नैनीताल: कुमाऊं की कुलदेवी मां नंदा सुनंदा की मूर्ति नैना देवी मंदिर में विधि-विधान और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ प्राण प्रतिष्ठा कर दी गई. प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही कुमाऊं की कुलदेवी नंदा सुनंदा आज अपने ससुराल से अपने मायके यानी कुमाऊं की धरती में पधार गईं हैं. प्राण प्रतिष्ठा के बाद मां नंदा सुनंदा की प्रतिमाओं को भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिया गया. मां नंदा सुनंदा के दर्शन के लिए सुबह से 3 बजे से ही भक्तों भारी भीड़ है.
मां नंदा सुनंदा को कुमाऊं में कुल देवी के रूप में पूजा जाता है चंद राजाओं के दौर में मां नंदा सुनंदा को कुलदेवी के रूप में पूजा की जाती थी. तब से पूरे कुमाऊं में लोग मां नंदा सुनंदा को कुलदेवी के रूप में पूजते हैं. ऐसा माना जाता है कि मां नंदा-सुनंदा साल में एक बार अपने मायके यानी कुमाऊं में आती हैं. यही कारण है कि अष्टमी के दिन कुमाऊं के विभिन्न स्थानों पर मां नंदा सुनंदा की मूर्ति तैयार कर उनकी प्राण प्रतिष्ठा की जाती है और मान लिया जाता है कि मां नंदा सुनंदा अपने मायके पधार गईं हैं.
कुमाऊं के लोग मां नंदा सुनंदा की अगले 3 दिनों तक उपासना करेंगे और 8 सितंबर को मां के मूर्तियों का भव्य ढोला भ्रमण कराया जाएगा. जिसके बाद मां नंदा सुनंदा की नैनी झील में मूर्तियों का विसर्जन कर दिया जाएगा. मूर्ति विसर्जन की परंपरा एक विदाई की तरह है मां नंदा सुनंदा को मायके से ससुराल विदा करने की यह अनोखी परंपरा निभाई जाती है.
नैनीताल वासी मां नंदा सुनंदा पर अपनी अगाध आस्था रखते हैं. भक्त मानते हैं कि नैनीताल में आने वाला बड़े से बड़े खतरा मां पल भर में दूर कर देती हैं. जिस वजह से आज तक नैनीताल बड़ी से बड़ी आपदा आने के बाद भी सुरक्षित है.
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वहीं मेले में दी जाने वाली बकरों की बलि को लेकर शासन-प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद है. मंदिर में बलि पर पूरी तरह रोक लगाई गई है. हालांकि, मंदिर में बकरों की पूजा अर्चना करवाई जा रही है. जिसके बाद बकरों को सुरक्षित मंदिर परिसर से बाहर भेज दिया जा रहा है. भक्तों को हिदायत दी जा रही है कि वह अपने घर जाकर ही बकरों की बलि दें.
बता दें, नैनीताल हाईकोर्ट ने आस्था के नाम पर किसी भी जानवर की बलि देने पर रोक लगाई है. जिसके बाद से पुलिस प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद है.