हल्द्वानीः उत्तराखंड (disaster in uttarakhand) में बीती 17, 18 और 19 अक्टूबर को आसमानी आफत ने जमकर कहर बरपाया था. प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में आई दैवीय आपदा में भारी जान माल का नुकसान हुआ था. नैनीताल जिले में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ. जिसमें सिंचाई नहरें भी शामिल हैं. जो क्षतिग्रस्त हो गई हैं. जिससे सिंचाई का संकट गहरा गया है, लेकिन क्षतिग्रस्त नहरों की मरम्मत में बजट की कमी आड़े आ रही है.
नैनीताल जिले में आपदा से हुए नुकसान का आकलन कर लिया गया है. जिसके तहत नैनीताल जिले में करीब 13 करोड़ का बजट सिर्फ सिंचाई नहरों (Irrigation canals) की मरम्मत के लिए चाहिए. हल्द्वानी सिंचाई विभाग (Haldwani Irrigation Department) के अधिशासी अभियंता तरुण बंसल के मुताबिक, सबसे ज्यादा नुकसान पहाड़ी क्षेत्रों में हुआ है. नैनीताल जिले में कुल 122 नहरें हैं. जिसमें से 71 नहरें पहाड़ी इलाकों में है और मैदानी इलाकों में 51 नहरें है.
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हल्द्वानी सिंचाई खंड के गौलापार इलाके में सिंचाई नहरों को भी काफी नुकसान पहुंचा है. जिससे सिंचाई का संकट गहरा गया है. सिंचाई न होने से फसल सूखने की कगार पर हैं. टमाटर की फसलें भी तबाह हो चुकी है. अधिशासी अभियंता तरुण बंसल की मानें तो करीब 28 नगरों को दुरुस्त किया जा चुका है. अब विभाग को बजट का इंतजार है. जिसके लिए शासन को अवगत कराया जा चुका है.
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अधिशासी अभियंता तरुण बंसल (Executive Engineer Tarun Bansal) ने बताया कि जैसे ही बजट मिलता है तो नहरों को ठीक करने का काम शुरू कर दिया जाएगा. बता दें कि वैकल्पिक सिंचाई की व्यवस्था के लिए 15 दिन पहले सिंचाई की नहरों का ट्रायल हुआ था, लेकिन नहरों के संचालन में कामयाबी नहीं मिल पाई. गौलापार में गोला नदी (Gola River) से सिंचाई के लिए पानी जाता है, जो सिंचाई का एकमात्र साधन है.