हल्द्वानी: बाल मजदूरी कराना अपराध है. उसके बावजूद भी कई प्रतिष्ठानों में खुलेआम बाल मजदूरी कराई जा रही है. हल्द्वानी में बाल मजदूरी कराए जाने की शिकायत पर श्रम विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए होटल, ढाबा और मैकेनिक की दुकान में छापेमारी की. इस दौरान श्रम विभाग के प्रवर्तन दल ने 7 बाल मजदूरों को मुक्त कराया और बाल कल्याण विकास समिति (CWC) के सामने पेश किया. साथ ही बच्चों को उनके परिवार को सुपुर्द कर दिया.
श्रम विभाग हल्द्वानी ने बाल श्रम कराने वाले लोगों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया है. जिला श्रम प्रवर्तन अधिकारी पूनम कांडपाल ने बताया 2 दिनों तक चलाए गए अभियान के तहत 7 बाल मजदूरों को मुक्त कराया गया है. जिसमें 4 बाल श्रमिक है, जबकि तीन किशोर श्रमिक हैं. सभी बाल श्रमिक होटल और रेस्टोरेंट में काम करते हुए पाए गए. जहां से बच्चों को मुक्त कराते हुए सीडब्ल्यूसी के समक्ष पेश किया गया.
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जहां सीडब्ल्यूसी के समाप्ति के बाद बच्चों को उनके परिजनों को सुपुर्द किया गया है. साथ ही बच्चों के पुनर्वास और उनके शिक्षा के लिए कार्रवाई की जा रही है. दो मामलों में प्रतिष्ठान स्वामी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है. बाल मजदूरी को खत्म करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है. बच्चों को समाज के मुख्यधारा में लाने के साथ-साथ उनकी अच्छी शिक्षा को देखते हुए कार्रवाई की गई है. इसके अलावा कुछ प्रतिष्ठानों को नोटिस जारी कर किशोर मजदूरी कराए जाने पर जवाब मांगा गया है.
बाल श्रम प्रतिषेध एवं विनियमन अधिनियम 1986 की धारा 2 के अनुसार किसी भी दुकान वर्कशॉप, होटल , रेस्टोरेंट्स या अन्य स्थान पर कार्यरत 16 वर्ष से काम उम्र का बालक या बालिका बाल श्रमिक माने जाते हैं. बाल श्रम प्रतिषेध एवं विनियमन अधिनियम के अनुसार बाल श्रम कराने वाले नियोक्ता को दो साल तक की कैद की सजा या जुर्माना लगाया जा सकता है. या फिर कैद और जुर्माना दोनों ही लगाया सकता है.