नैनीतालः मां नंदा देवी को कुमाऊं में कुल देवी के रूप में पूजा जाता है. माना जाता है कि मां नंदा सुनंदा हर किसी की मुरादें पूरी करती हैं. ऐसे में हर साल मां नंदा सुनंदा महोत्सव का भव्य आयोजन होता है. इस बार भी 7 दिवसीय मां नंदा सुनंदा महोत्सव 2023 का वैदिक मंत्रोच्चारण और पूजा अर्चना के साथ आगाज हो गया है. जिसमें आस्था और सांस्कृतिक छटा का समागम देखने को मिला.
मां नंदा सुनंदा महोत्सव का शुभारंभ डीआईजी कुमाऊं योगेंद्र रावत, कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत, एसपी प्रहलाद नारायण मीणा और विधायक सरिता आर्या ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया. महोत्सव के पहले दिन भक्तों का एक दल कदली वृक्ष लेने के लिए हल्द्वानी के पीली कोठी रवाना हुआ. मुख्य अतिथियों ने निशान देकर दल को कदली वृक्ष लेने के लिए हल्द्वानी रवाना किया. इस दौरान पूरा नैनीताल मां नंदा सुनंदा के जयकारों से गुंजायमान हो गया.
कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने कहा संस्कृति हमारी पहचान है. इन्हीं संस्कृतियों के चलते आज देशभर में उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से जानते हैं. उत्तराखंड की लोक परंपराओं को आगे बढ़ाया जाना चाहिए. वहीं, डीआईजी रावत ने कहा कि पूरे देश में नैनीताल का नंदा देवी महोत्सव अपनी विशिष्ट पहचान रखता है. इसे कायम रखना होगा.
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वहीं, महोत्सव से पहले आचार्य भगवती प्रसाद जोशी और घनश्याम जोशी ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मां की पूजा अर्चना की. महोत्सव के शुभारंभ मौके पर राम सेवक सभा के बाल कलाकार और महिला समूहों ने मां नंदा सुनंदा पर आधारित भजन सुनाया. जबकि, सैनिक स्कूल के बच्चों ने छोलिया नृत्य पेश किया.
कदली वृक्ष के स्थान पर लगाए जाएंगे 51 पौधे, कदली वृक्ष से बनेगी मां नंदा सुनंदा की प्रतिमाः हल्द्वानी में जिस जगह से मां नंदा सुनंदा की प्रतिमा बनाने के लिए कदली वृक्ष लाया जाएगा, उस जगह पर विभिन्न प्रजातियों के 51 पौधे लगाए जाएंगे. जो पर्यावरण संरक्षण का संदेश देगा. कदली वृक्ष से मां नंदा सुनंदा की प्रतिमाओं का निर्माण किया जाएगा.
वहीं, रामसेवक सभा के महासचिव जगदीश बवाड़ी ने बताया कि कदली यानी केले के पेड़ पवित्र माना जाता है. जिससे मां नंदा सुनंदा की प्रतिमाओं का निर्माण किया जाता है. मां की प्रतिमा पूरी तरह से प्राकृतिक वस्तुओं से बनाई जाती है. वहीं, माना जाता है कि मां नंदा सुनंदा अष्टमी के दिन ससुराल से अपने मायके यानी कुमाऊं की धरती पर पधारी थीं.