हल्द्वानी: कुमाऊं की लाइफ लाइन कही जाने वाली गौला नदी (Gaula River in Haldwani) सहित अन्य नदियों से एक महीने बाद भी खनन (Haldwani Gaula Mining) का कार्य शुरू नहीं हो पाया है. खनन कार्य शुरू नहीं होने से खनन कारोबारियों में रोष है. वहीं खनन कारोबार शुरू ना होने से सरकार को भी राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है.
एक प्रदेश एक रॉयल्टी, सहित कई मांगों को लेकर खनन कार्य से जुड़े वाहन कारोबारियों ने खनन कार्य करने से हाथ खड़े कर दिए हैं. वन विभाग, जिला अधिकारी और खनन विभाग के बीच गुरुवार देर शाम तक खनन कार्य शुरू करने के लिए वार्ता हुई. लेकिन खनन कारोबारियों ने एक प्रदेश एक रॉयल्टी, वाहनों के ग्रीन टैक्स में छूट, जीपीएस लगाने के लिए निर्धारित दर, फिटनेस फीस की छूट सहित अन्य व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने की मांग (Haldwani mining traders demand) को लेकर खनन कार्य करने से मना कर दिया. ऐसे में खनन कार्य शुरू नहीं होने से जहां खनन कारोबार से जुड़े लोगों की रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो गया है, वहीं सरकार को भी भारी राजस्व का नुकसान हो रहा है.
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खनन कारोबारियों का कहना है कि गौला नदियों से जुड़े खनन कारोबारियों से करीब ₹30 प्रति क्विंटल रॉयल्टी ली जाती है. लेकिन प्रदेश के कई अन्य जगहों पर खनन की रॉयल्टी ₹8 प्रति कुंटल है. ऐसे में गौला नदी से निकलने वाला खनन अधिक महंगा होने के चलते स्टोन क्रशर स्वामी उप खनिज खरीदने से हाथ खड़े कर रहे हैं. खनन कारोबारियों का कहना है कि एक प्रदेश एक रॉयल्टी लागू की जाए. इसके अलावा खनन कार्य में लगे लोगों ने 1 दिन की छुट्टी, ग्रीन टैक्स में छूट, फिटनेस की फीस कम करने सहित अन्य मांगों को लेकर खनन कार्य करने से हाथ खड़े कर दिए हैं.
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खनन एसोसिएशन और डीएम के बीच की गई वार्ता विफल रही है. ऐसे में अब उम्मीद जताई जा रही है कि शासन स्तर पर वार्ता होने के बाद ही खनन कार्य शुरू हो सकेगा. डीएम धीराज सिंह गर्ब्याल (DM Nainital Dhiraj Singh Garbyal) का कहना है कि वन विभाग व वन विकास निगम को निर्देशित किया गया है कि अपने स्तर से खनन कराने का प्रयास करें, जिससे सरकार को राजस्व की प्राप्ति हो सके. गौरतलब है कि कुमाऊं की गोला नदी, नंधौर नदी, दाबका नदी सहित कई नदियों से 1 अक्टूबर से खनन कार्य शुरू हो जाता है. लेकिन एक महीने बाद भी इन नदियों से खनन कार्य शुरू नहीं होने से जहां खनन से जुड़े लोगों की रोजी-रोटी पर संकट पैदा हो गया है, तो वहीं सरकार को भी राजस्व का भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.