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18 सालों में 32 लाख से ज्यादा पर्यटक पहुंचे नैनीताल जू, करोड़ों की हुई कमाई

आंकड़ों के आधार पर कहा जा सकता है कि साल दर साल नैनीताल आने वाले पर्यटकों की संख्या में इजाफा हुआ है. नैनीताल चिड़ियाघर प्रबंधन का राजस्व भी बढ़ा है.

नैनीताल चिड़ियाघर
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Published : May 8, 2019, 1:40 PM IST

नैनीताल: सरोवार नगरी में हर साल लाखों पर्यटक घूमने आते है, जो यहां नैनी झील के साथ आसपास के पर्यटन स्थानों का भी दीदार करते हैं. इस सब से अलग नैनीताल का चिड़ियाघर भी पर्यटकों की पहली पसंद बनाता जा रहा है. इस कारण जीबी पंत उच्च स्थलीय प्राणी उद्यान की आमदनी हर साल बढ़ती जा रही है.

पढ़ें- उत्तराखंड में आय प्रमाण-पत्र के नए मानक तय, जानें कैसे किया जाएगा कमाई का आकंलन

आंकड़ों पर गौर करें तो नैनीताल चिड़ियाघर के राजस्व में हर साल बढ़ोतरी होती जा रही है. अधिकारियों के मुताबिक, उत्तराखंड राज्य निर्माण से लेकर अबतक 32 लाख 52 हजार 833 देशी-विदेशी पर्यटकों ने जीबी पंत उच्च स्थलीय प्राणी उद्यान नैनीताल घूमने पहुंचे हैं, जिससे चिड़ियाघर प्रशासन को 5 करोड़ 83 लाख 64 हजार 200 रुपये राजस्व के रूप में मिले हैं.

नैनीताल चिड़ियाघर आने वाली पर्यटकों की संख्या बढ़ी

पढ़ें- चारधाम यात्रा: नरसिंह मंदिर से बदरीनाथ धाम के लिए रवाना हुई शंकराचार्य जी की पावन गद्दी

आंकड़ों के आधार पर कहा जा सकता है कि साल दर साल नैनीताल आने वाले पर्यटकों की संख्या में इजाफा हुआ है. जिससे नैनीताल चिड़ियाघर प्रबंधन का राजस्व भी बढ़ा है.

एक नजर आंकड़ों पर-

साल पर्यटकों की संख्या
2011-12 2 लाख 24 हजार
2012-13 2 लाख 21 हजार 292
2013-14 1 लाख 71 हजार 160
2014-15 2 लाख 26 हजार 747
2015-16 2 लाख 78 हजार 893
2016-17 3 लाख 01 हजार 290
2017-18 3 लाख 23 हजार 661
2018-19 2 लाख 62 हजार 375

नैनीताल चिड़ियाघर में कुछ ऐसे प्राणी हैं, जो तराई क्षेत्रों के उद्यानों में नहीं रखे जा सकते हैं. इसलिए उन्हें नैनीताल में रखा जाता है. इन्हें देखने के लिए पर्यटक यहां दूर-दूर से आते हैं.

जू में मौजूद वन्यजीव
नैनीताल स्थित चिडियाघर ठंडे इलाकों में रहने वाले जीवों के लिए बेहतर आवास माना जाता है. यहां साइबेरियन टाइगर, स्नो लेपर्ड, मारखोर, ब्लू शीप, थार, फीजेंट, हिमालयन भालू, गुलदार आदि वन्यजीव रखे गए हैं.

नैनीताल: सरोवार नगरी में हर साल लाखों पर्यटक घूमने आते है, जो यहां नैनी झील के साथ आसपास के पर्यटन स्थानों का भी दीदार करते हैं. इस सब से अलग नैनीताल का चिड़ियाघर भी पर्यटकों की पहली पसंद बनाता जा रहा है. इस कारण जीबी पंत उच्च स्थलीय प्राणी उद्यान की आमदनी हर साल बढ़ती जा रही है.

पढ़ें- उत्तराखंड में आय प्रमाण-पत्र के नए मानक तय, जानें कैसे किया जाएगा कमाई का आकंलन

आंकड़ों पर गौर करें तो नैनीताल चिड़ियाघर के राजस्व में हर साल बढ़ोतरी होती जा रही है. अधिकारियों के मुताबिक, उत्तराखंड राज्य निर्माण से लेकर अबतक 32 लाख 52 हजार 833 देशी-विदेशी पर्यटकों ने जीबी पंत उच्च स्थलीय प्राणी उद्यान नैनीताल घूमने पहुंचे हैं, जिससे चिड़ियाघर प्रशासन को 5 करोड़ 83 लाख 64 हजार 200 रुपये राजस्व के रूप में मिले हैं.

नैनीताल चिड़ियाघर आने वाली पर्यटकों की संख्या बढ़ी

पढ़ें- चारधाम यात्रा: नरसिंह मंदिर से बदरीनाथ धाम के लिए रवाना हुई शंकराचार्य जी की पावन गद्दी

आंकड़ों के आधार पर कहा जा सकता है कि साल दर साल नैनीताल आने वाले पर्यटकों की संख्या में इजाफा हुआ है. जिससे नैनीताल चिड़ियाघर प्रबंधन का राजस्व भी बढ़ा है.

एक नजर आंकड़ों पर-

साल पर्यटकों की संख्या
2011-12 2 लाख 24 हजार
2012-13 2 लाख 21 हजार 292
2013-14 1 लाख 71 हजार 160
2014-15 2 लाख 26 हजार 747
2015-16 2 लाख 78 हजार 893
2016-17 3 लाख 01 हजार 290
2017-18 3 लाख 23 हजार 661
2018-19 2 लाख 62 हजार 375

नैनीताल चिड़ियाघर में कुछ ऐसे प्राणी हैं, जो तराई क्षेत्रों के उद्यानों में नहीं रखे जा सकते हैं. इसलिए उन्हें नैनीताल में रखा जाता है. इन्हें देखने के लिए पर्यटक यहां दूर-दूर से आते हैं.

जू में मौजूद वन्यजीव
नैनीताल स्थित चिडियाघर ठंडे इलाकों में रहने वाले जीवों के लिए बेहतर आवास माना जाता है. यहां साइबेरियन टाइगर, स्नो लेपर्ड, मारखोर, ब्लू शीप, थार, फीजेंट, हिमालयन भालू, गुलदार आदि वन्यजीव रखे गए हैं.

Intro:स्लग-जू नैनीताल रिपोर्ट-गौरव जोशी स्थान- नैनीताल एंकर- यु तो नैनीताल पर्यटन को लेकर केवल देशभर में ही नही बल्की विश्व भर में अपनी अलग पहचान बनाए हुए है एसे में यहा के पर्यटक स्थल साल भर पर्यटको को अपनी तरफ आकर्षीत कर रहे है, जिस कारण नैनीताल और उसके आस पास के क्षेत्रो में साल भर ही पर्यटको का आना जाना बेदसतुर जारी है। 


Body:वीओ- 1 उच्च स्थलीय प्राणी उद्यान होने की वझह से नैनीताल जू में कई ऐसे प्राणी है जो तराई क्षेत्रों के प्राणी उद्यानों में नहीं रखे जा सकते हैं जिस वझह से इन प्राणियों को देखने के लिए लोगों में उत्सुकता बढ़ जाती है यही कारण है कि आने वाले पर्यटकों की नैनीताल जू पहली पसंद बनता जा रहा है,, यु तो नैनीताल और उसके आस पास दर्जनो पर्यटक स्थन है नैनीताल शहर की पूर्वी पहाड़ी पर बने उच्च स्थलीय प्राणी उद्यान(जू) में ठंडे क्षेत्रों में रहने वाले वन्यजीवों को रखना मुफीद माना जाता है,,, यहां साइबेरियन टाइगर, स्नो लैपर्ड, रेड पांडा, मारखोर(पाकिस्तान का राष्ट्रीय पशु), ब्लू शीप, थार, फीजेंट, बाघ, गुलदार, लंगूर, काला हिमालयन भालू आदि ऐसे वन्यजीव राह चुके हैं जो केवल ठण्डे क्षेत्रों में पाए जाते हैं । बाईट- 1 अलीना फातिमा पर्यटक बाईट- 2 किरन पर्यटक बाईट- 3 डाक्टर भऱद्वाज जू 


Conclusion:वीओ-2 लगतार चिडीयाघर की तरफ बढेत पर्यटको के कदम के चलते हर साल चिडीयाघर के राजस्व में बढतरी कर रहा है, अगर साल दर साल की बात करे तो चिडीयाघर उप प्रभागीय वनाधिकारी दिनकर तिवाड़ी ने बताया है कि उत्तराखण्ड राज्य निर्माण से अबतक कुल बत्तीस लाख, बावन हजार, आठ सौ तेंतीस(32,52,833)देसी विदेशी पर्यटकों ने उच्च स्थलीय प्राणी उद्यान का भ्रमण किया,,, विभाग को इससे कुल पांच करोड़ तिरासी लाख चोसठ हजार और दो सौ(5,83,64,200) रुपया प्राप्त हुआ,,, आकडो को देख कर तो यही लग रहा है कि साल दर साल नैनीताल में आने वाले पर्यटको की संख्या में इजाफा हुआ है और जिस्से नैनीताल चिडीया घर प्रबंधन का राजस्व भी बढा है, 2011-12 में 2 लाख 24 हजार,पयर्टक  2012-13 में 2 लाख 21 हजार 292 पयर्टक 2013-14 में 1 लाख 71 हजार 160 पर्यटक 2014- 15 में 2 लाख 26 हजार 747 पर्यटक जबकी  2015- 16 में 2 लाख 78 हजार 893 पर्यटक  2016- 17 में 3 लाख 01 हजार 290 पर्यटक  2017- 18 में 3 लाख 23 हजार 661 पर्यटक 2018- 19 में 2 लाख 62 हजार 375 पर्यटक आऐ   बाईट- 4 दिनकर तिवारी उप प्रभागीय वनाधिकारी 
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