नैनीताल: अल्मोड़ा निवासी भागुली देवी ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की थी. जिस पर आज सुनवाई हुई. इसी बीच कोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश में कहा किसी व्यक्ति के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दायर होने के बाद भी वह व्यक्ति कोर्ट के समक्ष अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र दायर कर सकता है. हाईकोर्ट के तीन जजों की खंडपीठ ने 2-1 के बहुमत से यह फैसला सुनाया.
मामले के अनुसार अल्मोड़ा निवासी भागुली देवी के खिलाफ आईपीसी की धारा 306 में मुकदमा दर्ज हुआ था. उसकी अग्रिम जमानत सेशन कोर्ट ने खारिज कर दी थी. जिसके बाद उसने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत दायर की. जिसकी सुनवाई के दौरान विधिक प्रश्न आया कि क्या चार्जशीट दायर होने के बाद आरोपी अग्रिम जमानत अर्जी दायर कर सकता है.
जिसके बाद मामले में राय लेने के लिये मामला दो जजों की पीठ के समक्ष गया. दो जजों की पीठ ने चार्ज शीट दायर होने के बाद भी अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र दायर करने के पक्ष में निर्णय दिया . जब यह फैसला न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी के समक्ष फिर गया तो उन्होंने इस निर्णय पर असहमति जताते हुए मामला लार्जर बेंच को भेज दिया. जिसके बाद इस मामले में मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी,वरिष्ठ न्यायधीश मनोज तिवारी और न्यायमूर्ति रविन्द्र मैठाणी की बेंच में सुनवाई हुई .
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जिसमें मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति मनोज तिवारी ने चार्जशीट दायर होने के बाद भी अग्रिम जमानत अर्जी दायर हो सकने व उस पर विचार करने के पक्ष में सहमति जताई, जबकि न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैठाणी ने विपक्ष में मत दिया. इस प्रकार कोर्ट ने चार्जशीट दायर होने के बाद भी अग्रिम जमानत पत्र दायर किए जा सकने के पक्ष में फैसला सुनाया.
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