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पौराणिक नंदा-सुनंदा महोत्सव का समापन, भक्तों ने नम आखों से दी विदाई - nainital news

नैनीताल में पौराणिक नंदा देवी महोत्सव का विधिवत समापन हो गया है. इस मौके पर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने मां नंदा-सुनंदा के दर्शन कर उनके डोले को विदा किया.

नंदा-सुनंदा महोत्सव का समापन
नंदा-सुनंदा महोत्सव का समापन
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Published : Sep 18, 2021, 7:20 AM IST

नैनीताल: विगत एक हफ्ते से चल रहा मां नंदा देवी महोत्सव (Nanda Devi Mahotsav) का विधिवत समापन हो गया है. देर शाम मां नंदा सुनंदा की मूर्तियों का नैनी झील में विसर्जन कर दिया गया. बता दें कि, नैनीताल में नंदा देवी महोत्सव का शुभारंभ 11 सितंबर अष्टमी के दिन से शुरू हुआ था. जिसके बाद मां नंदा-सुनंदा की मूर्ति को भक्तों के दर्शन को रखा गया था.

बता दें कि, मां नंदा देवी महोत्सव का विधिवत समापन हो गया है. 4 दिन पूजा-अर्चना के बाद मां नंदा सुनंदा के डोले को भक्तों ने मां नैना देवी मंदिर में ढोल नगाड़ों के साथ कोविड नियमों का पालन करते हुए मंदिर परिसर में भ्रमण कराया गया और डोले को भक्तों के दर्शन के लिए मंदिर परिसर क्षेत्र में रखा गया. जहां भक्तों में मां नंदा सुनंदा के दर्शन किए.

पौराणिक नंदा-सुनंदा महोत्सव का समापन.

पढ़ें: मां नंदा-सुनंदा महोत्सव का भव्य समापन, केसी सिंह बाबा ने की पूजा-अर्चना

मां नंदा-सुनंदा को कुमाऊं में कुल देवी के रूप में पूजा जाता है. चंद राजाओं के दौर में मां नंदा-सुनंदा को कुल देवी के रूप में चंद राजा पूजा करते थे और अब संपूर्ण कुमाऊं क्षेत्र के लोग मां नंदा-सुनंदा को कुल देवी के रूप में पूजते हैं. ऐसा माना जाता है कि मां नंदा सुनंदा साल में एक बार अष्टमी के दिन अपने मायके यानी कुमाऊं में आती हैं और भक्त मां के स्वागत में उनकी प्रतिमाओं का निर्माण करते हैं.

मां नंदा सुनंदा कुछ दिन यहां रहने के बाद अपने ससुराल लौट जाती है. मां के भक्त उनके डोले का नैनीझील में विसर्जन कर देते हैं. विसर्जन की यह परंपरा उस तरह है, जैसे बेटी को शादी के बाद विदा किया जाता है. डोले के झील में विसर्जित होते ही महोत्सव भी समाप्त हो जाता है.

नैनीताल: विगत एक हफ्ते से चल रहा मां नंदा देवी महोत्सव (Nanda Devi Mahotsav) का विधिवत समापन हो गया है. देर शाम मां नंदा सुनंदा की मूर्तियों का नैनी झील में विसर्जन कर दिया गया. बता दें कि, नैनीताल में नंदा देवी महोत्सव का शुभारंभ 11 सितंबर अष्टमी के दिन से शुरू हुआ था. जिसके बाद मां नंदा-सुनंदा की मूर्ति को भक्तों के दर्शन को रखा गया था.

बता दें कि, मां नंदा देवी महोत्सव का विधिवत समापन हो गया है. 4 दिन पूजा-अर्चना के बाद मां नंदा सुनंदा के डोले को भक्तों ने मां नैना देवी मंदिर में ढोल नगाड़ों के साथ कोविड नियमों का पालन करते हुए मंदिर परिसर में भ्रमण कराया गया और डोले को भक्तों के दर्शन के लिए मंदिर परिसर क्षेत्र में रखा गया. जहां भक्तों में मां नंदा सुनंदा के दर्शन किए.

पौराणिक नंदा-सुनंदा महोत्सव का समापन.

पढ़ें: मां नंदा-सुनंदा महोत्सव का भव्य समापन, केसी सिंह बाबा ने की पूजा-अर्चना

मां नंदा-सुनंदा को कुमाऊं में कुल देवी के रूप में पूजा जाता है. चंद राजाओं के दौर में मां नंदा-सुनंदा को कुल देवी के रूप में चंद राजा पूजा करते थे और अब संपूर्ण कुमाऊं क्षेत्र के लोग मां नंदा-सुनंदा को कुल देवी के रूप में पूजते हैं. ऐसा माना जाता है कि मां नंदा सुनंदा साल में एक बार अष्टमी के दिन अपने मायके यानी कुमाऊं में आती हैं और भक्त मां के स्वागत में उनकी प्रतिमाओं का निर्माण करते हैं.

मां नंदा सुनंदा कुछ दिन यहां रहने के बाद अपने ससुराल लौट जाती है. मां के भक्त उनके डोले का नैनीझील में विसर्जन कर देते हैं. विसर्जन की यह परंपरा उस तरह है, जैसे बेटी को शादी के बाद विदा किया जाता है. डोले के झील में विसर्जित होते ही महोत्सव भी समाप्त हो जाता है.

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