रामनगर: 1992 में वन विभाग से विस्थापित किये गए कृषकों (Farmers displaced from Forest Department) की भूमि के आकलन को लेकर रामनगर तराई पश्चिमी में उपजिलाधिकारी काशीपुर, तहसीलदार काशीपुर एवं अन्य अधिकारियों के साथ डीएफओ कार्यालय (meeting in DFO office) में बैठक हुई.
बता दें भारत सरकार के शासनादेश के क्रम में 30.07.92 के अनुसार, ग्राम धारा, झिरना, कोटिरो तथा लालढांग के कुल क्षेत्रफल 403.63 हेक्टेयर भूमि को वन विभाग को सुर्पुद कर दिया गया था. जिसमें तहसील कोटद्वार के ग्राम धारा, झिरना मल्ला, झिरना तल्ला, कोठिरों के कृषकों को वहां से विस्थापित करते हुए शासन द्वारा उस जगह को कॉर्बेट पार्क को हस्तांतरित कर दिया गया था. कोटद्वार के ग्राम धारा, झिरना मल्ला, झिरना तल्ला, कोठिरों के कृषकों को आमपोखरा वन ब्लाक, काशीपुर- प्रतापपुर वन ब्लाक व मानपुर फिरोजपुर वन ब्लाक में विस्थापित किया गया था.
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वहीं, फिरोजपुर और मानपुर क्षेत्र में विस्थापित किये गए कृषकों को 106 हेक्टेयर जमीन वन विभाग द्वारा हस्तान्तरित की गई थी. अब राजस्व विभाग की नपत में यह जमीन कम आ रही है. जिस वजह से जमीन कम निकल रही है. इसी को लेकर सभी विभागों की बैठक रामनगर तराई पश्चिमी में हुई. इस विषय में जानकारी देते हुए तराई पश्चिमी के डीएफओ प्रकाश आर्या ने बताया जो धारा, झिरना, कोठीरो का एरिया था जो उस राजस्व गांव में रहते थे, जब क्षेत्र को कॉर्बेट को दिया गया तो वहां के लोगों को मानपुर और फिरोजपुर शिफ्ट किया गया. उन्होंने बताया मानपुर और फिरोजपुर का क्षेत्रफल 106.52 हेक्टेयर था, जिसको रेवेन्यू डिपार्टमेंट को ट्रांसफर कर दिया गया था. उसके बाद उन्होंने उसको राजस्व भूमि घोषित कर दिया था. उनके द्वारा उस वक़्त जमीन को राजस्व भूमि घोषित करते हुए लोगों को बांट दी थी.
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डीएफओ ने कहा कि अब उस क्षेत्र का हम बंदोबस्त करने जा रहे हैं. जिस क्रम में हमारे द्वारा जब एरिया का मिलान किया गया तो एरिया 106.52 हेक्टेयर नहीं पाया गया, जितना दिया गया था. उतना एरिया मिलान में नहीं आ रहा है. उसी के संबंध में यह बैठक थी. उन्होंने कहा जो एरिया में गड़बड़ी आ रही है उसमें पहले भी एक बार नपत की गई तो कभी उसमें 103 हेक्टेयर निकल रहा है. डीएफओ ने कहा राजस्व विभाग व उपजिलाधिकारी काशीपुर के साथ बैठक हुई. उनका कहना है कि इसमें एक बार तीनों विभाग राजस्व विभाग, तराई पश्चिमी विभाग, बंदोबस्ती विभाग मिलकर संयुक्त रूप से दोबारा से सर्वे करते हुए नपत करते हैं. जिससे कि जो डिस्प्यूट आ रहा है उसे दूर किया जा सके. उन्होंने कहा इसे लेकर हमने सहायक वन संरक्षक को निर्देश दे दिये हैं कि उपजिलाधिकारी काशीपुर के साथ संपर्क कर वह एरिया का सर्वे करवाएंगे. आगे की जो कार्रवाई होगी उसके अनुसार कार्य किया जाएगा.