रामनगर: विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में इन दिनों सैकड़ों इजिप्शियन वल्चर कॉर्बेट के झिरना जोन में दिखाई दे रहे हैं. दरअसल, ये गिद्ध व्यापक रूप से साइबेरियन प्रायदीप और उत्तरी अफ्रीका से भारत में वितरित करते हैं. नेचर गाइड पक्षी प्रेमी सुनील जोशी की माने तो यह साउथ अफ्रीका से हर साल कॉर्बेट में गर्मियों के आगमन पर पहुंच जाते हैं. मौसम के बदलते ही यानि की ठंड के मौसम आते ही यहां से माइग्रेट कर जाते हैं.
इजिप्शियन वल्चर को सफेद मेहतर गिद्ध भी कहा जाता है.यह व्यापक रूप से साइबेरिया और उत्तरी अफ्रीका से भारत में वितरित करता है. अंडरविंग पैटर्न और पच्चर के आकार की पूंछ इसे उड़ान में विशिष्ट बनाती है. क्योंकि यह दिन के गर्म हिस्सों में थर्मल पर चढ़ता है. मिश्र के गिद्ध मुख्य रूप से कैरियन पर भोजन करते हैं, लेकिन अवसरवादी होते हैं और छोटे स्तनधारियों पक्षियों और सरीसृप का शिकार भी करते हैं.
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पक्षी प्रेमी और नेचर गाइड सुनील जोशी बताते है कि कॉर्बेट में पहुंचे इन दिनों इन गिद्धों पर प्रशासन को शोध करने की जरूरत है. क्योंकि यह नेचर के लिए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. अगर यह ना हो तो जंगलों में जो मृत जानवर हैं उनकी सफाई न हो पाती. गौरतलब है कि 21वीं शताब्दी में इस प्रजाति की आबादी में भारी गिरावट आई है और कुछ द्वीप आबादी शिकार आकस्मिक विषाक्तता और बिजली लाइनों के साथ टकराव से खतरे में है.