नैनीताल: प्रदेश में भारी बारिश से पहाड़ दरक रहे हैं. इस कारण पहाड़ की लाइफलाइन पटरी से उतर गई है. वहीं भारी बारिश से नैनीताल की ठंडी सड़क पर लगातार भूस्खलन हो रहा है. मार्ग पर भूस्खलन होने से पहाड़ी के ऊपर बने कॉलेज के छात्रावास पर खतरा मंडराने लगा है. हालांकि प्रशासन के द्वारा ठंडी सड़क पर आवाजाही पर रोक लगाई गई है. इसके बावजूद लोग जबरन सड़क पर आवाजाही कर रहे हैं.
गौर हो कि भारी बारिश के चलते अब नैनीताल की ठंडी सड़क पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं. बीते तीन दिनों से लगातार पाषाण देवी मंदिर के पास पहाड़ी से भूस्खलन हो रहा है. इससे पहाड़ी के ऊपर बने कुमाऊं विश्वविद्यालय के केपी व एसआर छात्रावास भी खतरे की जद में आ गये हैं. लगातार हो रहे भूस्खलन से अब पहाड़ी पर बड़ी-बड़ी दरारें पड़ने लगी हैं, जो कभी भी किसी बड़े खतरे को न्योता दे सकती हैं.
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वहीं नगर पालिका व लोक निर्माण विभाग के द्वारा पहाड़ी से आए मलबे व बोल्डर को हटाने के लिए जेसीबी मशीन को लगाया गया है. ताकि जल्द से जल्द बंद पड़ी सड़क को खोला जा सके. लेकिन पहाड़ी से लगातार गिर रहे बोल्डरों से कई बार काम को बंद करना पड़ रहा है. हालांकि शाम होते-होते सड़क को खोल दिया गया, लेकिन रात को फिर से भूस्खलन होने से सड़क बाधित हो गई.
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ठंडी सड़क पर मंडरा रहे खतरे पर पर्यावरणविद अजय रावत ने कहा कि नैनीताल अपनी भार सहने की क्षमता पूरी कर चुका है. नैनीताल के इस खतरे को देखकर सुप्रीम कोर्ट ने 1992 के बाद व्यवसायिक निर्माण पर रोक लगा दी थी. इसके बावजूद नैनीताल में अवैध निर्माण जारी हैं. साथ ही ठंडी सड़क का क्षेत्र भू-गर्भीय दृष्टि से बेहद संवेदनशील है. पहाड़ी पर पड़ रहे दबाव के चलते क्षेत्र में इस तरह की घटनाएं हो रही हैं.