हल्द्वानी: गौला नदी में खनन का काम करने वाले मजदूर अपना खून पसीना बहा कर सरकार को करोड़ों का राजस्व दे रहे हैं. अफसोस यह है कि वन विकास निगम इन मजदूरों को मूलभूत सुविधाएं मुहैया नहीं उपलब्ध करा पा रहा. मानसून खत्म होने के बाद अब गौला नदी में फिर से खनन शुरू हो गया है.
बता दें कि बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के रहने वाले करीब 25,000 मजदूर गौला नदी में होने वाले खनन कार्य से जुड़े हुए हैं. वन विभाग द्वारा इन सभी मजदूरों को नदी में काम करने के लिए पंजीकृत कर इनके लिए वेलफेयर सोसाइटी भी बनाई गई है.
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सोसाइटी में नदी में काम करने वाले इन मजदूरों के स्वास्थ्य, पेयजल सुविधा, टूल किट्स ,ठंड से बचने के लिए कंबल और जलौनी लकड़ी, मजदूरों के बच्चों के लिए शिक्षा की व्यवस्था, जूते और गलब्स आदि दिए जाते हैं. इसके बावजूद पिछले वर्ष इन मजदूरों को सुविधा के नाम पर वन विकास निगम द्वारा कुछ भी नहीं दिया गया.
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यह भी बताया जा रहा है कि वेलफेयर सोसाइटी में मजदूरों के हित के लिए करोड़ों रुपए डंप पड़े हुए हैं. वहीं, वन विकास निगम और सरकार वेलफेयर सोसाइटी के पैसे को खर्च करने की जहमत तक नहीं उठा पा रही है.
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वन विकास निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक गिरीश चंद्र पंत ने बताया कि पिछले साल सरकार और विभाग में आपसी सामंजस्य नहीं बनने के चलते मजदूरों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पाईं. उन्होंने कहा कि उम्मीद जताई जा रही है कि इस वर्ष मजदूरों को उनकी मूलभूत सुविधाएं जल्द मिल जाएंगी.