हैं उसकी मंजिल तक पहुंच आते ही गायब हो जाते हैं। बाईट-जगदीश पुजारी


Conclusion:वह गांव के इस नकवा बुबू के बारे में एक कहानी और प्रचलित है की पौराणिक समय में नकवा बूबू (बेताल) दिन के समय में यहां के बच्चों के साथ खेलते थे और रात होते ही एक बच्चे को उठाकर ले जाते थे, इस बात से परेशान होकर स्थानीय लोगों ने देवताओं का आह्वान किया जिस पर नकवा बुबु ( बेताल) खुद ही प्रकट हुए और बोले कि में क्षेत्राधीपति हूं अगर मेरी स्थापना शिव मंदिर के पास कर देंगे तो यह सब ठीक हो जाएगा, जिसके बाद लोगों ने नकवा बूबू के कहे अनुसार उनके मंदिर की स्थापना कर दी जिसके बाद क्षेत्र से बच्चों के गायब होने का सिलसिला खत्म हो गया। बाईट- मोहन स्थानीय पीटीसी।
Last Updated : Dec 17, 2019, 7:36 PM IST
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