हल्द्वानी: इस बार शनि अमावस्या 13 मार्च को है. महाशिवरात्रि के अगले दिन शनि अमावस्या होने के चलते इस बार शनि अमस्या पर स्नान दान का विशेष महत्व माना जा रहा है. शनि अमावस्या को दर्शअमावस्या भी कहते हैं. भगवान शनि सभी ग्रहों में महत्वपूर्ण ग्रह है और उन्हें न्याय का देवता भी कहा जाता है. ऐसे में शनि के प्रकोप से किस तरह से बचे, जाने ज्योतिष की राय.
ज्योतिषाचार्य नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक, फागुन कृष्ण पक्ष की उधर तिथि के दिन शनि अमावस्या स्नान का विशेष महत्व है. इस दिन शनिवार होने के चलते इसे शनिचरी अमावस्या भी कहा जा रहा है. शनिदेव जिनके गुरु स्वयं भगवान शिव हैं. इस बार महाशिवरात्रि के अगले दिन अमावस्या पड़ने के साथ-साथ महाकुंभ भी पड़ा है. इसलिए भगवान शिव की सारी शक्तियां भगवान शनि में माना जाता है.
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शनि अमावस्या पर जो भी जातक भगवान शनि की पूजा याचना करेगा उसकी मनोकामना पूर्ण होगी. इसके अलावा जिसके कुंडली में शनि की साढ़ेसाती ढैया या शनि की महादशा चल रही है, उनके लिए शनि अमावस्या विशेष महत्व माना जा रहा है. उनके द्वारा हवन पूजन करने से सभी समस्याएं समाप्त हो जायेंगी. ज्योतिष के अनुसार 12 मार्च शुक्रवार दोपहर 3:00 बजे से अमस्या तिथि का शुभारंभ हो रहा है, जो 13 मार्च दोपहर 3 बजकर 50 मिनट तक रहेगा.
ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र के अनुसार भगवान शनि न्याय का देवता हैं. शनिदेव व्यक्ति को उसके कर्म के आधार पर फल देते हैं. शनि अमावस्या के दिन शनि से संबंधित सभी परेशानियां जैसे शनि की साढ़ेसाती ढैया से मुक्ति पाने के लिए बहुत ही अच्छा योग बन रहा है. इसके अलावा शनि को प्रसन्न कर पितृदोष आदि से भी छुटकारा पाया जा सकता है.
शनि अमावस्या के दिन रात के समय दीपक, काले तिल, सरसों का तेल, लोहे की कील, रखकर भगवान शनि या पीपल के पेड़ के नीचे जप तप करने के साथ-साथ ॐ शनिश्चराय नमः का जाप करने से सभी तरह की कष्ट दूर हो जाएंगे.