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सरोवर नगरी नैनीताल में की गई मां नंदा-सुनंदा की मूर्ति स्थापना

नैना देवी मंदिर में मां नंदा सुनंदा से की मूर्ति पूरे विधि विधान के साथ स्थापित कर दी गई है. मंदिर में सुबह से भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है. भक्तों का मानना है कि अगर सच्चे मन से मां प्रार्थना की जाए तो भक्तों की सभी मुराद जरूर पूरी होती हैं.

नैनीताल
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Published : Sep 6, 2019, 2:10 PM IST

नैनीताल: कुमाऊं की कुलदेवी मां नंदा सुनंदा की मूर्ति नैना देवी मंदिर में विधि-विधान और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ प्राण प्रतिष्ठा कर दी गई. प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही कुमाऊं की कुलदेवी नंदा सुनंदा आज अपने ससुराल से अपने मायके यानी कुमाऊं की धरती में पधार गईं हैं. प्राण प्रतिष्ठा के बाद मां नंदा सुनंदा की प्रतिमाओं को भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिया गया. मां नंदा सुनंदा के दर्शन के लिए सुबह से 3 बजे से ही भक्तों भारी भीड़ है.

मां नंदा सुनंदा की मूर्ति की स्थापना

मां नंदा सुनंदा को कुमाऊं में कुल देवी के रूप में पूजा जाता है चंद राजाओं के दौर में मां नंदा सुनंदा को कुलदेवी के रूप में पूजा की जाती थी. तब से पूरे कुमाऊं में लोग मां नंदा सुनंदा को कुलदेवी के रूप में पूजते हैं. ऐसा माना जाता है कि मां नंदा-सुनंदा साल में एक बार अपने मायके यानी कुमाऊं में आती हैं. यही कारण है कि अष्टमी के दिन कुमाऊं के विभिन्न स्थानों पर मां नंदा सुनंदा की मूर्ति तैयार कर उनकी प्राण प्रतिष्ठा की जाती है और मान लिया जाता है कि मां नंदा सुनंदा अपने मायके पधार गईं हैं.

कुमाऊं के लोग मां नंदा सुनंदा की अगले 3 दिनों तक उपासना करेंगे और 8 सितंबर को मां के मूर्तियों का भव्य ढोला भ्रमण कराया जाएगा. जिसके बाद मां नंदा सुनंदा की नैनी झील में मूर्तियों का विसर्जन कर दिया जाएगा. मूर्ति विसर्जन की परंपरा एक विदाई की तरह है मां नंदा सुनंदा को मायके से ससुराल विदा करने की यह अनोखी परंपरा निभाई जाती है.

नैनीताल वासी मां नंदा सुनंदा पर अपनी अगाध आस्था रखते हैं. भक्त मानते हैं कि नैनीताल में आने वाला बड़े से बड़े खतरा मां पल भर में दूर कर देती हैं. जिस वजह से आज तक नैनीताल बड़ी से बड़ी आपदा आने के बाद भी सुरक्षित है.

पढ़ें- मां नंदा- सुनंदा यहां खुद लेती हैं अपना स्वरूप, महोत्सव में दिख रही देवभूमि की संस्कृति की झलक

वहीं मेले में दी जाने वाली बकरों की बलि को लेकर शासन-प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद है. मंदिर में बलि पर पूरी तरह रोक लगाई गई है. हालांकि, मंदिर में बकरों की पूजा अर्चना करवाई जा रही है. जिसके बाद बकरों को सुरक्षित मंदिर परिसर से बाहर भेज दिया जा रहा है. भक्तों को हिदायत दी जा रही है कि वह अपने घर जाकर ही बकरों की बलि दें.

बता दें, नैनीताल हाईकोर्ट ने आस्था के नाम पर किसी भी जानवर की बलि देने पर रोक लगाई है. जिसके बाद से पुलिस प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद है.

नैनीताल: कुमाऊं की कुलदेवी मां नंदा सुनंदा की मूर्ति नैना देवी मंदिर में विधि-विधान और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ प्राण प्रतिष्ठा कर दी गई. प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही कुमाऊं की कुलदेवी नंदा सुनंदा आज अपने ससुराल से अपने मायके यानी कुमाऊं की धरती में पधार गईं हैं. प्राण प्रतिष्ठा के बाद मां नंदा सुनंदा की प्रतिमाओं को भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिया गया. मां नंदा सुनंदा के दर्शन के लिए सुबह से 3 बजे से ही भक्तों भारी भीड़ है.

मां नंदा सुनंदा की मूर्ति की स्थापना

मां नंदा सुनंदा को कुमाऊं में कुल देवी के रूप में पूजा जाता है चंद राजाओं के दौर में मां नंदा सुनंदा को कुलदेवी के रूप में पूजा की जाती थी. तब से पूरे कुमाऊं में लोग मां नंदा सुनंदा को कुलदेवी के रूप में पूजते हैं. ऐसा माना जाता है कि मां नंदा-सुनंदा साल में एक बार अपने मायके यानी कुमाऊं में आती हैं. यही कारण है कि अष्टमी के दिन कुमाऊं के विभिन्न स्थानों पर मां नंदा सुनंदा की मूर्ति तैयार कर उनकी प्राण प्रतिष्ठा की जाती है और मान लिया जाता है कि मां नंदा सुनंदा अपने मायके पधार गईं हैं.

कुमाऊं के लोग मां नंदा सुनंदा की अगले 3 दिनों तक उपासना करेंगे और 8 सितंबर को मां के मूर्तियों का भव्य ढोला भ्रमण कराया जाएगा. जिसके बाद मां नंदा सुनंदा की नैनी झील में मूर्तियों का विसर्जन कर दिया जाएगा. मूर्ति विसर्जन की परंपरा एक विदाई की तरह है मां नंदा सुनंदा को मायके से ससुराल विदा करने की यह अनोखी परंपरा निभाई जाती है.

नैनीताल वासी मां नंदा सुनंदा पर अपनी अगाध आस्था रखते हैं. भक्त मानते हैं कि नैनीताल में आने वाला बड़े से बड़े खतरा मां पल भर में दूर कर देती हैं. जिस वजह से आज तक नैनीताल बड़ी से बड़ी आपदा आने के बाद भी सुरक्षित है.

पढ़ें- मां नंदा- सुनंदा यहां खुद लेती हैं अपना स्वरूप, महोत्सव में दिख रही देवभूमि की संस्कृति की झलक

वहीं मेले में दी जाने वाली बकरों की बलि को लेकर शासन-प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद है. मंदिर में बलि पर पूरी तरह रोक लगाई गई है. हालांकि, मंदिर में बकरों की पूजा अर्चना करवाई जा रही है. जिसके बाद बकरों को सुरक्षित मंदिर परिसर से बाहर भेज दिया जा रहा है. भक्तों को हिदायत दी जा रही है कि वह अपने घर जाकर ही बकरों की बलि दें.

बता दें, नैनीताल हाईकोर्ट ने आस्था के नाम पर किसी भी जानवर की बलि देने पर रोक लगाई है. जिसके बाद से पुलिस प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद है.

Intro:Summry कुमाऊं की कुलदेवी मां नंदा सुनंदा की मूर्ति कि आज नैनीताल के नैना देवी मंदिर में विधि-विधान और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ प्राण प्रतिष्ठा कर दी गई। Intro प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही कुमाऊं की कुलदेवी नंदा सुनंदा आज अपने ससुराल से अपने मायके यानी कुमाऊ की धरती में पधार गई है, नैनीताल के मां नैना देवी मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद मां नंदा सुनंदा की प्रतिमाओं को भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिया गया मां नंदा सुनंदा के दर्शनों के लिए आज सुबह से 3 बजे से भक्त भारी संख्या में मंदिर में जुटे, बड़ी संख्या में भक्त अपनी कुल देवियों के दर्शन के लिए लंबी-लंबी कतारों में इंतजार भी करते रहे


Body:मां नंदा सुनंदा को कुमाऊं में कुल देवी के रूप में पूजा जाता है चंद राजाओं के दौर में मां नंदा सुनंदा को कुलदेवी के रूप में चंद्र राजा पूजा करते थे, और तब से लेकर अब तक संपूर्ण कुमाऊं क्षेत्र में लोग मां नंदा सुनंदा को कुलदेवी के रूप में पूजते हैं, ऐसा माना जाता है कि मां नंदा- सुनंदा साल में एक बार अपने मायके यानी कुमाऊं में आती है और यही कारण है कि अष्टमी के दिन यानी आज कुमाऊं के विभिन्न स्थानों पर मां नंदा सुनंदा की प्रतिमा तैयार कर उनकी प्राण प्रतिष्ठा की जाती है और माना जाता है कि मां नंदा सुनंदा अपने मायके पहुंच गई हैं, मां नंदा सुनंदा कि अगले 3 दिनों तक कुमाऊं के लोग उपासना करेंगे और 8 सितंबर को मां के मूर्तियों का भव्य ढोला भ्रमण कराया जाएगा जिसके बाद मां नंदा सुनंदा की नैनी झील में मूर्तियों का विसर्जन कर दिया जाएगा,, मूर्ति विसर्जन की परंपरा एक विदाई की तरह है मां नंदा सुनंदा को मायके से ससुराल विदा करने की यह अनोखी परंपरा निभाई जाती है बाईट- विनय चौहान , भक्त


Conclusion:वही भक्तों का मानना है कि ल मां नंदा सुनंदा से अगर एक बार प्रार्थना कर ली जाए तो जरूर पूरी होती है मां अपने भक्तों की सभी मुराद पूरी करती हैं और अपने दर से किसी भी भक्तों को खाली हाथ नहीं जाने देती नैनीताल वासी मां नंदा सुनंदा पर अपनी अगाध आस्था रखते हैं और मानते हैं कि नैनीताल में आने वाला बड़े से बड़े खतरा मां पल भर में दूर कर देती हैं, जिस वजह से आज तक नैनीताल बड़ी से बड़ी आपदा आने के बाद भी सुरक्षित है। बाईट- रीता, भक्त वहीं मेले में दी जाने वाली बकरों की बलि को लेकर जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद है और मंदिर में बलि पर पूर्ण तरह से रोक लगाई गई है, हालांकि मंदिर में बकरों की पूजा अर्चना करवाई जा रही है जिसके बाद बकरों को सुरक्षित मंदिर परिसर से बाहर भेज दिया जा रहा है और भक्तों को हिदायत दी जा रही है कि वह अपने घर जाकर ही बकरों की बलि दे। आपको बता दें कि नैनीताल हाईकोर्ट ने आस्था के नाम पर किसी भी जानवर की बलि देने पर रोक लगाई है जिसके बाद से पुलिस प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद है।
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