नैनीताल: उत्तराखंड में बारिश का कहर जारी है. भारी बारिश के कारण जगह-जगह भूस्खलन होने से जान का खतरा बना हुआ है. वहीं, पहाड़ी से मलबा आने से मार्ग भा लगातार बाधित हो रहे हैं. जिस कारण आवाजाही करने में लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, नैनीताल ठंडी सड़क में बीती 27 अगस्त से हो रहा भूस्खलन थमने का नाम नहीं ले रहा है.
इसी कड़ी में पाषाण देवी मंदिर के पास देर रात एक बार फिर भूस्खलन हुआ है. जिसके चलते पहाड़ी के ऊपर स्थित एसआर छात्रावास के सामने खतरा मंडराने लगा है. भूस्खलन से पहाड़ी पर स्थित कई बड़े पेड़ भी धराशाई हो चुके हैं और लगातार पहाड़ी से मलबा नैनी झील में गिर रहा है. वहीं, भूस्खलन के चलते ठंडी सड़क बंद हो चुकी है.
वहीं, पहाड़ी में हो रहे भूस्खलन से अब छात्रावास में रहने वाली छात्राओं को सुरक्षा की दृष्टि से दूसरे हॉस्टल में शिफ्ट कर दिया गया है. ताकि छात्राओं को किसी प्रकार की दिक्कत न हो. लोक निर्माण विभाग के द्वारा पहाड़ी में तेजी से हो रहे भूस्खलन को रोकने के लिए वायर क्रेटिग कर जीआई पाइप व जिओ सैंड बैग से सुरक्षा दीवार बनाई जा रही है. ताकि पहाड़ी पर हो रहे भू कटाव को रोका जा सके.
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हॉस्टल की वार्डन डॉ. हिमांशु लोहनी का कहना है कि बीते 15 दिनों से क्षेत्र में लगातार भूस्खलन का सिलसिला जारी है. जिसकी सूचना उनके द्वारा जिला प्रशासन, लोक निर्माण विभाग समेत तमाम अधिकारियों को दि गई है. बीते दिनों विभागीय अधिकारियों के द्वारा पहाड़ी पर पॉलिथीन डालकर भूस्खलन के कटाव पर रोकने का प्रयास किया गया. लेकिन पुनः पहाड़ी पर भूस्खलन हुआ है.
लोक निर्माण विभाग के सहायक अभियंता महेंद्र पाल का कहना है कि क्षेत्र की पहाड़ी में 30 मीटर के क्षेत्र में भूस्खलन हुआ है. हॉस्टल के खतरे को देखते हुए पहाड़ी पर जीआई पाइप व सैंड बैग भरकर पहाड़ी में हो रहे भू कटाव को रोकने का प्रयास किया जा रहा है.
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स्थानीय सभासद मनोज साह जगाती का कहना है कि इन दिनों क्षेत्र में बड़ी संख्या में अतिक्रमण के मामले सामने आए हैं. बड़ी-बड़ी भवनों का निर्माण हुआ है. इन भवनों से निकलने वाली सीवरेज लाइन को हॉस्टल की सीवर टैंक में मिला दिया गया है. जगह-जगह से सीवर लाइनें लीक कर रही है. जिसका पानी लंबे समय से पहाड़ी में रिस रहा है जो भूस्खलन की एक बड़ी वजह है.
सभासद का कहना है कि नैनीताल में होने वाले निर्माण कार्य पर तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए. किसी भी भवन के निर्माण से पहले भूवैज्ञानिकों की रिपोर्ट आवश्यक रूप से लगाई जानी चाहिए, ताकि इस तरह की समस्याओं से बचा जा सके.