हल्द्वानी: प्रदेश सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व खनन से मिलता है. लेकिन इस साल नदियों में खनन की रफ्तार धीमी होने के चलते सरकार को राजस्व का नुकसान हो सकता है. कुमाऊं की गौला नदी,नंधौर नदी,शारदा नदी में खनन निकासी कारोबार को शुरू हुए तीन महीने हो गए हैं, लेकिन इन नदियों से निकलने वाले उप खनिज निकासी की रफ्तार बेहद धीमी है.
खनन से मिलता है भारी राजस्व: केंद्र सरकार ने गौला नदी से खनन निकासी के लिए 38 लाख घन मीटर लक्ष्य रखा है, जबकि नंधौर नदी, शारदा नदी से निकलने वाले उप खनिज का लक्ष्य अभी तक निर्धारित नहीं किया गया है. गौला नदी से निकलने वाले उप खनिज के लक्ष्य 38 लाख के सापेक्ष में अभी तक 14 लाख 85 हजार घन मीटर खनन निकासी हुआ है.
जिससे सरकार को दो करोड़ 48 लाख 90000 का राजस्व प्राप्ति हुई है. नंधौर नदी से 1 लाख 90 हजार घन मीटर खनन निकासी हुई है, जिसके सापेक्ष में 74 लाख 45 हजार घन मीटर, शारदा नदी से 1,45000 घर मीटर खनन निकासी हुई है, जिसके सापेक्ष में 1 लाख ₹25000 की राजस्व की प्राप्ति हुई है.
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अधिकारी क्या कह रहे: क्षेत्रीय प्रबंधक वन विकास निगम केएन भारती ने बताया कि शुरूआती दिनों में नदी में अधिक पानी होने और कोरोना के चलते खनन निकासी के रफ्तार में थोड़ी कमी आई थी. लेकिन अब खनन सुचारू रूप से चल रहा है, सरकार द्वारा दिए गए निर्धारित लक्ष्य को समय अवधि तक पूरा कर लिया जाएगा. उन्होंने बताया कि इन नदियों से 31 मई तक खनन कार्य होना है.
उन्होंने बताया कि गोला नदी और शारदा नदी का भारत सरकार से दिए जाने वाली खनन निकासी की अवधि फरवरी 2023 में समाप्त हो रहा है. इसको लेकर विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी गई है और उम्मीद है कि फरवरी 2023 के बाद आगे 10 सालों के लिए केंद्र सरकार से खनन कार्य के लिए अनुमति मिल सकेगी.