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आम के शौकीनों के लिए बुरी खबर, स्वाद के लिए चुकानी पड़ेगी भारी कीमत

मौसम की मार इस साल आम की फसल पर पड़ी है. बारिश, आंधी और ओलावृष्टि से आम की पैदावार प्रभावित हुई है, जिससे आम के दाम आसमान छू रहे हैं.

आंधी और ओलावृष्टि से आम की पैदावार प्रभावित
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Published : Jun 11, 2019, 1:03 PM IST

रामनगर: अगर आप के शौकीन हैं तो ये खबर आपके लिए है. इस सीजन में आम का स्वाद लेने के लिए आपको अच्छी खासी कीमत चुकानी पड़ सकती है. क्योंकि इस बार आम का उत्पादन काफी कम हुआ है. जिससे आम की कीमतें आसमान छू रही हैं.

आंधी और ओलावृष्टि से आम की पैदावार प्रभावित

रामनगर क्षेत्र की बात करें तो यहां कई आम के बगीचे हैं, जिनमें आम का उत्पादन हुआ ही नहीं है. कई पेड़ ऐसे भी हैं जिनमें महज दो-चार आम ही लगे दिखाई दे रहे हैं. किसान और व्यापारियों के लिए इस बार आम की फसल घाटे का सौदा ही साबित हो रही है. कई व्यापारी तो आम की फसल न आने के कारण बगीचे छोड़ कर चंपत हो गए हैं. क्योंकि, लेबर की मजदूरी उन्हें जेब से देनी भारी पड़ रही थी.

पढ़ें- उत्तराखंडः राहत की आस में आए सैलानियों के लिए जाम बना आफत, रेंग-रेंग कर चले वाहन

फल उद्यान के अधिकारियों का मानना है कि इस बार आम की फसल रामनगर क्षेत्र में 875 हेक्टेयर में महज 40% ही हुई है, जो कि पिछले वर्ष के मुकाबले बहुत कम है. अधिकारियों की मानें तो आम की फसल का स्वभाव ऐसा होता है कि एक वर्ष आम की भारी फसल आती है. जबकि दूसरे साल हल्की फसल आती है. इसका मुख्य कारण आंधी, तूफान, बारिश और ओलावृष्टि माना जाता है.

फल उद्यान अधिकारियों का मानना है कि व्यापारी हर वर्ष भारी फसल उगाने के लालच में कल्तार नामक दवा का इस्तेमाल करते हैं, जिससे आम की पैदावार तो बढ़ जाती है, लेकिन यह दवा पेड़ों को बहुत नुकसान पहुंचाती है. यह दवा पेड़ों को अंदर से खोखला कर देती है. फल की क्षमता को घटा देती है. जिस कारण पेड़ चार-पांच साल में सूख जाता है. अधिकारियों ने किसानों और व्यापारियों से लगातार कल्तार नामक दवा प्रयोग न करने का अनुरोध किया है.

रामनगर: अगर आप के शौकीन हैं तो ये खबर आपके लिए है. इस सीजन में आम का स्वाद लेने के लिए आपको अच्छी खासी कीमत चुकानी पड़ सकती है. क्योंकि इस बार आम का उत्पादन काफी कम हुआ है. जिससे आम की कीमतें आसमान छू रही हैं.

आंधी और ओलावृष्टि से आम की पैदावार प्रभावित

रामनगर क्षेत्र की बात करें तो यहां कई आम के बगीचे हैं, जिनमें आम का उत्पादन हुआ ही नहीं है. कई पेड़ ऐसे भी हैं जिनमें महज दो-चार आम ही लगे दिखाई दे रहे हैं. किसान और व्यापारियों के लिए इस बार आम की फसल घाटे का सौदा ही साबित हो रही है. कई व्यापारी तो आम की फसल न आने के कारण बगीचे छोड़ कर चंपत हो गए हैं. क्योंकि, लेबर की मजदूरी उन्हें जेब से देनी भारी पड़ रही थी.

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फल उद्यान के अधिकारियों का मानना है कि इस बार आम की फसल रामनगर क्षेत्र में 875 हेक्टेयर में महज 40% ही हुई है, जो कि पिछले वर्ष के मुकाबले बहुत कम है. अधिकारियों की मानें तो आम की फसल का स्वभाव ऐसा होता है कि एक वर्ष आम की भारी फसल आती है. जबकि दूसरे साल हल्की फसल आती है. इसका मुख्य कारण आंधी, तूफान, बारिश और ओलावृष्टि माना जाता है.

फल उद्यान अधिकारियों का मानना है कि व्यापारी हर वर्ष भारी फसल उगाने के लालच में कल्तार नामक दवा का इस्तेमाल करते हैं, जिससे आम की पैदावार तो बढ़ जाती है, लेकिन यह दवा पेड़ों को बहुत नुकसान पहुंचाती है. यह दवा पेड़ों को अंदर से खोखला कर देती है. फल की क्षमता को घटा देती है. जिस कारण पेड़ चार-पांच साल में सूख जाता है. अधिकारियों ने किसानों और व्यापारियों से लगातार कल्तार नामक दवा प्रयोग न करने का अनुरोध किया है.

Intro:एंकर- रामनगर क्षेत्र के अंतर्गत आम के बगीचों में इस बार आम की फसल कम हुई है। जिस कारण आने वाले समय में आम की कीमतें आसमान छूने वाली है। इस बार आम की फसल से किसानों और ठेकेदारों को नुकसान होने की भी संभावनाएं हैं


Body:वीओ-1- यदि आप आम खाने के शौकीन हैं तो आने वाले समय में इन्हें खाने के लिए आपको खासी कीमत चुकानी पड़ सकती है। यह बात हम इस लिहाज से कह रहे हैं कि इस बार रामनगर के अलावा देश के कई क्षेत्रों में आम की फसल पिछली फसल के मुकाबले बहुत कम हुई है। जिस कारण आम का उत्पादन अधिक नहीं हो सका है।रामनगर क्षेत्र की बात करें तो कई आम के बगीचे ऐसे हैं जिनमें आम की फसल ही नहीं हुई है। और कई आम के पेड़ों में तो महज दो चार आम ही लटके हुए दिखाई दे रहे हैं। बावजूद इसके किसान और बगीचे के व्यापारियों के लिए इस बार आम की फसल घाटे का सौदा ही साबित हो रही है।कई व्यापारी तो आम की फसल ना आने के कारण बगीचे छोड़ कर चंपत हो गए हैं। क्योंकि उनकी लेबर की मजदूरी उन्हें जेब से देनी भारी पड़ रही थी।वही हम रामनगर के फेमस आम की बात करें तो लंगड़ा चौसा और कलमी आम बहुत फेमस है जो देश के विभिन्न मंडियों में जाता है और इस बार आम की फसल का कम होना देश की मंडियों में मांग का बढ़ना लाजमी है जिससे आम की कीमत आसमान छूने वाली हैं।

बाइट-1-मुन्नवर अली(व्यापारी)

वीओ-2- वहीं इस मामले में फल उद्यान के अधिकारियों का मानना है कि इस बार आम की फसल रामनगर क्षेत्र के अंतर्गत 875 हेक्टेयर में महज 40% ही हुई है जो कि पिछले वर्ष के मुकाबले बहुत कम है फल उद्यान की मानें तो आम की फसल का स्वभाव ऐसा होता है कि 1 वर्ष आम की भारी फसल आती है। जबकि दूसरे वर्ष हल्की फसल आती है।क्षेत्र में आए आंधी तूफान बारिश और ओलावृष्टि से 10% आम की फसल को नुकसान पहुंचा है आम की फसल कम होने का कारण उद्यान विभाग यह भी मानता है कि किसान द्वारा ठेके में बगीचे,व्यापारियों को दे दिए जाते हैं व्यापारी हर वर्ष भारी फसल उगाने के लालच में कल्तार नामक दवा का इस्तेमाल करता है जिससे फसल पेड़ों पर अच्छी होती है परंतु यह दवा पेड़ों को बहुत नुकसान देती है पेड़ों को यह दावा अंदर से खोखला कर देती है।फल की क्षमता को घटा देती है।जिस कारण पेड़ चार-पांच साल में सूख जाता है।फल उद्यान विभाग ने कल्तार नामक दवा को किसानों और व्यापारियों से प्रयोग ना करने का अनुरोध किया है।बताया जा रहा है कि यहां का आम जुलाई माह के पहले सप्ताह में मंडी और बाजारों में जनता के खाने के लिए उपलब्ध हो जाएगा।

बाइट-2-ए एस परवाल(एडीओ,फल उद्यान विभाग)


Conclusion:एफवीओ- इस वर्ष आम की फसल का उत्पादन कम होना बताता है कि आने वाले समय में मंडी और बाजारों में इनकी कीमत बहुत आसमान छूने वाली है।माना जा रहा है कि गरीब जनता की पकड़ से आम भी दूर होता दिखाई देने वाला है।आम का कम उत्पादन होना ऊपर से आंधी तूफान बारिश ओलावृष्टि के कारण फसल को नुकसान होना बताता है कि स्थानीय लोगों को आम कम चखने को मिलेगा जबकि देश की बड़ी मंडियों में इसकी मांग अधिक होगी ।
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